नई दिल्ली। बीजेपी ने रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा लालगढ़ रैली में शामिल होने और आजाद की मौत पर दिए गए बयान पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। ममता के नाम पर केंद्र को घेरते हुए बीजेपी ने उसने आज लोकसभा में प्रश्नकाल सस्पेंड कर ममता के रैली में शामिल होने पर बहस कराने की मांग की और सरकार से नक्सली मुद्दे पर अपना रुख साफ करने को कहा।
रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के लालगढ़ पहुंचने और आजाद की मौत पर टिप्पणी करने से दिल्ली में यूपीए की सरकार की मुसीबत बढ़ गई है। विपक्ष ने आज रेल मंत्री द्वारा लालगढ़ में दिए गए बयान पर संसद के दोनों सदनों में सरकार को जमकर घेरा। लोकसभा में वित्त मंत्री के चेहरे पर लालगढ़ का असर दिखा। उन्होंने विपक्ष की मांग पर कहा कि रकार इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकती है। रेल मंत्री ही इस मुद्दे पर बयान दे सकती हैं।
राज्यसभा में बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि ममता बनर्जी ने जिस रैली में हिस्सा लिया। उसमें कौन राजनीतिक लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि इस रैली को सफल बनाने का आह्वान नक्सली नेता किशनजी की ओर से किया गया था। नक्सली इस रैली में शामिल हुए और इस रैली में रेल मंत्री ने ये बयान दिया कि आजाद की हत्या की गई। जबकि सरकार का कहना है कि आजाद एनकाउंटर में मारा गया था। उन्होंने राज्यसभा में सरकार से जानना चाहा कि क्या ममता बनर्जी सरकार की तरफ से बोल रही हैं? आश्चर्य की बात तो ये है कि ये रैली सरकार के खिलाफ बुलाई गई थी और इसमें रेल मंत्री ममता बनर्जी शामिल हुईं। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जवाब मांगा। जिस पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ममता
बनर्जी नहीं हैं और लालगढ़ मुद्दे पर रेल मंत्री ही जवाब देंगी।
दूसरी तरफ बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने आज लोकसभा में रेल मंत्री ममता बनर्जी के शामिल होने और आजाद पर दिए गए बयान का मामला उठाया। मुंडे ने लोकसभा में कहा कि ममता ने रैली में कहा कि ऑपरेशन ग्रीन हंट को बंद कर देना चाहिए और आजाद की मौत को मर्डर बताकर जांच की मांग की। मुंडे ने सवाल उठाया कि क्या सरकार भारत के 216 जिलों में नक्सलिज्म को रोकने के लिए वाकई कृतसंकल्पित है। रेल मंत्री और गृह मंत्री के बयान उलझन पैदा कर रहे हैं। क्या सरकार आजाद मौत मामले में कोई जांच करवाने की सोच रही है?
गौरतलब है कि रेल मंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को लालगढ़ में विशाल रैली में कहा कि मैं महसूस करती हूं कि जिस तरह नक्सलियों के प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद को मारा गया वह ठीक नहीं है। उन्होंने नक्सलियों के इस आरोप का लगभग समर्थन किया कि आजाद को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। जबकि पुलिस ने दावा किया था कि नक्सलियों के तीसरे नंबर के नेता आजाद की आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले के जंगलों में मुठभेड़ में मौत हो गई।