रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के नाम पर अयोध्या और देश के अन्य भागों में भाईचारे की आबोहवा बिगाड़ाने की खुराफात से हडकंप

तहलका टुडे टीम 
लखनऊ : अयोध्या के विवादित धर्मस्थल के मालिकाना हक को लेकर करीब साठ वर्षों से चल रहे मुकदमें के फैसले की नजदीक आती घड़ी से लोगों की सांसे थमनी शुर हो गयी हैं। अयोध्या के जनसामान्य में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या फिर से कर्फ्यू तो नहीं लगेगा अथवा सन 1990 या 1992 की तरह फिर से तनाव तो नहीं फैलेगा।
तनाव फैलने की आशंका के मद्देनजर 'शांतिदूतो' की सक्रियता भी बढ़ गयी है। गंगा-जमुनी तहजीब के लिए चिरपरिचित अयोध्या और उसके जुड़ावा शहर फैजाबाद में जगह-जगह स्टिकर चिपकाकर लोगों से अदालत के आदेश को मानने की अपील की जा रही है।
स्टिकर चिपकाने वालों में से एक युगल किशोर शरण शास्त्री का कहना है कि अयोध्यावासी शांति चाहते हैं लेकिन कुछ बाहरी लोग रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के नाम पर अयोध्या और देश के अन्य भागों में भाईचारे की आबोहवा बिगाड़ाना चाहते हैं।
श्री शास्त्री ने कहा कि इस मसले से जुड़े संगठन इसे अदालत से ऊपर और आस्था का विषय बताते है। ये संगठन अदालती फैसले पर भी बवाल मचाने से नहीं चूकेंगे। हिन्दुओं के पक्ष में फैसला आयेगा तो घन्टा घड़ियाल बजाकर अशांति फैलाने की कोशिश करेंगे और यदि मुसलमानों के पक्ष में फैसला आता है तो अदालत को खरी खोटी सुनाकर तनाव पैदा करने का प्रयास कर सकते है।
फैसले की घड़ी नजदीक आते देख यहां के व्यापारी भी चिंतित है। उनका कहना है कि अस्सी और नब्बे के दशक में यहां मचे बवाल की वजह से व्यापार चौपट हो गया था। व्यापार की गाड़ी अब पटरी पर आ गयी है। फिर से बवाल होने की दशा में कारोबार प्रभावित होगा।
लोहे के व्यापारी नीरज जायसवाल दावा करते है कि यहां अभी तो फिलहाल शांति है और लोग भी शांति चाहते हैं। उनका कहना है कि नब्बे के दशक में आये दिन होने वाले बवालों से व्यापार चौपट हो गया था। बाहर के थोक व्यवसाइयों ने यहां के व्यापारियों को उधार देना बन्द कर दिया था। वह स्थिति दोबारा नहीं आना चाहिए।
श्री जायसवाल यहां की शांति के लिए आश्वस्त दिखे। उनका कहना था कि यहां की जनता ने काफी झेला है। शासन प्रशासन यदि बाहरी लोगों पर लगाम कस सके तो यहां अशांति होने का सवाल ही नहींउठता।
गौरतलब है कि 1950 से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर चल रहे मुकदमें की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ विशेष खण्डपीठ में 25 जुलाई को पूरी हुई है।
न्यायालय ने अगले महीने में फैसला सुनाने के लिए कहा है। न्यायालय ने कहा था कि फैसला सुनाने की तिथि वह दोनों पक्षों को एक सप्ताह पहले बता देगा।
इस बीच आने वाले फैसले के मद्देनजर राज्य सरकार भी चौकस हो गयी है और सभी पुलिस वालों के अवकाश पर रोक लगा दी गयी है।
फैसले के मद्देनजर राज्य सरकार ने केन्द्रीय गृह मंत्नालय से 460 कंपनी सुरक्षा बल इस महीने के अंत तक देने का आग्रह किया था ताकि उनकी समय पर उचित जगह तैनाती की जा सके।
राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये होमगार्ड की भी मदद लेगी। गृह विभाग के सचिव दीपक कुमार ने कहा अभी रमजान का महीना चल रहा है और अयोध्या के मालिकाना हकका फैसला भी आने वाला है इसलिये केन्द्रीय गृह मंत्नालय से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सुरक्षा बल देने की मांग की गयी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने खुफिया विभाग को कट्टरपंथी संगठनों पर विशेष नजर रखने के आदेश दिये हैं ताकि फैसला आने के बाद वह साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़का नहीं सके। साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने वालों की पहचान भी शुरू कर दी गयी है। साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील अयोध्या-वाराणसी और मथुरा के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा में लगे जवानों को खासतौर पर सतर्क कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये है कि दंगा नियंत्नण योजना बनाकर ऐसे जगहों की पहचान की जाय जो साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से संवेदनशील हैं। इसके तहत कुछ जिलों से रिहर्सल किये जाने की भी सूचना मिली है। इसके अलावा उन्माद फैलाने वालों पर अभी से कार्रवाई शुरू कर दी जानी चाहिये।
अयोध्या विवादित स्थल मालिकाना हक मेंआने वाले फैसले के बारे में दोनों पक्षों के धार्मिक नेताओं की बयानबाजी को देखते हुये खुफिया विभाग को भी सतर्क कर दिया गया है। दोनों पक्षों के धार्मिक नेताओं ने फैसला अपने पक्ष में आने की उम्मीद की है। और साथ में यह भी कहा है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह कोई समझौता स्वीकार नहीं करेंगे। फैसले को उच्चतम न्यायालय में भी चुनौती दी जायेगी।
राज्य के पुलिस महानिदेशक करमवीर सिंह की अध्यक्षता में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में 19 जिलों को अतिसंवेदनशील और 25 जिलों को संवेदनशील मानागया।
मुख्यमंत्नी मायावती ने राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की। उनकी समीक्षा के केन्द्र में अयोध्या के सम्बन्ध में आने वाला फैसला ही था।
अयोध्या में विवादित ढांचे को लेकर 1990 से अब तक कई बार कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हुई है। राज्य की मुख्यमंत्नी मायावती नहीं चाहतीं कि उनके कार्यकाल में अयोध्या को लेकर ऐसीकोई समस्या आये। इसलिये इससे निपटने के उपाय पहले से किये जा रहे हैं और केन्द्रीय गृह मंत्नालय से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सुरक्षा बल की मांग की गयी है।
राज्य सरकार ने फैजाबाद, लखनऊ, बरेली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, कानपुर, बहराइच, गोरखपुर, इलाहाबाद, अलीगढ, बिजनौर, गोंडा, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद, बुलदशंहर और रामपुर को अतिसंवेदनशील माना है।
राज्य पुलिस के अलावा इन जिलों में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये केन्द्रीय सुरक्षा बल की भी तैनाती की जायेगी। केन्द्र सरकार ने 1990 में 260 कंपनी सुरक्षा बल की तैनाती की थी। अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 में विवादित ढांचा गिराये जाने के बाद 375 कंपनियों की तैनाती की गयी थी।
राज्य सरकार का कहना है कि हालात अब बदल गये हैं और अतिसंवेदनशील जिलों की संख्या भी बढ़ गयी है। हाल के महीनों में कई जिलों के साम्प्रदायिक संघर्ष की घटनाएं हुई है। इसलिये राज्य सरकार ने 460 कंपनी केन्द्रीय सुरक्षा बल की मांग की है।
गृह मंत्नालय से यह भी कहा गया है कि सुरक्षा बल राज्य में आगामी एक सितम्बर तक आ जायें ताकि उनकी सही जगह पर समय से तैनाती की जा सके।

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