सांसदों की पगार बढने के बाद, दिल्ली हुई पानी-पानी,बच्चो की भूख से तड़प, गरीब त्रस्त, नेता मस्त

https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
रिजवान मुस्तफा
नई दिल्ली . सांसदों की पगार बढने के बाद, दिल्ली हुई पानी-पानी,बच्चो की भूख से तड़प, गरीब त्रस्त, नेता मस्त, दर-दर की ठोकरे खा रहे है बाढ़ पीड़ित , डूबे घरो के छोटे-छोटे बच्चे भूख की तड़पन से बेताब माँ से चिपट कर रो रहे है ,कोई पुरसाने हॉल नहीं है यह एक मंज़र है देश की राजधानी में यमुना नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से जारी तबाही का शुक्रवार पूरी रात हर घंटे चार सेमी की दर से यमुना का पानी बढ़ा और यह खतरे के निशान को पार कर गया है। निचले इलाके से लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है।
बाढ़ एवं सिंचाई विभाग के कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम पांच बजे नदी का जल स्तर 204.80 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी के निशान से 80 सेंटीमीटर ज्यादा है। आधी रात बाद ही पानी खतरे के निशान को छू गया।
गुरुवार सायं यह स्तर मात्र 203.76 मीटर दर्ज किया गया था, यानी पिछले 24 घंटे के दौरान नदी के जल स्तर में लगभग १.क्४ मीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कल सुबह तक जल स्तर खतरे के निशान 205.83 मीटर को भी पार कर सकता है। नदी के किनारे रहने वाले लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए सरकार ने गांधी नगर के एसडीएम डीपी सिंह की अगुवाई में एक टीम
का गठन किया है। यह टीम इन लोगों की समस्याओं को दूर करने और राहत सामग्री पहुंचाने का इंतजाम कर रही है।
जानकारी के अनुसार यमुना खादर में रहने वाले लोगों के रहने के लिए विशेष प्रबंध की जिम्मेदारी पुलिस को भी दी गई है। फिलहाल, गीता कॉलोनी पुस्ता, उस्मानपुर पुस्ता, गांव गढ़ी मंडू, चिल्ला गांव इत्यादि इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने निवास स्थान को छोड़ने के निर्देश दे दिए गए हैं। ये सभी इलाके नदी के खादर में स्थित हैं, जो जल स्तर बढ़ने पर इसकी चपेट में आ सकते हैं।
ज्ञात हो कि पहाड़ी इलाकों और हरियाणा के ऊपरी हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश की वजह से हथनी कुंड बैराज में पानी की मात्रा काफी बढ़ गई है और आसपास के इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे निपटने के लिए गुरुवार को हथनी कुंड बैराज से हरियाणा के बाढ़ एवं सिंचाई विभाग ने लगभग दो लाख क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ दिया है। पानी के छोड़े जाने से नदी के जल स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इसका असर दिल्ली में यमुना नदी के खादर में रहने वाले लोगों पर पड़ना शुरू हो गया है।
बारिश से राजधानी में 189 स्थानों पर जलभराव
राजधानी में गुरुवार को हुई बारिश से जहां संसद भवन की छत से पानी टपकने लगा था तो वहीं अब शुक्रवार को दिल्ली में हुई बारिश का असर दिल्ली विधानसभा में भी देखने को मिला। इसकी वजह से दर्शक दीर्घा के अंदर छत के निचले हिस्से का कुछ भाग गिर गया।
शुक्रवार को हुई बारिश की वजह से दिल्ली में 167 स्थानों पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई और 39 पेड़ गिर गए। इनके अलावा, 20 मकान अथवा इनका कुछ हिस्सा गिर गया। बारिश की वजह से जलभराव का काफी असर देखने को मिला। हल्की बारिश ने ही दिल्ली के कई चौराहों पर घंटों आवागमन बाधित कर दिया। लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। कई लोग तो काफी देर बाद ही अपने कार्यालय पहुंच पाए।
दिल्ली नगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को भी सर्वाधिक 37 जलभराव की शिकायतें मध्य दिल्ली में पाई गईं। इनके अलावा, रोहिणी जोन में 27 स्थानों पर, सिविल लाइंस जोन में 24 स्थानों पर, दक्षिण दिल्ली में 16 स्थानों पर और पश्चिमी दिल्ली में भी26 स्थानों पर जलभराव हो गया। इसके अलावा, अन्य जोनांे में भी कई स्थानों पर जाम देखा गया। मध्य दिल्ली में सर्वाधिक 24 पेड़ गिर गए। दक्षिण दिल्ली में 19 पेड़ तथा शेष पेड़ विभिन्न इलाकों में गिरे।
बारिश का असर पुराने और जर्जर मकानों पर भी देखा गया। शाहदरा उत्तरी जोन में 18 मकान और सदर पहाड़गंज जोन में 14 मकान गिर गए। शुक्रवार को बारिश की वजह से कुल 54 मकान अथवा इनके हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए।
क्या तुमने देखा है, मां-बाबा को

आंखे खोज रही हैं उस मां को
जो बह निकली जलधारा संग
और पिता का भी कुछ अता नहीं
कहां है वो उसको पता नहीं
दिल में एक ही आस लिए
आखों में पाने की प्यास लिए
लिए ढूंढ रहा भाई को संग
इधर-उधर बदहवास लिए
आखों में पाने की प्यास लिए
लिए ढूंढ रहा भाई को संग
इधर-उधर बदहवास लिए
छोटे कन्धों पर है छोटे का भार
अभी हुआ नही मैं दस बर्ष का भी
पूछ रहा हर एक से वो........
क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
अभी हुआ नही मैं दस बर्ष का भी
पूछ रहा हर एक से वो........
क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
आंखों से बहती जल की धारा है
और होंठ सूख रहे हैं...
प्रकृति का प्रकोप ये देखो
मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।
................
और होंठ सूख रहे हैं...
प्रकृति का प्रकोप ये देखो
मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।
................