माओवादियों के ख़िलाफ़ अभियान बंद हो: ममता
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उनके बयान राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं क्योंकि ममता बनर्जी केंद्र सरकार में मंत्री हैं और केंद्र सरकार ने हाल में माओवादियों के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ा है.
ममता बनर्जी ने कहा,''आज से ही शांति प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए. बंगाल इस संबंध में पूरे भारत को रास्ता दिखा सकता है. हिंसा और हत्याएँ बंद होनी चाहिए. यदि आपको मुझसे कोई समस्या है तो मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश जैसे लोग पहल कर सकते हैं. लेकिन बातचीत शुरू होनी चाहिए.''
ममता ने कहा,''मैं वादा करती हूँ कि जंगलमहल के विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा, वो मैं करूंगी. यदि ज़रूरी हुआ तो मैं यहाँ रेलवे फैक्ट्री स्थापित करने पर भी विचार किया जा सकता है.''
आज से ही शांति प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए. बंगाल इस संबंध में पूरे भारत को रास्ता दिखा सकता है. हिंसा और हत्याएँ बंद होनी चाहिए. यदि आपको मुझसे कोई समस्या है तो मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश जैसे लोग पहल कर सकते हैं. लेकिन बातचीत शुरू होनी चाहिए.
ममता बनर्जी
ग़ौरतलब है कि इस रैली को माओवादियों का 'पूरा समर्थन' हासिल था.
पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख भूपिंदर सिंह ने घोषणा की थी कि माओवादियों से जुड़े पीपुल्स कमेटी अगेस्ट पुलिस एट्रोसिटीज़ (पीसीपीए) के नेता यदि रैली में दिखाई दिए तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.
पुलिस का आरोप है कि ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की दुर्घटना के पीछे पीसीपीए नेताओं का हाथ था.
रैली स्थल पर मौजूद तहलका टुडे के रिपोर्टर रिजवान मुस्तफा
का कहना है कि पीपीसीए के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग रैली में आकर शामिल हुए लेकिन भारी पुलिस बल के बावजूद किसी भी नेता को गिरफ़्तार नहीं किया गया.
अमिताभ भट्टासाली का कहना है कि वो लालगढ़ रैली में शामिल हुए लगभग 10 से 12 आदिवासियों के जत्थे के साथ काफ़ी दूर तक चले. इनका नेतृत्व पीसीपीए के सचिव मनोज महतो कर रहे थे और उन्होंने कई पुलिस नाकों को पार किया लेकिन पुलिस ने उनसे कुछ नहीं कहा.
मनोज महतो का कहना था,''मैं पुलिस को चुनौती देता हूँ कि वो मुझे गिरफ़्तार करे. हमने आदिवासियों को इस रैली में शामिल होने के लिए प्रेरित किया क्योंकि ये राज्य के आतंक के ख़िलाफ़ है.''
इस रैली को मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश जैसे कई लोगों ने संबोधित किया.
ममता की घोषणा
मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश ने सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि वो लालगढ़ में क़ानून की मदद से आदिवादियों को दबा रही है.
मैं पुलिस को चुनौती देता हूँ कि वो मुझे गिरफ़्तार करे. हमने आदिवासियों को इस रैली में शामिल होने के लिए प्रेरित किया क्योंकि ये राज्य के आतंक के ख़िलाफ़ है.
मनोज महतो, सचिव, पीसीपीए
ममता बनर्जी ने इस रैली को ग़ैरराजनीतिक क़रार दिया और कहा कि ये लालगढ़ में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आयोजित की गई.
ममता बनर्जी का कहना था कि लालगढ़ में नक्सलवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के नाम पर राज्य सरकार ने स्वाभाविक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ख़त्म कर दिया है और यह रैली इसी के विरोध में है.
माओवादी नेता किशनजी ने भी आदिवासियों से रैली में शामिल होने को कहा था.
ग़ौरतलब है कि सुरक्षाबल लालगढ़ में माओवादियों के ख़िलाफ़ बड़ा अभियान छेड़े हुए हैं.
लेकिन माओवादियों और ममता के एक साथ आने से सीपीएम को केंद्र सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है और वो कह रहे हैं कि नक्सलियों के ख़िलाफ़ सरकार की रणनीति विरोधाभासी है.
दरअसल पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष होने वाले चुनावों की तैयारी शुरु हो चुकी है और ये रैलियां शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा मानी जा रही हैं.