अब बरेली दाऊद के निशाने पर है।

 आईएसआई और दाऊद के नेपाल गठजोड़ को तोडऩे में बरेली की अहम भूमिका के मद्देनजर दाऊद गिरोह ने बरेली सेंट्रल जेल को अपना निशाना बनाया है। दाऊद गिरोह के उस खास कारिंदे को इस काम के लिए चुना गया है, जो आईएसआई के लिए पहले से काम कर रहा है और फिलहाल बरेली सेंट्रल जेल में बंद है, और उसे मिल रही है बाहर से सारी जरूरी मदद। खुफिया एजेंसी की जो खबरें सम्बद्ध विभागों के स्तर पर अंदर ही अंदर तेजी से दौड़ रही हैं वह अंदर अंदर सुलग भी रही हैं। दाऊद और आईएसआई का बरेली सेंट्रल जेल में बंद मास्टर शूटर फहीम अंसारी उसी जेल में कैद माफिया सरगना बबलू श्रीवास्तव और मंगे सरदार को ठिकाने लगाने के लिए मौके की तलाश में है।

जिस तरह माफिया सरगना छोटा राजन और डॉन बबलू श्रीवास्तव मुंबई और बरेली से ही मोहरे बिछा कर नेपाल में दाऊद-आईएसआई नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने में लगे हैं, उसी रणनीति का इस्तेमाल कर आईएसआई दाऊद गिरोह की मदद से बबलू का सफाया कराना चाह रही है। दाऊद गिरोह के खास खास लोगों पर जिस तरह हमला बढ़ा है, उससे डी कंपनी को लगने लगा है कि बबलू का सफाया किए बगैर नेपाल में जड़ें नहीं जमाई जा सकतीं। डी कंपनी दाऊद के भाई इकबाल कासकर पर कुछ ही दिन पहले हुए हमले से हिली हुई है। इकबाल कासकर पर हमला दाऊद-आईएसआई नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए हो रहे हमले की बाद की कड़ी है। नेपाल के कुख्यात माफिया सरगना और नेपाल में दाऊद का सिंडिकेट मजबूत करने वाले मिर्जा दिलशाद बेग की कई साल पहले हत्या कर दी गई थी। बेग ने भी अपने भारत विरोधी गोरखधंधों को धड़ल्ले से चलाते रहने के लिए राजनीति का नकाब पहन रखा था और नेपाल में मंत्री भी था। बेग की हत्या भी माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव के साथियों ने ही की थी।
 आईएसआई का नेपाल किला ध्वस्त होने के बाद जामिम शाह और सलीम मियां अंसारी को बढ़ावा दिया गया। सलीम मियां अंसारी ने भी धंधे के बचाव के लिए राजनीति की खाल ओढ़ी और आईएसआई की मदद से वह भी नेपाल सरकार में मंत्री बन बैठा। नेपाल में केबल टीवी के धंधे की आड़ में आईएसआई प्रेरित जाली नोटों का धंधा करना जामिम शाह का मुख्य काम था। पिछले साल जामिम की हत्या डी कंपनी और आईएसआई के लिए करारा झटका जरूर थी लेकिन सलीम मियां अंसारी दूसरा मिर्जा दिलशाद बेग बन चुका था और उसका बेटा युनूस अंसारी भी आगे बढ़ कर दाऊद और आईएसआई के लिए काम कर रहा था। पिछले दिनों काठमांडू जेल के अंदर घुस कर जिस तरह युनूस अंसारी को गोली मारी गई, उसने डी कंपनी और आईएसआई दोनों को चौंका कर रख दिया। जेल सुरक्षा गार्ड द्वारा देख लिए जाने और अचानक अवरोध खड़ा किए जाने के कारण हमलावर का निशाना चूक गया, नहीं तो सलीम मियां का अपराधी बेटा काठमांडू जेल में मारा गया होता। उसके कंधे में गोली लगी और वह बच गया। लेकिन हमलावर जसजीत सिंह के पकड़े जाने के कारण यह खुलासा हो गया कि इस हमले के सूत्र भी बरेली जेल से जुड़े हैं। जसजीत भी माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का ही आदमी निकला। इसके बाद ही डी कंपनी ने बबलू श्रीवास्तव और उसके साथियों के सफाये की योजना तेज कर दी। अभी हाल ही बबलू ने जान पर संकट की आशंका भी जाहिर की थी। लेकिन
प्रशासन ने उस समय इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। लेकिन केंद्रीय खुफिया एजेंसी की ताजा सूचनाओं के बाद चौकसी बरतने और हिदायती संदेशों का आवागमन तेज हो गया है।
बबलू और उसके साथी को निपटाने के लिए डी कंपनी लखनऊ जेल में बंद सबाउद्दीन अहमद को बरेली जेल ट्रांसफर कराने की जुगाड़ में है। सबाउद्दीन के बरेली जेल आ जाने से फहीम का हाथ मजबूत होगा। वैसे, बरेली शहर में बैठे दाऊद के गुर्गे फहीम से लगातार मिल रहे हैं और संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है। फहीम अंसारी और सबाउद्दीन मुंबई हादसे (26/11) के अलावा &1 जनवरी 2007 को रामपुर स्थित सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर (26/11) के अलावा &1 जनवरी 2007 को रामपुर स्थित सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर पर हमला कर सात जवानों समेत नौ लोगों को मार डालने के मामले में भी अभियुक्त हैं। मुंबई हादसे में सबूतों के अभाव में बरी हुए फहीम अंसारी को इसी वजह से मुंबई के आर्थर रोड जेल से हटा कर बरेली जेल में रखा गया है। सबाउद्दीन अहमद भी रामपुर हमले का अभियुक्त है। दाऊद इस मौके का फायदा उठाना चाहता है।
आपको फिर से याद दिला दें कि अभी कुछ ही अर्सा पहले नेपाल के मीडिया टाइकून और पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के बेटे युनूस अंसारी को काठमांडू जेल के अंदर घुस कर गोली मारी गई थी। युनूस जख्मी हुआ लेकिन उसकी जान बच गई। हमलावर मौके पर ही पकड़ लिया गया। तब यह भेद खुला कि हमलावर जसजीत सिंह बरेली सेंट्रल जेल में बंद माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव और उसके खास मंगे सरदार का आदमी है। युनूस अंसारी और उसका बाप सलीम मियां अंसारी, दोनों ही दाऊद इब्राहीम के खास हैं और मिर्जा दिलशाद बेग के मारे जाने के बाद नेपाल में बिखरे आईएसआई के तानेबाने को फिर से मजबूत बनाने के अहम किरदार हैं। नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोटों का धंधा फैला कर भारतीय अर्थ व्यवस्था को खोखला करने में भी दोनों बाप-बेटों और उसके गिरोह की अहम भूमिका उजागर हो चुकी है। दोनों कई बार जाली नोटों के साथ पकड़े भी जा चुके हैं, लेकिन नेपाल में उनका कोई बाल बांका नहीं कर पा रहा है। एक वर्ष पहले नेपाल में केबल टीवी के धंधे का बादशाह जामिम शाह सरेबाजार मारा गया था। जामिम का केबल टीवी का धंधा केवल एक आवरण था। उसका असली धंधा अंसारी बाप-बेटे के साथ जाली नोटों का नेपाल के रास्ते भारत में कारोबार फैलाना था। इन दोनों गिरोहों पर दाऊद का सीधा हाथ है और आईएसआई की तरफ से इन्हें पूरी मदद दी जाती है। इस मदद में कूटनीतिक मदद भी शामिल है। युनूस अंसारी पर जेल में गोली दागने वाला जसजीत सिंह लखनऊ का रहने वाला है और उसे बरेली सेंट्रल जेल में बंद बबलू के साथी मंगे सरदार का रिश्तेदार भी बताया जा रहा है। नेपाल पुलिस ने इस सिलसिले में राम द्विवेदी और सुरेश द्विवेदी नामके को दो लोगों को भी गिरफ्तार किया, जो उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं। नेपाल के पूर्व मंत्री सलीम मियां अंसारी के बेटे युनूस अंसारी को ढाई लाख रुपए की नकली भारतीय मुद्रा के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। काठमांडू के एक आलीशान होटल में दो पाकिस्तानियों ने उन्हें जाली भारतीय मुद्रा दी थी। बाद में दोनों पाकिस्तानी भी पकड़े गए थे और उनके पास से चार किलोग्राम हेरोइन भी पकड़ी गई थी।
नेपाल के सरकारी तंत्र पर खासा पकड़ रखने वाली आईएसआई नेपाल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुंह से यह प्रचारित करवा रही है कि युनूस की हत्या की साजिश भले ही बरेली सेंट्रल जेल से रची गई हो, लेकिन इस साजिश की असली सूत्रधार भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ है। इस सिलसिले में नेपाल पुलिस की टीम बरेली सेंट्रल जेल में बबलू और मंगे से पूछताछ करने भी आई लेकिन जरूरी कूटनीतिक औपचारिकताएं पूरी नहीं किए जाने के कारण उन्हें पूछताछ की इजाजत नहीं दी गई थी। इस टीम में नेपाल के मेट्रोपॉलिटन पुलिस क्राइम डिवीजन के प्रमुख एसएसपी हेमंत मल्ला भी शामिल थे। आईएसआई के बढ़ते प्रभाव के आगे नेपाल सरकार कितनी पंगु है, यह इससे ही पता चलता है कि काठमांडू जेल में युनूस अंसारी जैसे अपराधी सरगना पर हुए हमले की जांच के लिए नेपाली सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राजेंद्र भंडारी की अध्यक्षता में बाकायदा उ‘चस्तरीय जांच कमेटी गठित की गई, जिसमें नेपाल के उप महाधिवक्ता प्रेमराज कार्की और डीआईजी कुबेर सिंह राणा शामिल हैं।

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