देश फिर हो गया 125 करोड़ रुपये की कमीशन खोरी का शिकार, संचार उपग्रह जीसैट-5पी का प्रक्षेपण नाकाम

तहलका टुडे टीम 
चेन्‍नई. देश  फिर हो गया कमीशनखोरी  का  शिकार ,  इसरो के लिए क्रिसमस का मजा किरकिरा हो गया, क्‍योंकि भारत के उपग्रह कार्यक्रम को आज बड़ा झटका लगा। संचार उपग्रह जीसैट-5पी का प्रक्षेपण नाकाम हो गया। उपग्रह को यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर, श्रीहरिकोटा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र से जीएसएलवी एफ06 के जरिए अं‍तरिक्ष के लिए रवाना किया गया। पर लॉन्‍च के 2 मिनट के अंदर ही रॉकेट रास्‍ते से भटक गया और इसमें विस्‍फोट हो गया। इस साल इससे पहले 15 अप्रैल को भी जीएसएलवी का प्रक्षेपण नाकाम हो गया था।
आज की नाकामी से दूरसंचार, टेलीविजन और मौसम पूर्वानुमान आदि से जुड़ी सेवाओं पर असर होगा। जीसैट-5पी को इनसैट2ई की जगह इस्‍तेमाल किया जाना था। 1999 में प्रक्षेपित किए गए इनसैट2ई की मियाद खत्‍म होने वाली है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी के मुताबिक उपग्रह को तय समय पर, शाम 4.04 बजे जीएसएलवी रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। इस उपग्रह का वजन 2130 किलोग्राम था। इसमें 206 टन ईंधन भरा गया था।
जीएसएलवी रॉकेट 51 मीटर लंबा और 418 टन का होता है। इसके जरिए उपग्रह प्रक्षेपण तीन चरणों में पूरा होता है। पहले चरण में ठोस ईंधन के जरिए इसे प्रज्‍वलित किया जाता है। दूसरे चरण में यही प्रक्रिया तरल ईंधन के जरिए पूरी की जाती है। तीसरे चरण में क्रायोजेनिक इंजन को तरल ईंधन (हाइड्रोजन) और ऑक्‍सीडाइजर (लिक्विड ऑकसीजन) के जरिए प्रज्‍वलित किया जाता है। तीसरा चरण, बाकी के दो चरणों की तुलना में ज्‍यादा कठिन होता है। आज जीसैट-5पी के प्रक्षेपण में पहले चरण में ही खामी आ गई और कुछ ही देर में उपग्रह में विस्‍फोट हो गया। अप्रैल में तीसरे चरण के दौरान आई खामी के चलते प्रक्षेपण नाकाम हुआ था।
125 करोड़ रुपये खर्च कर जीसैट-5पी उपग्रह को 13 साल तक काम करने के लिए तैयार किया गया था और इसमें 36 ट्रांसपोंडर थे।

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