अब शीतकालीन सत्र में शत्रु संपत्ति बिल

तहलका टुडे टीम  
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को लोकसभा में शत्रु संपत्ति [संशोधन] विधेयक को वापस लेते हुए इसे नए सिरे से संसद के शीतकालीन सत्र में लाने की घोषणा की।
इस विधेयक पर विभिन्न सदस्यों की आपत्ति के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सदन में कहा कि सभी सदस्य जानते हैं कि शत्रु संपत्ति [संशोधन एवं विधिमान्यकरण] विधेयक को लेकर सोमवार सुबह सदन में किस तरह की स्थिति रही। इस मामले में सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद हमने अनेक दलों के सदस्यों से चर्चा की और तय हुआ कि अब हम अगले सत्र [शीतकालीन सत्र] में नया विधेयक लाएंगे।
इस लिहाज से संशोधन की प्रतियां सदस्यों को बांटी गई हैं ताकि वे इस पर अध्ययन कर सकें। चिदंबरम के इस जवाब पर नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि गृह मंत्री के जवाब से ऐसी आशंका लगती है कि सरकार की नीयत में खोट है। उन्होंने जानना चाहा कि सरकार इस अध्यादेश को खत्म कर नया अध्यादेश लाने पर तो विचार नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि जब से हमारे यहां स्थाई समितियों का गठन हुआ है तब से यह नियम और परंपरा रही है कि कोई नया विधेयक या विधेयक में संशोधन लाने पर निर्णय करने के लिए उसे स्थाई समिति को भेजा जाता है।
उन्होंने कहा कि लेकिन अपवादस्वरूप अध्यादेश से विधेयक लाने में स्थाई समिति नहीं आती इसलिए शत्रु संपत्ति [संशोधन] विधेयक पर हमने स्थाई समिति को भेजने का विचार नहीं रखा था।
सुषमा ने कहा कि लेकिन सरकार ने जो संशोधन इस विधेयक में रखे हैं उनसे हमें लगता है कि कहीं इसका मूल स्वरूप ही नहीं बदल जाए। अत: यदि सरकार इसे संशोधनों के साथ स्थाई समिति को दे रही है तो हम सरकार के साथ हैं।
सुषमा ने यह भी कहा कि और यदि सरकार की मंशा यह है कि संशोधनों के लिए सदस्यों को दिए गए समय के बीच सरकार नया अध्यादेश लाने का सोच रही है तो हम इसका विरोध करते हैं।
भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी कुछ इस तरह की आपत्ति जताते हुए कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि अध्यादेश की प्रकृति बदलकर इसमें संशोधन लाया जा रहा है। आडवाणी ने कहा कि मुझे बताया गया है कि राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश को सही बताया था।
हालांकि गृहमंत्री ने कहा कि सदस्य इस विधेयक पर अध्ययन चाहते हैं इसलिए यह समय तय किया गया है। उन्होंने कहा कि नया विधेयक लाने से पहले बीच के समय में क्या करना है सरकार इस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि यदि कुछ दलों के नेता इस पर अध्ययन करना चाहते हैं तो क्या गलत है। हम चाहते हैं कि इस विषय पर शंका नहीं जताई जाए। इससे पहले शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक पर मतभेदों के चलते लोकसभा में आज भारी हंगामा हुआ जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
समाजवादी पार्टी और राजद ने इस विधेयक को मुसलमान विरोधी बताया। सरकार द्वारा यह आश्वासन दिए जाने से समस्या और बढ़ गई कि वह सदस्यों की चिंताओं के समाधान के लिए संशोधन ला रही है। भाजपा और शिवसेना सदस्यों ने किसी भी प्रकार के संशोधन का विरोध किया और उसके सदस्य आक्रोशित हो गए।
शत्रु संपत्ति [संशोधन एवं विधिमान्यकरण] विधेयक 2010 में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए लोगों की संपत्तियों पर मालिकाना हक अदालतों के न्यायाधिकार में नहीं होगा। ये वे संपत्तियां हैं जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए लोग अपने पीछे छोड़ गए थे। देश में इस प्रकार की करीब दो हजार संपत्तियां हैं।

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