सत्ता की बात करूँ या दंगो की |



आज विश्व स्तर पे जो खून की होली बेगुनाहों की जान से खेली जा रही है इसका कारण केवल सत्ता हथियाना और विश्व विजय का शौक़ है | अमरीका को तो बस ताक़त का खुमार है जो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा |लगता है आधे विश्व के बेगुनाहों की जान लेने के बाद ही यह नशा कम होगा | कभी इराक तो कभी इरान तो कभी सीरिया बस एक ही एलान अमरीका का की हमला करो बिना यह सोंचे की मरने वालों का क्या कुसूर| आज बिचारे सिरिया के नागरिक अपनी अपने परिवार की जान बचाने के लिए दरदर भटक रहे हैं | जबसे सुना है की अमरीका किसी की नहीं सुनेगा और हमला अवश्य करेगा वहाँ के लोग पलायन कर रहे हैं | देखिये अब कितनो का नरसंहार होता है उस देश द्वारा जो शांति का नोबल पुरस्कार लिए बैठा है |
मुज़फ्फरनगर दंगो को देखिये कोई कहता है अखिलेश दोषी हैं कंट्रोल नहीं कर सके |अखिलेश यादव जी कहते हैं विपक्षी दल ज़िम्मेदार हैं | नफरत के पैगाम देने वाले लगे हैं यह बताने में की हिन्दू ज़िम्मेदार है इस दंगे का कुछ कहते हैं मुसलमान ज़िम्मेदार है | कुछ नहीं तो दंगों में ज़ुल्म के झूठे विडियो द्वारा आग भड़काई जा रही है | ऐसे लेख भी लिखे जा रहे हैं जिनको पढ़ के इंसानों में आपसी नफरत की आग और भड़क सकती है | पता नहीं ऐसा करने वालों को अपने जैसे दुसरे इंसानों के दर्द का एहसास क्यूँ नहीं होता | भड़काऊ भाषण औए लेख के पहले इनका दिल क्यूँ नहीं रोता ?आम इंसान से पूछो तो वो कहता है भाई इलेक्शन का साल है दंगे तो होने ही हैं यह कोई नयी बात नहीं | कोई कहता है की गुजरात में वैसे भी दंगो के बाद से मोदी की ताक़त बढ़ी है तो मुज़फ्फरनगर में क्यूँ न इसे आजमाया जाये | अब इसमें तो कोई कॉपी राईट नहीं है |मीडिया लगी है अपनी टी आर पी बढाने में और बेगुनाहों के घर उजाड़ रहे हैं दंगों मे

सरकार लगी है अधिकारीयों को सस्पेंड करने में लेकिन कब रुकेगा यह नरसंहार पूरे विश्व में जो सत्ता और ताक़त के नाम पे किया जा रहा है कोई नहीं जानता ? आज हर इंसान की ज़िम्मेदारी है की इंसानों के दर्द को समझो और भड़काऊ बातें, लेख ,ख़बरों से दुरी बनाएं और मुज़फ्फरनगर के दंगा पीड़ितों की मदद करें और उनपे किये जा रहे ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाएं बिना यह देखे की वो किस धर्म, जाति के हैं या किस सियासी पार्टी से सम्बंधित हैं | इस खुनी राजनीती का अंत यहाँ के जागरूक नागरिक अवश्य कर सकते हैं यदि वो धर्म ,जाती से ऊपर उठ कर इंसानों के दर्द को समझें और वोट देने के पहले सोंचें|

कहाँ ले के जायेगा ये इंसान इस सत्ता को,गद्दी को ? बड़े बड़े राजा महाराजा, बादशाह इस दुनिया में नरसंहार से जीते हुए सिंघासन और ताक़त अपने साथ न ले जा सके|सब देखता है और जानता है यह इंसान फिर भी ताज्जुब होता है सत्ता की लालच में होते विश्व स्तर पे होते इस नरसंहार को देखे के |

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