वरिष्ट पत्रकारों ने भी खोला पत्रकार काज़मी की रिहायी के लिए मोर्चा
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दिल्ली : भारत के वरिष्ठ पत्रकार और रेडियो तेहरान के संवाददाता मोहम्मद अहमद काज़मी की रिहाई के लिए प्रयास जारी हैं।
इस
संदर्भ में गठित काज़मी सॉलिडेरिटी कमेटी के सदस्यों ने बुधवार को दिल्ली
में प्रेस क्लब आफ इंडिया में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि
गिरफ्तारी बिलकुल ग़ैर क़ानूनी है। पत्रकार सम्मेलन में भाग लेने वालों ने
कहा कि मोहम्मद अहमद काज़मी को इस्राईली गुप्तचर संस्था मोसाद के दबाव में
गिरफ्तार किया गया है। इस अवसर पर जेलों में बंद निर्दोषों की रिहाई के लिए
काज़मी सॉलिडेरिटी कमेटी के गठन की भी घोषणा की गयी। कमेटी में जॉन
चेरियन, सुकुमार मुर्लीधरन, कुल्दीप नैयर ज़फर आग़ा, सीमा मुस्तफा , संदीप
दिक्षित, सईद नक़वी, सबा नक़वी, प्रफुल बिदवई, इफ्तिख़ार गिलानी, शबनम
हाशमी , संजय कपूर, अजित साही कॉलिन गनजाल्वेज, नित्या रामाकृष्णन, मनीषा
सेठी, कमल मित्र चिनॉय जैसे वरिष्ठ पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल
हैं।
याद रहे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छह मार्च को वरिष्ठ
पत्रकार मोहम्मद काज़मी को गिरफ्तार किया था इस समय वे न्यायिक हिरासत में
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। बुधवार को आयोजित संवादददाता सम्मेलन
में पुलिस द्वारा काज़मी पर लगाए गये आरोपों को निराधार बताया गया। कमेटी
के सदस्यों ने काज़मी और उनकी पत्नी के बैंक खाते में विदेश से आए पैसे के
पुलिस के आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि उनके खाते में विदेशों से आए
सारे पैसे कानूनी तरीकें से आए थे और यह रक़म दुबई में रह रहे काज़मी के
बड़े बेटे ने भेजे हैं। कमेटी ने बैंक खाते का ब्योरा भी जारी किया जिसके
अनुसार काज़मी की पत्नी जहां आरा काज़मी के खाते में विदेश से भेजे जाने
वाले जिस पैसे की बात पुलिस कर रही है वह पिछले चार वर्षों में उनके बेटे
द्वारा भेजे गये हैं।
इस अवसर पर पर सॉलीडेरिटी कमेटी के एक
सदस्य तथा उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रसिद्ध मानवाधिकार
कार्यकर्ता कॉलिन गनजाल्वेज ने कहा कि कानूनी दृष्टि से काज़मी के विरुद्ध
मामला बहुत ही कमज़ोर है क्योंकि उनके विरुद्ध जो प्रमाण हैं उनमें कोई दम
नहीं है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद अहमद काज़मी की गिरफ्तारी का निर्णय
दिल्ली पुलिस तक सीमित नहीं है बल्कि अमरीकी और इस्राइली लॉबी को संतुष्ट
करने के लिए भारतीय गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर
काज़मी को गिरफ्तार करने का निर्णय किया गया है। समिति की एक अन्य सदस्य और
प्रसिद्ध पत्रकार सीमा मुस्तफ़ा ने कहा कि इस्राईल इस मामले की आड़ में
अपने भू-राजनीतिक हित साधने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि विस्फोट
के बाद इस्राईल द्वारा ईरान को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के बावजूद भारत ने
ईरान के विरुद्ध कुछ कहने से इन्कार कर दिया था किंतु भारत सरकार और
विशेषकर भारतीय गृहमंत्रालय पर इस्राईल का दबाव बढ़ने लगा जिसके बाद काज़मी
की गिरफ्तारी से यह सिद्ध होता है कि भारत सरकार ने इस मामले पर अपना
विचार बदल लिया है। सॉलीडेरीटी कमेटी ने कहा है कि वे इस मामले में कानूनी
लड़ाई जारी रखेगी और जल्द ही एक जनसभा भी आयोजित की जाएगी। मोहम्मद अहमद
काज़मी के बेटे तुराब काज़मी ने रेडियो तेहरान से वार्ता में संवाददाता
सम्मेलन का ब्योरा देते हुए आगामी दिनों में लखनऊ में रेल रोको आंदोलन की
भी जानकारी दी। इस पूर्व भी नई दिल्ली सहित भारत के विभिन्न नगरों में
काज़मी की रिहाई के लिए प्रदर्शन और रेल रोको आंदोलन हो चुके हैं किंतु
भारतीय मीडिया काज़मी से संबंधित समाचारों के अधिक कवरेज नहीं दे रहा है।