भ्रष्टाचार के आरोपी हमीदुल्लाह भट्ट को कौमी उर्दू काउन्सिल के निदेशक पद से हटाया गया
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2012/02/blog-post_25.html
तहलका टुडे टीम
दिल्ली:हमीदुल्लाह भट्ट को कौमी उर्दू काउन्सिल के निदेशक पद से हटाया गया,भट्ट पर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे इसी आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट में जावेद रहमानी और प्रोफ़ेसर लुतफुर रहमान ने जन हित याचिका दायर करके भट्ट को हटाने का मुतालबा किया था !जिस पर दिल्ली उच्च न्यायलय ने 9 दिसंबर 2011 को ही भट्ट को हटाने का आदेश दिया था और CBI को निर्देश दिया था कि भट्ट के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की पूरी जाँच करके दस हफ्ते में रिपोर्ट करे
मंत्रालय को निर्देश दिया था कि उसके भ्रष्टाचार से सम्बंधित आरोपों की जाँच के लिए गठित कमिटी की पूरी रिपोर्ट छह सप्ताह के अन्दर दाखिल करे !मगर मंत्रालय ने अभी तक कुछ नहीं किया था
जावेद रहमानी ने मंत्रालय ,उर्दू काउन्सिल और भट्ट के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका अपने वकील अर्जुन हर्कावली द्वारा दाखिल की थी जिस पर न्यायलय ने 21 फ़रवरी 2012 को तीनों को सख्त नोटिस और सम्मन जारी किया जिस में तीनों से अदालत के निर्देश का तुरंत पालन करके अदालत में एफ़ीडेविट दाखिल करके बताने को कहा
जावेद रहमानी ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और सचिव उच्च शिक्षा विभाग विभा दास पूरी को पत्र लिख कर उच्च न्यायलय की नोटिस और सम्मन के साथ भेजा और भट्ट को तुरंत हटाने की मांग की इसके तुरंत बाद हमीदुल्लाह भट्ट को कौमी उर्दू काउन्सिल के निर्देशक के पद्द से हटा दिया और फ़िलहाल निर्देशक का चार्ज कौमी उर्दू काउन्सिल के प्रिंसिपल पब्लिकेशन आफिसर नसीम अहमद को सौंपा गया
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस फैसले का सम्पूर्ण उर्दू जगत ने स्वागत किया और कहा कि यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए था और जावेद रहमानी और प्रोफ़ेसर लुतफुर रहमान का आभार प्रकट किया कि उन्हों ने उर्दू की सबसे बड़ी संस्था को इतने बड़े भ्रष्टाचारी के चंगुल से आज़ाद कराया !
दिल्ली:हमीदुल्लाह भट्ट को कौमी उर्दू काउन्सिल के निदेशक पद से हटाया गया,भट्ट पर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे इसी आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट में जावेद रहमानी और प्रोफ़ेसर लुतफुर रहमान ने जन हित याचिका दायर करके भट्ट को हटाने का मुतालबा किया था !जिस पर दिल्ली उच्च न्यायलय ने 9 दिसंबर 2011 को ही भट्ट को हटाने का आदेश दिया था और CBI को निर्देश दिया था कि भट्ट के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की पूरी जाँच करके दस हफ्ते में रिपोर्ट करे
मंत्रालय को निर्देश दिया था कि उसके भ्रष्टाचार से सम्बंधित आरोपों की जाँच के लिए गठित कमिटी की पूरी रिपोर्ट छह सप्ताह के अन्दर दाखिल करे !मगर मंत्रालय ने अभी तक कुछ नहीं किया था
जावेद रहमानी ने मंत्रालय ,उर्दू काउन्सिल और भट्ट के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका अपने वकील अर्जुन हर्कावली द्वारा दाखिल की थी जिस पर न्यायलय ने 21 फ़रवरी 2012 को तीनों को सख्त नोटिस और सम्मन जारी किया जिस में तीनों से अदालत के निर्देश का तुरंत पालन करके अदालत में एफ़ीडेविट दाखिल करके बताने को कहा
जावेद रहमानी ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और सचिव उच्च शिक्षा विभाग विभा दास पूरी को पत्र लिख कर उच्च न्यायलय की नोटिस और सम्मन के साथ भेजा और भट्ट को तुरंत हटाने की मांग की इसके तुरंत बाद हमीदुल्लाह भट्ट को कौमी उर्दू काउन्सिल के निर्देशक के पद्द से हटा दिया और फ़िलहाल निर्देशक का चार्ज कौमी उर्दू काउन्सिल के प्रिंसिपल पब्लिकेशन आफिसर नसीम अहमद को सौंपा गया
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस फैसले का सम्पूर्ण उर्दू जगत ने स्वागत किया और कहा कि यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए था और जावेद रहमानी और प्रोफ़ेसर लुतफुर रहमान का आभार प्रकट किया कि उन्हों ने उर्दू की सबसे बड़ी संस्था को इतने बड़े भ्रष्टाचारी के चंगुल से आज़ाद कराया !