CBI की तफ्तीश! हत्या नहीं खुदकुशी थी डॉ. सचान की मौत
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लखनऊ। लखनऊ के बहुचर्चित सीएमओ हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है। डिप्टी सीएमओ वाय एस सचान की जेल में हुई हत्या की जांच कर रही देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को लगता है कि सचान ने खुदकुशी की थी। सूत्रों के मुताबिक मामले की गहरी छानबीन और मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय के बाद सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची है। लेकिन फिर भी सवाल खड़े हैं कि सचान के शरीर पर चोटों के निशान क्यों मिले थे और किसने दिए?
शरीर पर धारदार हथियार से चोट के नौ निशान, गर्दन और जांघ पर चोट के निशान, पीठ पर खरोंच के निशान के बारे में सीबीआई को लगता है कि सचान ने ही खुद को ये चोटें पहुंचाई थीं? सूत्रों के मुताबिक सीबीआई मानती है कि सचान ने अपने दो साथी सीएमओ विनोद आर्या और वीपी सिंह की हत्याओं की पड़ताल के दबाव में आकर ये कदम उठाया। पता चला है कि सीबीआई ने सचान के शरीर पर चोटों के निशान के बारे में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट्स की राय भी ली थी, जिनके मुताबिक ये चोट खुद भी पहुंचाई जा सकती हैं।
सचान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सुबह 11 बजे से 12 बजे के बीच डॉ सचान की मौत हुई। पेट खाली था यानी उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। शरीर पर धारदार हथियारों से चोट के नौ निशान मिले। पीठ पर भी खरोंच के निशान थे। दोनों हाथों की नसें कटी हुई थीं और गर्दन और जांघ पर चोट के निशान थे। दो घावों की गहराई तीन इंच से ज्यादा थी।
22 जून, 2011 को जिस दिन डॉ सचान की लाश मिली उस दिन सुबह 7.15 बजे दो बंदीरक्षक समेत चार लोग सचान के बेड पर पहुंचे और ये कहा कि आपको पेशी पर कोर्ट ले जाना है। ये चारों सचान को लेकर निकले और उसके बाद सीधे सचान की लाश मिली। क्या ऐसे में हत्याकांड के हालात किसी साजिश की ओर इशारा नहीं करते?
जेल में कुल 26 सीसीटीवी कैमरे लगे थे। एक कैमरा अस्पताल के एंट्री गेट पर लगा था, लेकिन ये कैमरा 22 तारीख को ही बंद था। इस कैमरे के अलावा कुछ और कैमरे भी बंद थे। सवाल ये है कि क्या ये कैमरा जानबूझकर तो बंद नहीं कराया गया था?
डॉ सचान के गले में जो बेल्ट लिपटी मिली थी वो चार फीट की थी। इसका सबसे पहला हुक भी इतना ढीला था कि बेल्ट सचान की कमर में नहीं बांधी जा सकती थी। मतलब है कि ये बेल्ट सचान की नहीं थी। तो सवाल ये उठता है कि फिर ये बेल्ट किसकी थी। जबकि घरवाले भी ये कह चुके हैं कि सचान के पास बेल्ट नहीं थी। इसके अलावा जो पैंट सचान ने पहन रखी थी उसमें बेल्ट बांधने की लूफ ही नहीं थी।
इन हालात पर गौर करने के बाद ये सवाल उठना लाजमी ही है कि क्या सीबीआई किसी दबाव में डॉ सचान की खुदकुशी के नतीजे पर पहुंची है? या मौका ए वारदात पर सीबीआई के पहुंचने से पहले ही वो सुबूत मिटा दिए गए जो उसे साजिश की तह तक पहुंचा सकते थे।