कांग्रेस का मुसलमानों को खंड-खंड करने का अभियान, क्या इसका होगा फायदा या नुकसान?

कांग्रेस ने इस बार गजब का दांव मारा है। यह दांव वैसा ही है, जैसा कि 1971 में इंदिराजी ने मारा था। गरीबी हटाओ! गरीबी हटी या नहीं, प्रतिपक्ष हट गया। 1967 में लड़खड़ाई कांग्रेस को 352 सीटें मिल गईं| इस बार बाबा रामदेव और अन्ना हजार के आंदोलनों ने सरकार की नींव हिला दी है। उसे इस समय सिर्फ दो ही तारणहार दिखाई पड़ रहे हैं। भोजन-सुरक्षा कानून याने भूख मिटाओ और अल्पसंख्यक आरक्षण याने मुसलमान पटाओ।
भूख मिटाओ पैंतरा काफी अच्छा है बशर्ते कि वह ईमानदारी से लागू हो जाए लेकिन मुसलमान पटाओ पैंतरा कांग्रेस के लिए ही नहीं, देश के लिए और उससे भी ज्यादा मुसलमानों के लिए काफी खतरनाक सिद्घ हो सकता है। कांग्रेस पार्टी बड़े समझदारों की पार्टी है। वह इतनी भोली नहीं कि वह नाम लेकर बताए कि वह मुसलमानों को पटाने पर उतारू है। उसने अपनी चाल पर ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का पर्दा डाल दिया है। वह अब ‘अल्पसंख्यकों’ को 4.5 प्रतिशत आरक्षण देगी। अल्पसंख्यकों में सिर्फ उन्हें आरक्षण मिलेगा, जो पिछड़े हैं। इससे कम से कम आठ प्रकार के नुकसान होंगे।

पहला, सच्चे मुसलमान नाराज़ होंगे। वे कहेंगे कि कांग्रेस मुसलमानों पर भी जातिवाद की काफिराना हरकत थोप रही है। यह इस्लाम के मानवीय बराबरी के मूल सिद्घांत के खिलाफ है।
दूसरा, मुसलमानों में जो ऊंची जातियों के लोग हैं, उनके दिल में जलन पैदा होगी याने मुस्लिम समाज में फूट पड़ेगी।
तीसरा, अभी पिछड़े मुसलमानों को किसी राज्य में 12 प्रतिशत और किसी में 3 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है, यदि यही आरक्षण अन्य ‘अल्पसंख्यकों’ याने ईसाई, सिख, बौद्घ, जैन और पारसियों में बंट गया और 4.5 प्रतिशत में से बंट गया तो मुसलमानों के पास अभी जितना है, वह भी जाता रहेगा। धोती की आस में लंगोटी भी गई! अनेक मुस्लिम संगठन मांग कर रहे हैं कि मुसलमानों को कम से कम 10 प्रतिशत का आरक्षण मिलना चाहिए और उसमें जाति का आधार नहीं होना चाहिए। इस आरक्षण को वे धोखे की ठट्रठी बता रहे हैं|
चौथा, कांग्रेस को मुसलमानों के थोक वोट मिलेंगे या नहीं, उसके करोड़ों पिछड़ों के वोट थोक में गल जाएंगे, क्योंकि पिछड़े नेता कह रहे हैं कि उनके 27 प्रतिशत के आरक्षण में ये 4.5 प्रतिशत का चक्कू लग गया है। गरीबी में आटा गीला हो रहा है। वे सीधा विरोध नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी मुसलमानों के थोकबंद वोट चाहिए। वे कह रहे हैं कि मुसलमानों को अलग से 12 से 18 प्रतिशत तक का आरक्षण मिलना चाहिए। तुम डाल-डाल तो हम पात-पात!
पांचवा, कांग्रेस के इस दांव का फायदा सबसे ज्यादा भाजपा को होगा। उसे बैठे-बिठाए बहुसंख्यकों के वोट मिलेंगे।
छठा, देश के तथाकथित बहुसंख्यकों के बीच औसत मुसलमान भी दया और घृणा के पात्र् बन जाएंगे। कांग्रेस का यह कदम सामाजिक न्याय की बजाय सामाजिक तनाव पैदा करेगा।
सातवां, यह कदम देश को जाति और मजहब, दोनों के आधार पर बांटेगा। यह दोहरा ज़हर है।
आठवां, यह हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मूल्यों और संविधान की भावना का मज़ाक है। चंद वोटों के खातिर कांग्रेस जैसी महान पार्टी ने देश और अपने मुसलमानों को दांव पर लगा दिया है। यदि उसके पास नेता और नीति होते तो उसे यह जुआ खेलने की जरूरत क्यों पड़ती?
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