मुस्लिम उच्च शिक्षण संस्थानों पर क़ब्ज़े की रणनीति

तहलका टुडे टीम
केन्द्र सरकार ने आल इण्डिया प्री मेडिकल टेस्ट के बहाने अल्पसंख्यक और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों को अपने नियंत्रण में लेने की रणनीति तय की है। केन्द्र सरकार के इस निर्णय की आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्म गुरू मौलाना डा. कल्बे सादिक़ ने कड़े शब्दों में निन्दा की है उन्होने कहा कि केन्द्र के इस निर्णय से अल्पसंख्यको की स्वतंत्रता की समाप्ति होगी।
 मेडिकल काउन्सिल आफ़ इण्डिया के माध्यम से आयोजित होने वाली परीक्षा में देश के अल्पसंख्यक संस्थान भी शामिल होंगे, जो कि संविधान की धारा 30, जिसमें अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थान चलाने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की गई है, के विरूद्र होगा। यही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली आल इण्डिया प्री मेडिकल टेस्ट का माध्यम सी.बी.एस.ई के प्रारूप से होगा, जबकि अल्पसंख्यक,पिछड़े तथा ग़रीब अधिकांश छात्र देश के विभिन्न प्रान्तों के अन्तर्गत संचालित होने वाले बोर्डों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिससे इस परीक्षा में सम्मिलित होने के बाद भी उनके चयनित होने की सम्भावना काफ़ी कम होगी। यही नहीं अल्पसंख्यक शिक्षण और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों की स्वतंत्रता के में पी.ए. ईमानदार वर्सेज़ महाराष्ट्र सरकार के एक महत्वपूर्ण निर्णय में उच्चतम न्यायालय के सात जजो की एक बेन्च ने 12 अगस्त 2005 को सुनाए गए अपने निर्णय में कहा था कि प्रदेश सरकार अपनी आरक्षण नीति को अल्पसंख्यक और ग़ैर अनुदानित निजी शैक्षिक संस्थानों पर नहीं थोप सकती। कई राज्य सरकारों ने इस फैसले का सख़्त विरोध किया है और तमिलनाडु हाईकोर्ट ने इस फ़ैसले पर रोक लगाई हुई है। 

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