बहरैन में सऊदी अरब की सैनिक कार्यवाही ग़ैर क़ानूनी

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इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के सैनिक मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल यहया रहीम सफ़वी ने कहा कि सऊदी अरब का यह क़दम अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के साथ ही मानवीय एवं इस्लामी नियमों से भी विरोधाभास रखता है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की इस कार्यवाही से क्षेत्र में अमरीका, सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब इमारात के विरुद्ध घृणा की भावना तेज़ हुई है। जनरल सफ़वी ने कहा कि क्षेत्र में जारी जनक्रान्ति, स्वतंत्रताप्रेमी आंदोलन है इससे राष्ट्रों को लाभ पहुंचेगा जबकि अमरीका तथा ज़ायोनी शासन को हानि होगी। उन्होंने आगे कहा कि पश्चिमी देश क्षेत्र के अरब देशों और ईरान के बीच मतभेद को हवा देने का प्रयास करते रहे हैं और उन्होंने अरब देशों को अरबों डालर के हथियार बेचने के लिए ईरानोफ़ोबिया फैलाया जबकि विवाद उत्पन्न करना ईरान की नीति नहीं है बल्कि वो चाहता है कि क्षेत्र में टिकाऊ शांति एवं सुरक्षा स्थापित हो। उधर ईरान ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि यदि बहरैन में जन प्रदर्शनों को कुचलने हेतु मनामा सरकार के लिए उसने सैनिकों की भर्ती बंद न की तो तेहरान-इस्लामाबाद कूटनैतिक संबंध प्रभावित होंगे। ईरान के विदेश उपमंत्री बेहरूज़ कमालवंदी ने तेहरान में पाकिस्तान के प्रभारी राजदूत को विदेश मंत्रालय तलब करके बहरैन भेजने के लिए पाकिस्तान में जारी सैनिकों की भर्ती पर ईरान की आपत्ति से उन्हें अवगत कराया। उधर सूचना है कि ईरान के इस चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान में सैनिकों की भर्ती जारी है जिन्हें जन प्रदर्शनों को कुचलने के लिए बहरैन भेजा जा रहा है। पाकिस्तानी सेना से संबंधित एक संस्था सैनिकों की भर्ती कर रही है जिन्हें भारी वेतनों पर बहरैन में तैनात किया जाएगा। रिपोर्टों के अनुसार गत मार्च महीने में एक हज़ार से अधिक सैनिकों की भर्ती हो चुकी है जबकि कुछ सप्ताहों के भीतर अन्य डेढ़ हज़ार सैनिकों की भर्ती की जाएगी। |