झारखंड में विधवाओं का गांव !

रांची. झारखण्ड की राजधानी रांची से 20 किलोमीटर दूर एक गाँव है ब्राम्बे। इसे लोग अब विधवाओं का गाँव कहने लगे हैं। यहाँ विधवा महिलाओं की संख्या लगभग 300 है। यानी हर एक घर में कम से कम दो महिलाएं विधवा हैं। विश्वास तो नहीं होता है। लेकिन है यह हकीकत। ऐसा नहीं है कि इस गाँव में कोई बीमारी या महामारी का प्रकोप है, जिससे यहाँ के पुरुष खत्म होते जा रहे हैं। बल्कि यहाँ लोगों के मरने का प्रमुख कारण है शराब और गरीबी, यहाँ के लोग शराब का अंधाधुंध सेवन करते हैं। कहा जाता है कि इस गाँव में मौत हर रोज दस्तक देती है।
करीब हर दिन इस गाँव से एक अर्थी निकलती है। यहाँ के युवा 35-40 की उम्र पर करते-करते मौत की गोद में समा जाते है। आलम यह है कि इस गाँव की 1500 की जनसंख्या में 300 की संख्या विधवाओं की है। पार्वती मिंज समेत इस गाँव की एनी महिलाएं बताती हैं कि यहाँ के लोग बहुत ज्यादा शराब पीते है ,जिसके कारण यहाँ पुरुष लगातार मौत के शिकार हो रहे है । ब्राम्बे गाँव में सफ्ताह में दो दिन हाट-बजार लगता है ,जिसमे हड़िया दारु की खूब बिक्री होती है। यहाँ के पुरुष सबसे ज्यादा हड़िया पीते है ,जिसके कारण यहाँ उनकी मौत लगातार हो रही है।
चर्च के फादर जोर्ज फ्रांसिस कि माने तो यह काफी बुरी बात है। युवा काल में ही आज लोग सब कुछ कर लेना चाहते हैं। ब्राम्बे गाँव में जिस दिन बाज़ार लगता है यहाँ सबसे ज्यादा हडिये की बिक्री होती है। बाज़ार के दिन 800-900 लीटर हड़िया की खपत हो जाती है। गरीबी के कारण यहाँ के लोगों का रहन-सहन भी निम्न स्तर का है ,जिसके कारण उन्हें बीमारी भी जल्द पकड़ लेती है और इलाज के अभाव में लोग असमय ही मृत्यु के शिकार हो जाते है। हालांकि, सरकार ने हड़िया पर रोकथाम के लिए कई योजनाये बनायीं लेकिन कोई भी जमीन पर नहीं उतर सकी। ग्राम प्रधान रामेश्वर मुंडा बताते हैं कि यहाँ की विधवाओं के लिए भी सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं है। यहाँ की महिलाओं को विधवा पेंशन भी नहीं मिल रहा

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