यु पी की बेकसूर अवाम पर माया की पुलिस और उनके नव रत्नों का ज़ुल्म का नतीजा,माया पर सीबीआई का शिकंजा

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तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली. यु पी की बेकसूर अवाम पर माया की पुलिस और उनके नव रत्नों का ज़ुल्म का नतीजा अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है, सीबीआई आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर शिकंजा कसती जा रही है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला बनता है।
मायावती ने कहा था कि आयकर अपील ट्रिब्यूनल द्वारा उन्हें राहत देने के बाद भी सीबीआई उन्हें परेशान कर रही है। मायावती की आय से अधिक संपत्ति मामले में ट्रिब्यूनल ने कहा था कि माया के पास जो आय से अधिक संपत्ति है वो उन्हें तोहफों के रूप में मिली है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभियोग को बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने उनके खिलाफ अकाट्य, विश्वसनीय और स्वीकार करने योग्य साक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं।
वही दूसरी तरफ यु पी की जनता का मानना है की यहाँ इनके नवरत्नों के इशारे पर पुलिस का नंगा नाच, बेकसूरों पर हो रहे ज़ुल्म से उठने वाली आहो का ये नतीजा है जो मायावती फंसती जा रही है ,किसानो,गरीब जनता,पत्रकारों पर किये जा रहे पुलिस ज़ुल्म से हजारो लोग अजीज़ आ चुके है, या तो उनकी जान गयी है या फिर दर दर की ठोकरे खा कर इंसाफ की भीख मांग रहे है
नई दिल्ली. यु पी की बेकसूर अवाम पर माया की पुलिस और उनके नव रत्नों का ज़ुल्म का नतीजा अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है, सीबीआई आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर शिकंजा कसती जा रही है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला बनता है।
मायावती ने कहा था कि आयकर अपील ट्रिब्यूनल द्वारा उन्हें राहत देने के बाद भी सीबीआई उन्हें परेशान कर रही है। मायावती की आय से अधिक संपत्ति मामले में ट्रिब्यूनल ने कहा था कि माया के पास जो आय से अधिक संपत्ति है वो उन्हें तोहफों के रूप में मिली है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभियोग को बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने उनके खिलाफ अकाट्य, विश्वसनीय और स्वीकार करने योग्य साक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं।
मायावती ने दलील दी थी कि आयकर विभाग [सीआईटी अपील] के पांच अप्रैल और 19 अप्रैल, 2010 के आदेश के मद्देनजर सीबीआई को उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर देनी चाहिए। आयकर विभाग ने अपने उन आदेशों में मायावती को क्लीन चिट दी थी। इसके जवाब में सीबीआई ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि इस आदेश को आयकर अपीली न्यायाधिकरण [आईटीएटी] के समक्ष चुनौती दी गई है।
सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा कि आकलन वर्ष 2001-02 और आकलन वर्ष 2002-03 के संबंध में सीआईटी [अपील] के पांच और 19 अप्रैल 2010 के आदेश को आयकर विभाग ने आईटीएटी में चुनौती दी है और मामला विचाराधीन है।
सीबीआई ने कहा कि चूंकि आयकर विभाग ने आदेश के खिलाफ अपील दायर की है इसलिए आय से अधिक संपत्ति के मामले को सिर्फ इन आदेशों के मद्देनजर बंद नहीं किया जा सकता, खासतौर पर सीबीआई की ओर से की जा रही स्वतंत्र जांच के आलोक में जिसमें अकाट्य, विश्वसनीय और स्वीकार करने योग्य साक्ष्य एकत्र कर लिए गए हैं।
सीबीआई ने गत 23 अप्रैल को शीर्ष अदालत के समक्ष कहा था कि वह आयकर अधिकारियों द्वारा पारित अनुकूल आदेश के मद्देनजर अपने खिलाफ कार्यवाही को बंद करने की मायावती के अनुरोध पर विचार करेगी।
सीबीआई ने मायावती की उन दलीलों का विरोध किया कि जांच एजेंसी आयकर आयुक्त [सीआईटी अपील] द्वारा इस मामले में उन्हें क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद प्रताड़ित कर रही है। उसने कहा कि मामले को साबित करने के लिए अकाट्य मौखिक और दस्तावेजी सबूत उसके पास हैं।
सीबीआई ने इस बात का जोरदार खंडन किया जाता है कि मामला संदेह पर आधारित है, बल्कि यह भरोसेमंद और स्वीकार करने योग्य साक्ष्य पर आधारित है। हलफनामे में कहा गया है कि सीबीआई द्वारा की गई जांच में विश्वसनीय और अकाट्य मौखिक, दस्तावेजी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य इकट्ठा कर लिए गए हैं।
सीबीआई ने कहा कि मामले का स्वरूप सीआईटी के आदेश के मद्देनजर किसी भी रूप में नहीं बदला है और उसने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच की और उसने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा को कभी नहीं लांघा।
हलफनामे में कहा गया है कि सीबीआई ने सभी प्रासंगिक सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए मायावती और उनके परिवार के सदस्यों की आय, व्यय और संपत्ति के सभी पहलुओं की जांच की। उसने कहा कि जांच एजेंसी बसपा प्रमुख के खिलाफ च्च्च वैधानिक प्राधिकार के तौर पर कार्यवाही नहीं कर रही है।
सीबीआई ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के उन दावों का भी विरोध किया जिसमें ताज कोरिडोर मामले में की गई जांच का उल्लेख करते हुए उन्होंने अपने खिलाफ कार्यवाही करने के उसके अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किए थे।
गौरतलब है कि ताज कोरिडोर मामले में जांच एजेंसी ने मायावती को आरोपों से बरी कर दिया था। एजेंसी ने मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ताज कोरिडोर मामले से बिल्कुल अलग है और उसका मौजूदा मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
हलफनामे में कहा गया कि सीबीआई की ओर से की जा रही जांच आयकर विभाग की कार्यवाही से बिल्कुल भिन्न है क्योंकि एजेंसी की ओर से की जा रही जांच अदालत में स्वीकार्य साक्ष्य पर आधारित है। जांच एजेंसी ने कहा कि मायावती की अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की तुलना में उनके साथ भेदभाव किए जाने की दलील का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है।
सीबीआई ने कहा कि यह [लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव के मामले का फैसला] मायावती के मामले पर लागू नहीं होता क्योंकि मौजूदा मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत फौजदारी मामला है और यह कर दायित्व का मामला नहीं है।
भेदभाव के आरोपों का खंडन करते हुए सीबीआई ने कहा कि उसके द्वारा जुटाए गए समूचे साक्ष्य को निचली अदालत के समक्ष रखा जाएगा ताकि मामले को उसके तार्किक अंजाम तक ले जाया जा सके
जिस सीबीआई ने अप्रैल में माया को पाक-साफ माना था अब बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच सीबीआई मायावती पर शिकंजा कसती जा रही हैवही दूसरी तरफ यु पी की जनता का मानना है की यहाँ इनके नवरत्नों के इशारे पर पुलिस का नंगा नाच, बेकसूरों पर हो रहे ज़ुल्म से उठने वाली आहो का ये नतीजा है जो मायावती फंसती जा रही है ,किसानो,गरीब जनता,पत्रकारों पर किये जा रहे पुलिस ज़ुल्म से हजारो लोग अजीज़ आ चुके है, या तो उनकी जान गयी है या फिर दर दर की ठोकरे खा कर इंसाफ की भीख मांग रहे है