वक्फ संपत्तियों पर असरदारों के आगे झुकी सरकार


तहलका टुडे टीम 
नई दिल्ली । जबरदस्त अतिक्रमण और पट्टे के जरिए खरीद-फरोख्त की शिकार लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की वक्फ संपत्तियों को बचाने की मुहिम को झटका लग सकता है। वजह? वक्फ संपत्तियों के खरीदने-बेचने पर रोक का प्रस्तावित कानूनी प्रावधान 'असरदारों' को अखर रहा है। शायद इसीलिए,सरकार ने जिस वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा के पिछले सत्र में ही पारित करा लिया, अब उसे राज्यसभा में पारित कराने के बजाय उसे पहले प्रवर समिति को सौंपने पर जोर दे रही है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ संशोधन विधेयक के संसद के बजट सत्र में पारित होने के बाद ही उसे राज्यसभा में भी पेश करने के लिए सभापति से अनुरोध किया था, लेकिन अब उसका इरादा बदल गया है। अब कोई और नहीं, बल्कि खुद सरकार ही चाहती है कि यह विधेयक संसदीय प्रवर समिति को सौंप दिया जाए। अब वह आगामी शुक्रवार को राज्यसभा में इसी आशय का प्रस्ताव लाना चाहती है। इसके लिए उसने सभापति से अनुरोध भी कर लिया है। वक्फ संशोधन विधेयक उस संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था, जिसके अध्यक्ष खुद राज्यसभा के उप सभापति के. रहमान खान थे। विधेयक में वक्फ संपत्तियों के खरीदने-बेचने पर पूरी तरह रोक का प्रावधान किया गया है। इस समिति ने ही वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए संबंधित लोगों की जवाबदेही तय करने और कानून में संशोधन की सिफारिश की थी।
दरअसल, सरकार की इस नरमी के पीछे मुस्लिम समुदाय के असरदार रहनुमाओं का दबाव है। देश भर की लगभग पांच लाख रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों पर उन्हीं का या उनके चहेतों का कब्जा है। सच्चर कमेटी ने इन संपत्तियों की मौजूदा कीमत लगभग सवा लाख करोड़ आंकी थी। अकेले दिल्ली में छह हजार करोड़ की वक्फ संपत्ति है, जिससे सालाना लगभग 1.63 करोड़ की आय का अनुमान लगाया गया है। वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय से जरूरतमंद मुस्लिम बच्चों की पढ़ाई, कोचिंग व गरीब व बेसहारा महिलाओं को मदद वगैरह दी जाती है

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