मानवाधिकार के संबंध में अमेरिका की रिपोर्ट पर रूस की आलोचना


रूस ने मानवाधिकार के संबंध में अमेरिकी विदेशमंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट की आलोचना की और अमेरिका पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। रूसी विदेशमंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में आया है कि अमेरिकी विदेशमंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में उन कार्यवाहियों की ओर संकेत नहीं किया है जो उसने इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में की हैं जिनमें दसियों हज़ार आम नागरिक मारे गये हैं। ग्वान्तानामो और बगराम की जेल को बंद करने हेतु अमेरिकी अधिकारियों के दावों के बावजूद आज तक ये जेले बंद नहीं हुई हैं। रूसी विदेशमंत्रालय ने इसी प्रकार अपनी विज्ञप्ति में घोषणा की है कि अमेरिकी अधिकारी आतंकवाद से मुक़ाबले का औचित्य दर्शाने के बहाने टेलीफ़ोनी वार्ता रिकार्ड करने सहित दूसरी कार्यवाहियां करते हैं। अमेरिकी विदेशमंत्रालय ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें विश्व के १९० देशों में मानवाधिकारों की स्थिति का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बहुत से देशों में मानवाधिकारों की स्थिति अच्छी नहीं है।
अमेरिका वह देश है जहां मानवाधिकारों की स्थिति बहुत ख़राब है, विश्व के सबसे अधिक बंदी इसी देश में हैं और यह प्रतिवर्ष विश्व के १९० से अधिक देशों में मानवाधिकारों की स्थिति की रिपोर्ट देता है, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है, अमरीका विश्व के उन बड़े देशों में से है जो बच्चों की सबसे अधिक अश्लील तस्वीरों को प्रकाशित करता है, यही नहीं अमेरिका वह देश है जिसने बच्चों से संबंधित कन्वेन्शन को स्वीकार नहीं किया है, विश्व के विभिन्न देशों में उसने सबसे अधिक विद्रोह की योजनाएं बनाईं और विद्रोह करवाये तथा उसने विश्व के बहुत से देशों में युद्ध करवाये जिसके कारण लाखों व्यक्ति हताहत, घायल एवं बेघर हो गये। यहां तक कि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी भी कभी-कभार मानवाधिकारों के उल्लंघन पर आधारित अपनी कार्यवाहियों का स्वीकार करते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने निर्णय के क्षण नामक अपनी पुस्तक में इस बात को स्वीकार किया है कि बंदियों को प्रताड़ित करने का आदेश उन्होंने दिया था। अभी हाल ही में अमेरिकी अधिकारियों ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान में गुप्त जेलें होने को स्वीकारा किया है और कहा है कि वे इन जेलों में बंदियों को, किसी प्रकार के आरोप के बिना सप्ताहों या महीनों तक बंद रखते हैं।
यह ऐसी स्थिति में है कि जब अफ़ग़ानिस्तान में गुप्त जेलें होने के बारे में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्टों के बावजूद अमेरिकी सेना इस प्रकार की जेलों का इंकार करती रही। वास्तविकता यह है कि अमेरिका ने पिछले वर्षों में सदैव उन देशों व सरकारों पर दबाव डालने एवं उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए मानवाधिकार के विषय को बहाना बनाया है जो उसकी एकपक्षीय एवं वर्चस्ववादी नीति का अनुसरण नहीं करना चाहतीं। इसी आधार पर बहुत से राजनीतिक टीकाकार मानवाधिकारों की स्थिति के संबंध में अमेरिकी विदेशमंत्रालय की हालिया रिपोर्ट को भी उन देशों पर दबाव डालने हेतु वाशिंगटन का हथकंडा मान रहे हैं जिनके अमेरिका के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं।

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