अटल जी के घर से रंजन की दलाली

http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/11/blog-post_7759.html

आलोक तोमर,
नई दिल्ली,अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को हरा कर मनमोहन सिंह की सरकार बनी थी लेकिन मनमोहन सिंह की कम से कम दूसरी सरकार में दलाली करने वाले लोगों में श्री वाजपेयी की मित्र श्रीमती राजकुमारी कौल के दामाद और बिहारी बंगाली रंजन भट्टाचार्य ने भी काफी प्रसाद बटोरा।
रंजन भट्टाचार्य एक जमाने में ओबेरॉय होटल में काम करते थे और अब कई पांच सितारा होटल उनके इशारे पर चलते हैं। अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तब भी रंजन उनके साथ प्रधानमंत्री निवास मेंं रहते थे और कम ही मंत्री थे जो उनकी बात टाल सके। मगर सरकारी तौर पर टेप की गई बातचीत में रंजन भट्टाचार्य भी नीरा राडिया के उप दलाल नजर आते हैं। यह बात अलग है कि बातचीत में रंजन की जानकारियां गलत या अधूरी हैं मगर वे सोनिया गांधी तक से सीधे रिश्ते होने का दावा करते हैं।
22 मई 2009 को सुबह 9 बज कर 48 मिनट 51 सेकेंड पर बातचीत शुरू होती है। रंजन नीरा से कहते है कि दयानिधि मारन को मंत्री नहीं बनाया जाए तो क्या सब ठीक हो जाएगा? राडिया यही मंजूर करती हैं। फिर रंजन कहते हैं कि दयानिधि को तो कांग्रेस वाले और करुणानिधि के समर्थक ही आगे बढ़ा रहे हैं। नीरा राडिया तब मारन के समर्थकों में एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल का नाम लेती है और रंजन कहते हैं कि सुनील मित्तल से बात करने का कोई फायदा नहीं क्याेंकि उनका एक ही इरादा है कि राजा किसी कीमत पर संचार मंत्री नहीं बन पाएं।
गुलाम नबी आजाद सारे दलालों की सूची में हैं। रंजन भट्टाचार्य भी दावा करते हैं कि वे गुलाम नबी आजाद के बहुत अच्छे दोस्त हैं और गुलाम नबी वहीं कहेंगे जो वे यानी रंजन चाहेंेगे। रंजन कहते हैं कि बालू को एक मिनट में हटवा देंगे और जब दयानिधि मारन बीच में करुणानिधि से बगावत कर के भाग गया था, यही याद दिलाने की जरूरत है। अपने आप उसका पत्ता कट जाएगा। दयानिधि गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल पर भरोसा कर के चल रहे हैं और उस भरोसे को मैं एक मिनट में खत्म कर दूंगा।
रंजन भट्टाचार्य ज्ञान देते हैं कि इस तरह के काम देर रात को ही होते हैं इसलिए नीरा राडिया को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा और वे यह भी दावा करते है कि सुबह तक वे सोनिया गांधी से भी बात कर लेंगे। मगर रंजन सब कुछ सच नहीं बोल रहे यह इसी बात से जाहिर हो जाता है कि वे कहते है कि उन्होंने प्रफुल्ल पटेल नाम कटवा दिया है और पटेल को राज्यमंत्री भी नहीं बनाया जा रहा। यही बात वे गुरुदास कामत के बारे में कहते हैं मगर इन दोनाें को पहली ही सूची में शपथ दिलवाई जाती है।
रंजन का सामान्य ज्ञान सिर्फ इतना है कि वे नीरा राडिया से कहते हैं कि सब जानते हैं कि करुणानिधि के बेटे अलागिरि पांचवी क्लास पास भी नहीं हैं और अंग्रेजी बोलने और समझने के लिए उन्होंने किसी न किसी को साथ रखना पड़ता है। नीरा राडिया ही उनका ज्ञान बढ़ाती है और कहती है कि अलागिरि बाकायदा ग्रेजुएट हैं और भले ही धारा प्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल पाते हों मगर अंग्रेजी उनकी समझ में आती है।
नीरा राडिया, बरखा दत्त और वीर सांघवी का समझ में आता है क्योंकि अब तक दलालाें की सूची में उनका नाम कई बार आ चुका है मगर भाजपा के सबसे बड़े नेता के घर से भी यूपीए सरकार में मंत्री बनाने और हटाने को ले कर इतनी गजब की दलाली चलेगी यह कोई नहीं जानता था।
सच तो यह है कि रंजन भट्टाचार्य अटल बिहारी वाजपेयी का नाम इस्तेमाल कर के इतने बडे बड़े खेल कर चुके हैं यह तो बेचारे अटल बिहारी वाजपेयी को भी नहीं मालूम होगा। मगर रंजन भट्टाचार्य अब होटल की नौकरी के दिनों से बहुत आगे बढ़ चुके हैं, दुनिया घूमते हैं, दिल्ली की सबसे रईस बस्तियों में उनके ऑफिस हैं और कमाई का कोई ओर छोर नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा को मध्य प्रदेश सरकार से भ्रष्टाचार के आरोप में हटना पड़ा मगर रंजन भट्टाचार्य आज भी अटल जी के आधिकारिक निवास 6 ए, कृष्णमैनन मार्ग पर ठाठ से रहते
नई दिल्ली,अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को हरा कर मनमोहन सिंह की सरकार बनी थी लेकिन मनमोहन सिंह की कम से कम दूसरी सरकार में दलाली करने वाले लोगों में श्री वाजपेयी की मित्र श्रीमती राजकुमारी कौल के दामाद और बिहारी बंगाली रंजन भट्टाचार्य ने भी काफी प्रसाद बटोरा।
रंजन भट्टाचार्य एक जमाने में ओबेरॉय होटल में काम करते थे और अब कई पांच सितारा होटल उनके इशारे पर चलते हैं। अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तब भी रंजन उनके साथ प्रधानमंत्री निवास मेंं रहते थे और कम ही मंत्री थे जो उनकी बात टाल सके। मगर सरकारी तौर पर टेप की गई बातचीत में रंजन भट्टाचार्य भी नीरा राडिया के उप दलाल नजर आते हैं। यह बात अलग है कि बातचीत में रंजन की जानकारियां गलत या अधूरी हैं मगर वे सोनिया गांधी तक से सीधे रिश्ते होने का दावा करते हैं।
22 मई 2009 को सुबह 9 बज कर 48 मिनट 51 सेकेंड पर बातचीत शुरू होती है। रंजन नीरा से कहते है कि दयानिधि मारन को मंत्री नहीं बनाया जाए तो क्या सब ठीक हो जाएगा? राडिया यही मंजूर करती हैं। फिर रंजन कहते हैं कि दयानिधि को तो कांग्रेस वाले और करुणानिधि के समर्थक ही आगे बढ़ा रहे हैं। नीरा राडिया तब मारन के समर्थकों में एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल का नाम लेती है और रंजन कहते हैं कि सुनील मित्तल से बात करने का कोई फायदा नहीं क्याेंकि उनका एक ही इरादा है कि राजा किसी कीमत पर संचार मंत्री नहीं बन पाएं।
गुलाम नबी आजाद सारे दलालों की सूची में हैं। रंजन भट्टाचार्य भी दावा करते हैं कि वे गुलाम नबी आजाद के बहुत अच्छे दोस्त हैं और गुलाम नबी वहीं कहेंगे जो वे यानी रंजन चाहेंेगे। रंजन कहते हैं कि बालू को एक मिनट में हटवा देंगे और जब दयानिधि मारन बीच में करुणानिधि से बगावत कर के भाग गया था, यही याद दिलाने की जरूरत है। अपने आप उसका पत्ता कट जाएगा। दयानिधि गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल पर भरोसा कर के चल रहे हैं और उस भरोसे को मैं एक मिनट में खत्म कर दूंगा।
रंजन भट्टाचार्य ज्ञान देते हैं कि इस तरह के काम देर रात को ही होते हैं इसलिए नीरा राडिया को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा और वे यह भी दावा करते है कि सुबह तक वे सोनिया गांधी से भी बात कर लेंगे। मगर रंजन सब कुछ सच नहीं बोल रहे यह इसी बात से जाहिर हो जाता है कि वे कहते है कि उन्होंने प्रफुल्ल पटेल नाम कटवा दिया है और पटेल को राज्यमंत्री भी नहीं बनाया जा रहा। यही बात वे गुरुदास कामत के बारे में कहते हैं मगर इन दोनाें को पहली ही सूची में शपथ दिलवाई जाती है।
रंजन का सामान्य ज्ञान सिर्फ इतना है कि वे नीरा राडिया से कहते हैं कि सब जानते हैं कि करुणानिधि के बेटे अलागिरि पांचवी क्लास पास भी नहीं हैं और अंग्रेजी बोलने और समझने के लिए उन्होंने किसी न किसी को साथ रखना पड़ता है। नीरा राडिया ही उनका ज्ञान बढ़ाती है और कहती है कि अलागिरि बाकायदा ग्रेजुएट हैं और भले ही धारा प्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल पाते हों मगर अंग्रेजी उनकी समझ में आती है।
नीरा राडिया, बरखा दत्त और वीर सांघवी का समझ में आता है क्योंकि अब तक दलालाें की सूची में उनका नाम कई बार आ चुका है मगर भाजपा के सबसे बड़े नेता के घर से भी यूपीए सरकार में मंत्री बनाने और हटाने को ले कर इतनी गजब की दलाली चलेगी यह कोई नहीं जानता था।
सच तो यह है कि रंजन भट्टाचार्य अटल बिहारी वाजपेयी का नाम इस्तेमाल कर के इतने बडे बड़े खेल कर चुके हैं यह तो बेचारे अटल बिहारी वाजपेयी को भी नहीं मालूम होगा। मगर रंजन भट्टाचार्य अब होटल की नौकरी के दिनों से बहुत आगे बढ़ चुके हैं, दुनिया घूमते हैं, दिल्ली की सबसे रईस बस्तियों में उनके ऑफिस हैं और कमाई का कोई ओर छोर नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा को मध्य प्रदेश सरकार से भ्रष्टाचार के आरोप में हटना पड़ा मगर रंजन भट्टाचार्य आज भी अटल जी के आधिकारिक निवास 6 ए, कृष्णमैनन मार्ग पर ठाठ से रहते
हैं।
शुक्रिया डेटलाइन इंडिया