भारत माता का दर्जा पाने के लिए बेताब, सोनिया गाँधी के संसदीय इलाके रायबरेली की अवाम बेहाल, तो क्या होगा देश का हॉल?

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तहलका टुडे टीम
रायबरेली:भारत माता का दर्जा पाने के लिए बेताब,सोनिया गाँधी के संसदीय इलाके की अवाम बेहाल, तो क्या होगा देश का हॉल? तीन दिन की यात्रा पर पहुंची कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिस प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ रहा है उसकी शायद उनको भी उम्मीद नहीं रही होगी. केन्द्र से विकास के नाम पर पैसे तो आ रहे हैं लेकिन उनका स्थानीय नागरिकों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. सोमवार को उनके सामने ऐसे लोग पहुंच गये जिन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए मृतक घोषित कर दिया गया है ताकि उनकी पेंशन को रोका जा सके.
सोनिया गांधी को पहला झटका तो लखनऊ में ही लगा जब वे इंदिरा गांधी आई हास्पिटल बिना किसी पूर्व सूचना के पहुंच गयी. इससे मायावती प्रशासन इसलिए नाराज हो गया कि वहां जाने की उन्होंने कोई पूर्व सुचना नहीं दी थी लेकिन सोनिया गांधी ने वहां की दुर्दशा देखी तो उन्हें लगा कि दाल में कुछ काला है लोगों का ख्याल नहीं है. यह तो राजनीतिक बयान है लेकिन हकीकत यह है कि सोनिया की रायबरेली में ज्यादा बड़े संकट जो उन्ही के सिपहसालारो की देंन है .
रायबरेली में सोनिया गांधी ने पहले दिन भले ही अफसरों को तिरछी नजर से देखकर चेतावनी दी हो कि राज्य में नागरिकों की इतनी दुर्दशा क्यों है लेकिन सोनिया गाँधी को यह तिरछी नजर अपने उन सिपहसलारों के ऊपर भी उठानी होगी जो उनकी गैर मौजूदगी में रायबरेली की रखवाली करते हैं. सोनिया गांधी की रायबरेली में आज भी गांवों की हालत बहुत दयनीय है. ऐसे ऐसे गांव हैं जहां आज भी सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता. सोनिया की रायबरेली में स्मार्ट कार्ड योजना का इस्तेमाल करके गरीबों के पैसे लोग खा जाते हैं और शिकायत करने पर भी उनका कुछ नहीं बिगड़ता है. रायबरेली में इन दिनों एक धंधा बहुत जोरों से चल रहा है. वहां भी गरीबों को इलाज के नाम पर अस्पतालों में भर्ती किया जाता है और उसके कार्ड से पैसे निकाल लिये जाते हैं. इसमें खुले तौर कांग्रेसियों की भूमिका है लेकिन आज तक शिकायत करने के बाद भी इन कांग्रेसी गुण्डों का कुछ नहीं बिगड़ा है.
यही नहीं, राही गांव के पास बन रहे रेयॉन पब्लिक स्कूल को बड़ी हसरत से रायबरेली लाया गया था लेकिन वह भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं रह पाया. सोनिया गांधी के रायबरेली प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने इस स्कूल को बनाने में भी ऐसा खेल किया कि वह स्कूल भी विवादों में फंस गया. रेयॉन पब्लिक स्कूल के मालिकों को गांव की जमीन खेती की जमीन के तहत बिकवाई गयी लेकिन जब वहां स्कुल बनने लगा तो प्रशासन ने ही रोड़ा लगा दिया. अब हालांकि स्कूल बनकर तैयार हो गया है लेकिन सोनिया गांधी से स्कूल प्रबंधन के ही संबंध तल्ख हो गये हैं. रायबरेली में सोनिया के कांग्रेसी प्रतिनिधि सोनिया गांधी के लिए इतना ही संकट पैदा करके बस नहीं बोलनेवाले. भूयेमऊ के जिस राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का भवन बनाया गया और जहां रायबरेली यात्रा के दौरान सोनिया गांधी रुकती है उसका काम नगरपालिका ने इसलिए रोक दिया था क्योकि भवन बनाने के दौरान ही कोई अनुमति नहीं ली गयी थी. स्थानीय लोग बताते हैं कि यह सब भी सोनिया गांधी के कांग्रेसी प्रितिनिधियों के कारण हुआ था.
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सोनिया गांधी के खास कहे जानेवाले किशोरी लाल शर्मा हों या फिर उनके नजदीकी एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह. जो लोग सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर रायबरेली की रखवाली करते हैं, असल में वे सोनिया गाँधी को भर्मित करते हैं. निफ्ट का कैम्पस बनाने की घोषणा 2007 में की गयी थी लेकिन स्थानीय नागरिक बताते हैं कि अपनी कमीशन पक्की न होने के कारण खुद सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने निफ्ट के इस कैंपस में अडंगा लगा रखा है और आज तक काम शुरू नहीं हो पाया है. इसी तरह सीना होम टेक्सटाइल में 1200 महिला कर्मचारियों को पिछले तीन सालों से वेतन नहीं मिला है लेकिन सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी उनकी समस्याओं का निपटारा नहीं पा रहा है. जबकि यह कंपनी सोनिया गांधी के ही एक नजदीकी कहे जानेवाले प्रकाश चुंग की है.
भले ही लखनऊ और रायबरेली में सोनिया गांधी यह कह रहीं हो कि राज्य में आम आदमी के भले के लिए जरूरी है कि राज्य में वर्तमान निकम्मी सरकार को बदल दिया जाए लेकिन हकीकत यह है कि वे सबसे पहले अपने संसदीय क्षेत्र के उन अपने सिपाह सालारो को ठीक करें जो उनके नाम पर रायबरेली के नागरिकों को लूट रहे हैं. अगर वे ऐसा करती हैं तो शायद प्रदेश की जनता को भी उम्मीद बंधेगी कि सोनिया गांधी के शासन में उनके हित सुरक्षित रहेंगे.