सहारा पर सेबी का डंडा,धन जुटाने पर रोक

http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/11/blog-post_2153.html
मुंबई। सहारा पर सेबी का डंडा सहारा समूह की दो कंपनियों को शेयर बाजारों से धन जुटाने या आम निवेशकों को किसी तरह की प्रतिभूति जारी कर धन जुटाने से बुधवार को रोक दिया।
बाजार नियामक ने इसके साथ ही सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को धन जुटाने के लिए आम निवेशकों से संपर्क करने से भी मना कर दिया। प्रतिभूतियां जारी करने से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सेबी ने सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सेबी ने कारण बताओ नोटिस में यह भी पूछा है कि क्यों न कंपनी द्वारा ऋण प्रतिभूति ओएफसीडी के जरिए जुटाए गए धन को निवेशकों को लौटाने का निर्देश दे दिया जाए। इस संबंध में सहारा समूह से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं ली जा सकी।
समूह की कंपनियों की बैलेन्स शीट देखते हुए नियामक ने पाया कि सहारा इंडिया कामर्शियल कारपोरेशन की बैलेन्स शीट में 2009 को समाप्त हुए वर्ष में पांच वर्षो के लिए वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत्र एवं असुरक्षित ऋण मद में 7000 करोड़ रुपए की शेष राशि थी।
प्रथम दृष्टया सहारा समूह की ये कंपनियां ओएफसीडी के रूप में भारी धन जुटा रही थीं जिसमें पारदर्शिता की कमी थी। सेबी ने कहा कि इन दो कंपनियों ने जानबूझकर निर्गमों के संबंध में सूचनाएं नहीं दी।
बाजार नियामक ने इसके साथ ही सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को धन जुटाने के लिए आम निवेशकों से संपर्क करने से भी मना कर दिया। प्रतिभूतियां जारी करने से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सेबी ने सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सेबी ने कारण बताओ नोटिस में यह भी पूछा है कि क्यों न कंपनी द्वारा ऋण प्रतिभूति ओएफसीडी के जरिए जुटाए गए धन को निवेशकों को लौटाने का निर्देश दे दिया जाए। इस संबंध में सहारा समूह से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं ली जा सकी।
समूह की कंपनियों की बैलेन्स शीट देखते हुए नियामक ने पाया कि सहारा इंडिया कामर्शियल कारपोरेशन की बैलेन्स शीट में 2009 को समाप्त हुए वर्ष में पांच वर्षो के लिए वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत्र एवं असुरक्षित ऋण मद में 7000 करोड़ रुपए की शेष राशि थी।
प्रथम दृष्टया सहारा समूह की ये कंपनियां ओएफसीडी के रूप में भारी धन जुटा रही थीं जिसमें पारदर्शिता की कमी थी। सेबी ने कहा कि इन दो कंपनियों ने जानबूझकर निर्गमों के संबंध में सूचनाएं नहीं दी।