कसाब को फांसी देने की बात करते हैं लेकिन मालेगांव, मक्का, गोधरा और वाराणसी ब्लास्ट में शामिल लोगों का फैसला कौन करेगा?

http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/11/blog-post_21.html
तहलका टुडे टीम
वाराणसी। कांग्रेस की 125वीं वर्षगांठ पर आयोजित 'धर्म और राजनीति' विषयक संगोष्ठी में भाजपा, विहिप और संघ निशाने पर रहे। कहा गया कि आतंकवादी ही नहीं मजहब के नाम पर देश को बाटने वाले भी समाज-विरोधी हैं। इन्हें भी कसाब सरीखे गुनाहगारों की कतार में खड़ा किया जाना चाहिए। क्योंकि दोनों की सीरत मिलती है, सूरत भले अलग हो। नागरी नाटक मंडली में रविवार को आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्यअतिथि पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरएसएस ने हिंदुओं को बदनाम करने का ही काम किया।
कुछ ऐसे संगठन हैं जो देश में दंगा-फसाद और उन्माद पैदा करने का काम करते हैं। ऐसी विचारधारा वाले लोगों ने ही गांधी की हत्या की थी। इनकी विचारधारा आज भी कायम है। कांग्रेस ऐसी विचारधारा का विरोध करती है क्योंकि हम जानते हैं कि एकता ही देश को आगे ले जा सकती है। नफरत-कटुता हमें विनाश के मोहाने पर ला खड़ा करेगी। यहां तक कि सनातन धर्म पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए 'हिंदुत्व' शब्द ईजाद किया।
आज देश को धर्म आधारित राजनीति से नहीं धर्माधता आधारित राजनीति से खतरा है। धर्म हमें जोड़ता है वहीं धर्माधता अलगाव का रास्ता दिखाती है। हमें इस पर विचार करना होगा। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने स्पष्ट किया कि हाफ पैंट पहनकर नफरत फैलाने वाले और आतंकियों की सीरत एक है, सूरत भले अलग हो। भाजपा, संघ, विहिप और कुछ मुस्लिम संगठनों ने समझौता कर देश में नफरत पैदा करने की कोशिश की। दोनों ने मिलकर सियासत को धर्म से जोड़ने का काम किया जबकि धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए बल्कि राजनीति का अपना धर्म होना चाहिए।
यही गांधी जी की मिमांसा थी लेकिन 80 के दशक के बाद सत्ता के लिए देश में धर्म आधारित राजनीति का जो घिनौना रूप सामने आया, इससे समूचा राष्ट्र शर्मसार हो उठा। हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा कर भाजपा ने सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन हमारे सामने था जला हुआ और बिखरा हुआ हिंदुस्तान। इस दौर में गांधी का देश कहीं नहीं दिखा। हम कसाब को फांसी देने की बात करते हैं लेकिन मालेगांव, मक्का, गोधरा और वाराणसी ब्लास्ट में शामिल लोगों का फैसला कौन करेगा। उन्होंने कहा कि देश तभी तरक्की करेगा जब राजनीति का अपना धर्म होगा।
वाराणसी। कांग्रेस की 125वीं वर्षगांठ पर आयोजित 'धर्म और राजनीति' विषयक संगोष्ठी में भाजपा, विहिप और संघ निशाने पर रहे। कहा गया कि आतंकवादी ही नहीं मजहब के नाम पर देश को बाटने वाले भी समाज-विरोधी हैं। इन्हें भी कसाब सरीखे गुनाहगारों की कतार में खड़ा किया जाना चाहिए। क्योंकि दोनों की सीरत मिलती है, सूरत भले अलग हो। नागरी नाटक मंडली में रविवार को आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्यअतिथि पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरएसएस ने हिंदुओं को बदनाम करने का ही काम किया।
कुछ ऐसे संगठन हैं जो देश में दंगा-फसाद और उन्माद पैदा करने का काम करते हैं। ऐसी विचारधारा वाले लोगों ने ही गांधी की हत्या की थी। इनकी विचारधारा आज भी कायम है। कांग्रेस ऐसी विचारधारा का विरोध करती है क्योंकि हम जानते हैं कि एकता ही देश को आगे ले जा सकती है। नफरत-कटुता हमें विनाश के मोहाने पर ला खड़ा करेगी। यहां तक कि सनातन धर्म पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए 'हिंदुत्व' शब्द ईजाद किया।
आज देश को धर्म आधारित राजनीति से नहीं धर्माधता आधारित राजनीति से खतरा है। धर्म हमें जोड़ता है वहीं धर्माधता अलगाव का रास्ता दिखाती है। हमें इस पर विचार करना होगा। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने स्पष्ट किया कि हाफ पैंट पहनकर नफरत फैलाने वाले और आतंकियों की सीरत एक है, सूरत भले अलग हो। भाजपा, संघ, विहिप और कुछ मुस्लिम संगठनों ने समझौता कर देश में नफरत पैदा करने की कोशिश की। दोनों ने मिलकर सियासत को धर्म से जोड़ने का काम किया जबकि धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए बल्कि राजनीति का अपना धर्म होना चाहिए।
यही गांधी जी की मिमांसा थी लेकिन 80 के दशक के बाद सत्ता के लिए देश में धर्म आधारित राजनीति का जो घिनौना रूप सामने आया, इससे समूचा राष्ट्र शर्मसार हो उठा। हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा कर भाजपा ने सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन हमारे सामने था जला हुआ और बिखरा हुआ हिंदुस्तान। इस दौर में गांधी का देश कहीं नहीं दिखा। हम कसाब को फांसी देने की बात करते हैं लेकिन मालेगांव, मक्का, गोधरा और वाराणसी ब्लास्ट में शामिल लोगों का फैसला कौन करेगा। उन्होंने कहा कि देश तभी तरक्की करेगा जब राजनीति का अपना धर्म होगा।