मुसलमानों के लिए कलंक बना देव बंद का फतवा
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सुनो न सुनो-मानो...तलाक | |
रिजवान मुस्तफा
देवबंद : उत्तरप्रदेश का एक इलाका जिसको देवबंद कहा जाता है वहा मुसलमानों के देव दारुल उलूम में बंद है,जो ऐसा फतवा देते है जिसे से मुस्लिमो को शर्मिदगी उठानी पड़ती है और देश में ज़लील होना पड़ता है ,ये सब फतवे कुरान की रौशनी में नहीं बल्कि अय्याशी की फितरत के तहत मौलाना देते है ,मुस्लिम पर्सोनल बोर्ड भी मुसलमानों के लिए कलंक बने फतवों पर रोक लगाने में खामोश है.
आप मानिये या मत मानिए लेकिन यही सच है कि फोन पर भी दिया गया तलाक अब मान्य होगा, चाहे पत्नी की तरफ से तलाक शब्द सुन ने की स्वीकृति हो या ना हो। दारूल ऊलूम देवबंद के फतवा विभाग दारूल इफ्ता द्वारा जारी किए गए एक फतवे में कहा गया है कि यदि कोई मुस्लिम पुरूष मोबाइल पर तीन बार तलाक-तलाक कहता है तो उसका तलाक वैध माना जाएगा। नेटवर्क या किसी अन्य समस्या के कारण यदि उसकी बीवी यह बात नहीं सुन पाती है तब भी तलाक वैध ही रहेगा।
एक शख्स द्वारा पूछे गए सवाल पर यह फतवा जारी किया गया है। व्यक्ति ने पूछा था कि फोन पर बीवी को तलाक कहने के दौरान यदि कोई गवाह उपस्थित नहीं है तब भी क्या तलाक वैध माना जाएगा। उसने दारूल इफ्ता को बताया कि उसने गुस्से में अपनी बेगम को फोन पर तीन बार तलाक कहा लेकिन बीवी ने दावा किया कि पहले तो उसे यह ढंग से सुनाई नहीं दिया और फिर दोनों के पास कोई चश्मदीद भी मौजूद नहीं था। इसलिए यह तलाक नहीं माना जाएगा। इसके जवाब में इस्लामिक संस्था ने कहा कि यदि पत्नी को तीन बार फोन पर तलाक कहा गया है तो यह वैध होगा। भले ही दूसरी ओर पत्नी यह सुन सके या नहीं।
इसके बाद के हालत और है, तलाक फ़ोन पर या सामने देने के बाद जब ये अहसास होता है की गलती हो गयी तो दोबारा बीवी बन्ने के लिए हलाला किया जाता है यानि दुसरे मर्द के साथ निकाह कर एक रात गुज़ारना फिर वो तलाक दें फिर तलाक देने वाला पति निकाह करें ,जबकि कुरान में इस तरह तलाक देना जायज़ नहीं है
