क्यों खामोश रही ६ साल मायावती ?

 मामला वापस लेने का प्रलोभन दिया था कांग्रेस ने 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को यहां 6साल बाद खुलासा किया कि वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने उनके समक्ष प्रस्ताव किया था कि यदि बसपा उसके साथ चुनावी तालमेल कर ले तो सत्ता में आने पर उनके खिलाफ लंबित ताज कारीडोर और आय से अधिक संपत्ति मामले वापस ले लेगी।
उनके खिलाफ लंबित दोनों मामलों को तब केंद्र में सत्ता में रही भाजपा की साजिश करार देते हुए मायावती ने कहा कि एक तरफ भाजपा ने ऐसा करके उनपर दबाव बनाना चाहा था कि बसपा उत्तर प्रदेश की 80 में से 60 सीटे उसे दे दे, वही कांग्रेस की तरफ से प्रस्ताव आया था कि यदि बसपा उसके साथ चुनावी तालमेल कर ले तो सत्ता में आने पर दोनो मामले वापस ले लिए जाएंगे।
उन्होंने आज यहां पार्टी के सांसदों, विधायकों, पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के सम्मलेन को संबोधित करते हुए यह खुलासा किया। मायावती ने जोर देकर कहा कि उन्होंने बसपा आंदोलन को हमेशा अपने निजी हितों से ऊपर रखा है और अंतिम सांस तक इन मामलों को लेकर अदालती लड़ाई लड़ी जाएगी। वे इस मामले को जनता की अदालत में भी ले जाएंगी।
यह आरोप लगाते हुए कि केंद्र में सत्तारूढ़ हर सरकार सीबीआई और अन्य सरकारी मशीनरियों का दुरुपयोग करती रही है, मायावती ने कहा कि वह केंद्र सरकार की साजिश के खिलाफ अदालत में जीजान से लड़ेंगी।
उन्होंने कहा कि यदि हमें अदालत से और सीबीआई से न्याय नही मिलता तो हम जनता की अदालत में जाएंगे जहां मुझे भरोसा है कि हमे वोटो के रूप में न्याय मिलेगा।
मायावती ने कांग्रेस को खास तौर निशाने पर रखा और आरोप लगाया कि 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को पूर्ण बहुमत मिल जाने के बाद से ही कांग्रेस ने हमारी सरकार के साथ सौतेला व्यवहार करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह जानकर कि सारा का सारा दलित वोट बैंक कांग्रेस से किनारा करके बसपा से जुड़ गया है, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी एक साजिश के तहत कभी दलितों के घर रात्रि विश्राम तो कभी भोजन और कभी प्रशासन को सूचित किए बिना रेल यात्रा का नाटक कर रहे हैं तथा उसे मीडिया में प्रचारित कराया जा रहा है

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