पहले मंत्री के हाथ पिटा, फिर पार्टी से निकाला गया
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कानपुर, समाजवादी पार्टी में खींचतान का नया
दौर शुरू हो गया है। कानपुर ग्रामीण यूनिट के जिला सचिव को शनिवार को
पार्टी से निकाल दिया गया। प्रवक्ता सचिन वोहरा के अनुसार, यह पार्टी का
फैसला है। पदाधिकारियों को अपनी सीमा में रहना चाहिए। वहीं निष्कासित विवेक
अवस्थी का दावा है कि प्रदेश के एक मंत्री ने उसे बेटों के साथ पीटा। किसी
तरह उसकी जान बची। पुलिस में रिपोर्ट न लिखने पर उसने मुख्यमंत्री से
शिकायत की थी। अब कोर्ट में शिकायत डाली है।
विवेक अवस्थी समाजवादी पार्टी की कानपुर ग्रामीण यूनिट के सेक्रेटरी थे। शनिवार को उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। आरोप लगाया गया कि उन्होंने नौकरी के नाम पर लोगों से लाखों रुपये वसूले हैं। वहीं अवस्थी ने इस पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है। उनका दावा है कि 5 मार्च को जब वह अपने गांव जा रहे थे तो एक राज्य स्तर के मंत्री के बेटों ने उनका रास्ता रोका। रास्ते में ही बेटों ने अपने पिता से बात करा झूठा आरोप लगाया कि मैंने उन पर रिवॉल्वर तानी है। कानपुर में ही मंत्री के घर पर उन्हें बंधक बनाकर पीटा गया। अंगूठी, चेन, रुपये और मोबाइल लूट लिए गए।
एक मंत्री के कहने के बाद उन्हें छोड़ा गया। मौके पर एक एसओ भी आए थे। लेकिन इसके पहले सादे कागज पर साइन कराए जा चुके थे। इसकी शिकायत उन्होंने एसएसपी से लेकर मुख्यमंत्री तक की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में कंप्लेंट केस डाला है। सूत्रों के अनुसार, शनिवार को एक विधायक और रूरल यूनिट के पदाधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। विधायक का आरोप था कि पार्टी के लोग जमीनों पर कब्जे पर इमेज खराब कर रहे हैं। इस पर उन्हें खामोश रहने की सलाह दी गई।
विवेक अवस्थी समाजवादी पार्टी की कानपुर ग्रामीण यूनिट के सेक्रेटरी थे। शनिवार को उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। आरोप लगाया गया कि उन्होंने नौकरी के नाम पर लोगों से लाखों रुपये वसूले हैं। वहीं अवस्थी ने इस पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है। उनका दावा है कि 5 मार्च को जब वह अपने गांव जा रहे थे तो एक राज्य स्तर के मंत्री के बेटों ने उनका रास्ता रोका। रास्ते में ही बेटों ने अपने पिता से बात करा झूठा आरोप लगाया कि मैंने उन पर रिवॉल्वर तानी है। कानपुर में ही मंत्री के घर पर उन्हें बंधक बनाकर पीटा गया। अंगूठी, चेन, रुपये और मोबाइल लूट लिए गए।
एक मंत्री के कहने के बाद उन्हें छोड़ा गया। मौके पर एक एसओ भी आए थे। लेकिन इसके पहले सादे कागज पर साइन कराए जा चुके थे। इसकी शिकायत उन्होंने एसएसपी से लेकर मुख्यमंत्री तक की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में कंप्लेंट केस डाला है। सूत्रों के अनुसार, शनिवार को एक विधायक और रूरल यूनिट के पदाधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। विधायक का आरोप था कि पार्टी के लोग जमीनों पर कब्जे पर इमेज खराब कर रहे हैं। इस पर उन्हें खामोश रहने की सलाह दी गई।