तू प्याज है, या घोटाला!
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2013/09/blog-post_18.html
प्याज से हुआ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू इस प्रकार है,
प्याज विकट सिलेब्रिटी हो गया है। एक वड्डे टीवी चैनल में एक स्टार एंकर को
डांटता प्याज कह रहा था- मेरे भावों का रेकॉर्ड नहीं रखेगा, तो क्या खाक
एंकरी करेगा।
अबे प्याज, उफ्फ, हाय, नो, लिमिट, कित्ता लिखेंगे प्याज पर। फिर प्याज पर बवाल, सत्तर रुपये किलो मिल रहा है, सातवें आसमान पर प्याज। ना-ना अब सात आसमान से काम ना चलेगा, सत्तर-अस्सी आसमान चाहिए, या इनसे भी ऊपर, प्याज की सही सिचुएशन बताने को।
प्याज- जी लिखते रहिए, लिखते रहिए, जो खा नहीं पाते, वह लिखते हैं।
अबे प्याज, क्या घोटालों जैसी बात कर रहा है कि जो खा पाते हैं, खा जाते हैं, जो नहीं खा पाते, उन पर लिखते हैं। अबे तू प्याज है, या घोटाला।
प्याज- इस मुल्क में आखिर में हर आइटम को घोटाला ही होना है। खेल, रेल, कोल, पोल, सब आखिर में घोटाला ही है। उन घोटालों के खिलाफ सद्गुणों का भाषण देने वाले कुछ संत उन घोटालों से बड़े घोटाले हैं। अभी एक एसएमएस आया है मेरे पास, जब किसी चालू संत से हरि ओम का जाप सुनें, तो लेडीज लोगों को 'हरी होम' करना चाहिए, हरी यानी जल्दी घर भागना चाहिए। एक और रिपोर्ट मेरे पास आई है, संत पाशा ने अदालत में कहा कि बिपाशा बसु चाहिए, उससे ज्ञान चर्चा करनी है। भंग, चरस भी दिलवाइए- राम-राम करना है। अदालत ने डांटते हुए बाबा से कहा- बाबा कम में काम चलाओ। तो बाबा ने पलटकर कहा ओके, तो फिर रम दिलवाइए, कम में काम चलाऊंगा। राम को कम करके मैंने रम कर लिया है। दिलवाइए।
अबे प्याज, तू बहुत अपडेट रहता है।
प्याज- ये मुल्क मैं ही चला रहा हूं, देख कुछ नेताओं की दुकान मैं ही उखाड़ूंगा, कुछ नेताओं की दुकान मैं ही जमाऊंगा। तू औकात में रह।
अबे प्याज, मेरी औकात तक मत पहुंच।
प्याज- बड़े-बड़ों की औकात की हवा निकाली है मैंने। मुझ पर पचास-साठ हजार लेख लिखकर जो रकम मिले, उसमें प्याज का क्वॉर्टर, या आधा प्याज भर खरीद कर मस्त रहियो। पूरे प्याज से तो सिर्फ बात करना, खरीदने की सोचना भी मत।
अबे प्याज, उफ्फ, हाय, नो, लिमिट, कित्ता लिखेंगे प्याज पर। फिर प्याज पर बवाल, सत्तर रुपये किलो मिल रहा है, सातवें आसमान पर प्याज। ना-ना अब सात आसमान से काम ना चलेगा, सत्तर-अस्सी आसमान चाहिए, या इनसे भी ऊपर, प्याज की सही सिचुएशन बताने को।
प्याज- जी लिखते रहिए, लिखते रहिए, जो खा नहीं पाते, वह लिखते हैं।
अबे प्याज, क्या घोटालों जैसी बात कर रहा है कि जो खा पाते हैं, खा जाते हैं, जो नहीं खा पाते, उन पर लिखते हैं। अबे तू प्याज है, या घोटाला।
प्याज- इस मुल्क में आखिर में हर आइटम को घोटाला ही होना है। खेल, रेल, कोल, पोल, सब आखिर में घोटाला ही है। उन घोटालों के खिलाफ सद्गुणों का भाषण देने वाले कुछ संत उन घोटालों से बड़े घोटाले हैं। अभी एक एसएमएस आया है मेरे पास, जब किसी चालू संत से हरि ओम का जाप सुनें, तो लेडीज लोगों को 'हरी होम' करना चाहिए, हरी यानी जल्दी घर भागना चाहिए। एक और रिपोर्ट मेरे पास आई है, संत पाशा ने अदालत में कहा कि बिपाशा बसु चाहिए, उससे ज्ञान चर्चा करनी है। भंग, चरस भी दिलवाइए- राम-राम करना है। अदालत ने डांटते हुए बाबा से कहा- बाबा कम में काम चलाओ। तो बाबा ने पलटकर कहा ओके, तो फिर रम दिलवाइए, कम में काम चलाऊंगा। राम को कम करके मैंने रम कर लिया है। दिलवाइए।
अबे प्याज, तू बहुत अपडेट रहता है।
प्याज- ये मुल्क मैं ही चला रहा हूं, देख कुछ नेताओं की दुकान मैं ही उखाड़ूंगा, कुछ नेताओं की दुकान मैं ही जमाऊंगा। तू औकात में रह।
अबे प्याज, मेरी औकात तक मत पहुंच।
प्याज- बड़े-बड़ों की औकात की हवा निकाली है मैंने। मुझ पर पचास-साठ हजार लेख लिखकर जो रकम मिले, उसमें प्याज का क्वॉर्टर, या आधा प्याज भर खरीद कर मस्त रहियो। पूरे प्याज से तो सिर्फ बात करना, खरीदने की सोचना भी मत।