फर्जी मुठभेड़ करने वाले पुलिस वालों के लिए सिर्फ एक सजा है और वो है सजाए-मौत:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फर्जी मुठभेड़ करने वाले पुलिस वालों के लिए सिर्फ एक सजा है और वो है सजाए-मौत। कोर्ट ने कहा फर्जी एनकाउंटर क्रूर हत्याओं से कम नहीं हैं इसलिए इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए।
जस्टिस मार्कंडेय काट्जू और सुधा मिश्रा ने कहा, 'किसी मामले में अगर किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ साबित हो जाती है तो ऐसे मामलों को रेयरेस्ट ऑफ रेयर यानी दुर्लभतम में भी दुर्लभ मानकर मौत की सजा मिलनी चाहिए।' कोर्ट ने वो अपील खारिज कर दी हैं जिसमें वर्सोवा के नाना-नानी पार्क में मुंबई पुलिस के 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' प्रदीप शर्मा एवं अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ फर्जी मुठभेड़ का मामला था।
कोर्ट ने कहा फर्जी मुठभेड़ और कुछ नहीं बल्कि कानून को ताक पर रख के खाकी वर्दी पहनकर की गई क्रूर हत्याएं है। फर्जी मुठभेड़ के मामलों में शामिल पुलिसकर्मियों को कड़े से कड़ी सजा मिलनी चाहिए क्योंकि वो अपने ड्यूटी के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं। हमारे देश में फर्जी मुठभेड़ के कुछ बहुत चर्चित मामलों में शेख सोहराबुद्दीन उसकी पत्नी कौसरबी और तुलसीराम प्रजापति के मामले के अलावा गुजरात में की गई इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामला भी शामिल है।

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