ग्रेटर नोएडा में किसान-पुलिस में खूनी संघर्ष, 6 की मौत,कई पत्रकार बुरी तरह घायल

तहलका टुडे टीम
नोएडा:ग्रेटर नोएडा के गांव भट्ठा पारसौल में चार माह से चल रहे किसान आंदोलन ने शनिवार को खूनी संघर्ष का रूप ले लिया। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में तीन पुलिसकर्मियों और  तीन किसान की मौत हो गई। गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल भी गोली लगने से जख्मी हो गए। पथराव में एसएसपी, सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ को भी चोटें आई हैं। उग्र किसानों ने तीन सिपाहियों को बंधक बना रखा है। क्षेत्र में तनाव के चलते बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई है।
किसान यमुना एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन का मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वे 17 जनवरी, 2011 से भट्ठा गांव में धरना दे रहे हैं। शुक्रवार सुबह किसानों ने जहांगीरपुर तक बस चलाने के लिए रूट का सर्वे करने जा रहे रोडवेज के तीन कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। कर्मचारियों की रिहाई को लेकर जिला प्रशासन की किसानों से वार्ता चल रही थी लेकिन किसान सीधे मुख्यमंत्री से वार्ता पर अड़े थे। शनिवार दिन में जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल के पीएसी और पुलिस के साथ धरनास्थल पर पहुंचते ही किसान उग्र हो गए। उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। बचाव में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे किसानों में भगदड़ मच गई और दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई।
पैर में गोली लगने से जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल घायल हो गए। घटना की सूचना पाकर आइजी रजनीकांत भी मौके पर पहुंच गए थे। गोलीबारी में आइजी के गनर मनोहर सिंह, सीओ सहना [बुलंदशहर] के गनर मनवीर सिंह और गौतमबुद्ध नगर के एक कांस्टेबल कालू की मौत हो गई। पुलिस की गोली लगने से भंट्टा गांव का एक किसान राजवीर भी मारा गया। पथराव में एसएसपी सूर्यनाथ सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट संजय चौहान, सीओ राहुल कुमार घायल हो गए। आधा दर्जन किसानों के भी घायल होने की खबर मिली है। घायलों को ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
संघर्ष के दौरान हालांकि पुलिस-प्रशासन ने बंधक बनाए गए तीनों रोडवेज कर्मियों को मुक्त करा लिया लेकिन किसानों ने तीन सिपाहियों को बंधक बना लिया। देर शाम अपर पुलिस महानिदेशक गुरुवचन सिंह, मंडल आयुक्त भुवनेश कुमार भी मौके पर पहुंच गए। खबर लिखे जाने तक पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष जारी था और बंधक सिपाहियों को नहीं छुड़ाया जा सका था।
तेवतिया के भड़काने पर चलाई गोली
लखनऊ, जाब्यू। डीजीपी करमवीर सिंह ने ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में किसानों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष का ठीकरा किसान नेता मनवीर सिंह तेवतिया पर फोड़ा है। उनका कहना है कि मनवीर तेवतिया के भड़काने पर ही किसानों ने बंधक बनाये गए तीन रोडवेज कर्मियों को नहीं छोड़ा। जब पुलिस ने उन्हें छुड़ाने के लिए कार्रवाई की तो किसानों ने फायरिंग की, जिससे दो सिपाहियों की मौत हो गयी। जल्दी ही मनवीर तेवतिया को को गिरफ्तार कर लिया जायेगा। इस बीच सरकार ने मृतक पुलिसकर्मियों के परिवारी जन को 15-15 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
शनिवार की शाम डीजीपी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कि नोएडा में किसानों के साथ हुए संघर्ष का भूमि के मुआवजे से कोई लेना देना नहीं है। सर्वदलीय किसान संघर्ष समिति के नेता मनवीर सिंह तेवतिया, जो कि बुलन्दशहर का रहने वाला है, ने ही इस गांव के किसानों को भड़काया जिसके परिणाम स्वरूप किसान हिंसा पर अमादा हो गए और उन्होंने तीन रोडवेजकर्मियों को बंधक बना लिया। जबकि यह रोडवेज कर्मी ग्रामीणों की मांग पर ही गांव में बस सेवा शुरू करने के लिए सर्वे करने गांव गए थे। बंधक बनाये गए रोडवेजकर्मियों को रिहा कराने के लिए मंडलायुक्त और डीएम ने शुक्रवार रात मनवीर सिंह तेवतिया तथा धरने पर बैठे किसानों से वार्ता की पर कोई हल नहीं निकला। बंधक बनाये गए रोडवेजकर्मियों के परिवारी जन को तेवतिया ने शनिवार को दस बजे गांव में बुलाया था लेकिन जब यह लोग गांव में पहुंचे तो रोडवेजकर्मियों को रिहा करने से मना कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने इन लोगों को रिहा कराने की कार्रवाई की तो ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर फायर कर दिया। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है।
डीजीपी के अनुसार तेवतिया ने पहले भी सरकारी कर्मियों को बंधक बना कर अपनी मांगे पूरी कराने का प्रयास कर चुका है पर सफल नहीं हुआ। गाजियाबाद, अलीगढ़ और मथुरा में भी किसानों को धरने पर बैठने के लिए वह उकसा चुका है। टप्पल में भी उसके कारण विवाद हुआ और अब भट्टा में उसके भड़काने के कारण ही दो सिपाही सहित तीन लोगों की मृत्यु हुई तथा कई लोग घायल हुए। डीजीपी का कहना है कि तेवतिया जो संगठन चलता है उसमें भट्टा गांव के कई लड़के हैं, जिनके पास में शस्त्र भी हैं और इनकी तलाश पुलिस कर रही है। डीजीपी ने दावा किया है कि भट्टा गांव प्रकरण में ंखुफिया फेल नहीं हुई है।
किसान आंदोलन का घटना क्रम
-17 जनवरी 2011-चार सूत्रीय मांगों को लेकर भट्ठा गांव में किसानों का सत्याग्रह आंदोलन शुरू
-28 जनवरी को किसानों ने वैर रेलवे स्टेशन के पास दिल्ली हावड़ा रेलवे ट्रैक जाम किया 10 फरवरी: किसानों ने दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक जाम करने का प्रयास किया
-18 फरवरी: दनकौर के कॉलेज ऑफ एजुकेशन में किसानों व प्रशासन के बीच वार्ता। किसान नेता मनवीर तेवतिया को गिरफ्तार करने पर किसान भड़के। यमुना एक्सप्रेस-वे के प्राधिकरण के डीसीईओ आरके सिंह व डिप्टी कलेक्टर एसपी सिंह को किसानों ने बंधक बनाया
-23 फरवरी: पीएसी व किसानों में गोलीबारी: चार किसान घायल। पीएसी के सूबेदार को बंधक बनाया
-26 मार्च: किसानों ने कृषि उप निदेशक धुरेंद्र कुमार, मेरठ मंडल के समाज कल्याण के उप निदेशक समेत छह लोगों को बंधक बनाया 28 अप्रैल: हाथरस के डिप्टी सीएमओ व दो पुलिस कर्मियों को बंधक बनाने का प्रयास किया
-06 मई: किसानों ने रोडवेज के तीन कर्मचारियों को बंधक बनाया

ग्रेटर नोएडा खूनी संघर्ष में टीओआई स्टार न्यूज समेत कई अखबारों चैनलों के पत्रकार घायल

ग्रेटर नोएडा में हुए किसान आंदोलन में मीडिया के कई लोगों के जख्मी होने की सूचना है. जानकारी के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के एक गांव में किसानों और पुलिस वालों के बीच हुए खूनी संघर्ष में मीडिया के करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए हैं और कई ओवी वैन तोड़ी गई है. बताते हैं कि रिपोर्टिंग करने गए स्टार न्यूज और टाइम्स आफ इंडिया के जर्नलिस्टों को गांव वालों और पीएसी वालों, दोनों ने काफी मारापीटा. कई चैनलों की ओवी वैन तोड़ी गई.फोटोग्राफरों और कैमरामैनों के कैमरा आदि तोड़ दिए गए. इस भयानक हमले से बचने के लिए कई पत्रकारों को इधर उधर छुपकर अपनी जान बचानी पड़ी. सूत्रों के मुताबिक पीएसी वालों ने मीडिया वालों को सबसे ज्यादा पीटा. पीएसी वालों ने भद्दी भद्दी गालियां देते हुए मीडिया वालों की भयंकर पिटाई की. मीडिया वाले दौड़ा दौड़ा कर पीटे गए. कुछ महिला पत्रकारों पर भी हमला किया गया. मीडिया वालों जान बचाने के लिए खेतों में छिप गए. यह पता नहीं चल पाया है कि कुल कितने लोग घायल हुए हैं लेकिन सूत्रों के मुताबिक करीब छह लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और दर्जन भर मीडियाकर्मियों को चोटें आई हैं

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