'मैं हूं जिंदा देवी, मुझे चढ़ावा चढ़ावो'

तहलका  टुडे  टीम  
लखनऊ। सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगाi
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा 
यह बशीर बद्र का शेर मायावती पर बिलकुल फिट बैठ रहा है ,इन की जनता से बेवफाई के चर्चे   जोरो  पर है जूतियों से मिट्टी साफ कराने वाली मुख्यमंत्री मायावती खुद को पहले ही देवी बता चुकी हैं। 2007 से पहले वे उप्र व दूसरे राज्यों में अपनी जनसभाओं के दौरान मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाने के बजाए जिंदा देवी मान कर उन्हें दान देने की लोगों से अपील कर चुकी हैं। मायावती का कहना था कि उन पर चढ़ाया पैसा गरीबों के काम आएगा। 

बसपा में मजबूत है चरण रज लेने की परंपरा

बसपा में मायावती के चरण रज लेने की परंपरा बेहद मजबूत है। पार्टी के विधायक बैठकों के दौरान ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं, जब वे मायावती की जूतियों को हाथ से छूकर माथे पर लगा सकें। बसपा के कई मंत्री कहते हैं कि मंदिरों में वर्षों मनौती मानने से जो मनोकामना पूरी नहीं होती है मायावती उसे क्षण भर में पूरी कर सकती हैं। इसलिए हम उनका ही चरण रज लेते हैं। दो वर्ष पहले उप्र के मंत्रिमंडल के विस्तार के समय शपथ लेने वाले कई मंत्रियों ने मंच पर मायावती का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।

सुरक्षा अधिकारी ने किया जूती साफ

क्या सुरक्षा में लगे पुलिस अधिकारी को मुख्यमंत्री के जूते की सफायी भी करनी चाहिए? कानून व्यवस्था से घिरी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती नये विवाद के केन्द्र में है। दो दिन पहले औरैया के दौरे के समय सुरक्षा अधिकारी पदम सिंह ने हेलिकाप्टर से नीचे उतरी मुख्यमंत्री मायावती के जूते रूमाल से साफ किये थे। प्रदेश पुलिस में एएसपी स्तर के अधिकारी पदम सिंह का कहना है कि मु यमंत्री के जूतों में  गीली मिट्टी लग गई थी, जिसे उन्होने साफ कर दिया। पदम सिंह मायावती के बेहद विश्वासपात्र पुलिस अधिकारी है और वर्षो से उनकी सुरक्षा में तैनात है।   

हर मौके की ताक में बैठे विपक्षी नेताओं को आलोचना का एक और मुद्दा मिल गया है। विपक्ष का कहना है कि पुलिस अधिकारी से रुमाल से उनके जूते साफ करने की घटना शर्मनाक तथा सामंतवादी सोच है।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री का व्यवहार शर्मनाक और सुरक्षाकर्मी द्वारा उनके जूते साफ करना दुखद है। जिस व्यक्ति पर सुरक्षा की जि मेदारी है, वह जूते साफ कर रहा है। अखिलेश ने कहा कि इस घटना से साबित हो गया है कि खुद को दलित की बेटी कहने वाली मायावती वास्तव में सामंतवादी सोच रखती हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकारी अधिकारी से जूते साफ कराना गलत है और उस अधिकारी को भी आत्मस मान का याल रखते हुए ऐसा नहीं करना चाहिये था। सिंह ने कहा कि इससे सुरक्षाकर्मियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा। मायावती सामंती व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाती रहीं है, सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर खुद उसी व्यवस्था को अपना लिया है। अब शायद जनता की आवाज़ ये हो सकती है
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा

आपकी राय

राजनीति में इस तानाशाही और सामंतवादी सोच के बारे में आपकी क्या राय है।आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों के साथ शेयर कर सकते हैं। कृपया मर्यादित कमेंट्स करें।

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