भाजपा की विष कन्या!

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भाजपा की विष कन्या! |
नई दिल्ली,सुषमा स्वराज भाजपा की असली आफत है और यह बात पार्टी और संघ परिवार दोनों को समझ में आ गई है। इसके अलावा परमाणु दायित्व विधेयक पर यूपीए सरकार की मदद करने के मामले में सुषमा स्वराज और पार्टी के दूसरे नेताओं ने लाल कृष्ण आडवाणी को भी किनारे लगा दिया है। असल में सुषमा भारतीय जनता पार्टी की विष कन्या साबित होती जा रही है।
संघ परिवार और भाजपा में एक पक्की धारणा यह बन गई है कि सुषमा स्वराज अगर प्रतिपक्ष की नेता बनी रही तो भाजपा को डूबने से कोई नहीं बचा सकता। कर्नाटक के बदनाम और रईस अपराधी नेता रेड्डी बंधुओं की वकालत करने वाली सुषमा स्वराज इन बेइमानों की मुंह बोली बहन है। मगर वे नरेंद्र मोदी को निपटाना चाहती है।
पार्टी की एक शिखर बैठक में मंगलवार को सुषमा स्वराज ने लगभग खीज कर कहा कि नरेंद्र मोदी और सीबीआई का मामला हम जितना उठाएंगे उतना ही यूपीए के जाल में फंसेंगे। इस पर लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली दोनों भड़क गए और उन्होंने सुषमा से सीधे पूछा कि क्या हम नरेंद्र मोदी को इस संकट में अकेला छोड़ दें और देश को संदेश दे कि हमे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की परवाह नहीं है।
सुषमा स्वराज भाजपा की पहली ऐसी नेता प्रतिपक्ष है जो संघ परिवार से नहीं आई है। संघ परिवार में महिलाओं के लिए जगह नहीं होती। नरेंद्र मोदी को सुषमा इसलिए निपटाना चाहती है कि अगर किसी संयोग से भाजपा या एनडीए जैसा कोई मोर्चा सत्ता में आया तो प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी करने वालो में से एक तो कम हो।
हाल ही में सुषमा ने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को भविष्य की किसी कार्यकारिणी बैठक में पेश करने के लिए एक दस्तावेज दिया है जिसमें बताया गया हेै कि लोकसभा चुनाव में जहां जहां नरेंद्र मोदी ने प्रचार किया, वहां वहां भाजपा हार गई। सुषमा के दस्तावेज में यह भी लिखा है कि 2008 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की मजबूती के बावजूद मोदी के कारण पार्टी हारी। सुषमा को याद नहीं है कि वे जब कुछ महीनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाई गई थी तो बुरी तरह पार्टी विधानसभा चुनाव हारी थी और आज तक नहीं जीत पाई।
गुजरात के जेल में बंद भूतपूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह के पक्ष में सुषमा स्वराज अब तक एक भी शब्द नहीं बोली। उधर जब उनके मुंह बोले भाई यानी रेड्डी गिरोह मुसीबत में फंसा था तो उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी तक को बाध्य किया था कि वे उनके राखी के बंधन को निभाए। सुषमा स्वराज की चलती तो येदुयरप्पा की जगह रेड्डियो में से कोई उचक्का कर्नाटक का मुख्यमंत्री होता।
येदुयरप्पा हाल में ही जब दिल्ली आए थे तो पहले तो सुषमा स्वराज ने उन्हें मिलने का समय देने में जानबूझ कर देरी की, उनके फोन नहीं उठाए। इसके बाद खुद मिलने के पहले सुषमा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को जनार्दन रेड्डी से मिलने पर मजबूर किया क्योंकि आखिर वे राखी भाई है। सुषमा ने रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, राजीव प्रताप रुडी और शाहनवाज हुसैन यानी चारों प्रवक्ताओं को जनार्दन रेड्डी से मिलने के लिए होटल मौर्य शेरटन में भेजा और रविशंकर प्रसाद ने बाद में शर्मिंदा हो कर सफाई दी कि हमे कर्नाटक के बारे में बोलना पड़ता है और रेड्डी से ज्ञान लेने गए थे।
अरुण जेटली और लाल कृष्ण आडवाणी ने सुषमा स्वराज को इसके लिए काफी हड़काया और प्रवक्ताओं की तो क्लास ही ले ली। संघ परिवार एक कदम और आगे बढ़ गया और संघ की ओर से विज्ञप्ति जारी हुई कि यह मुलाकात टाली जा सकती है। इसके अलावा सुषमा स्वराज ने विवादास्पद दूर संचार मंत्री डी राजा के खिलाफ लोकसभा में समय मिलने के बावजूद मामला उठने नहीं दिया क्योंकि आखिर राजा और रेड्डी करीबी दोस्त है और रेड्डी जैसा कि आप जानते है, सुषमा स्वराज के मुंह बोले भाई है{ साभार डेटलाइन इंडिया}
वही दूसरी तरफ भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि रेड्डी बंधुओं को इसके लिए प्रलोभन भी दिया, ताकि कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार को अस्थिर किया जा सके।
सुषमा ने एक रैली के दौरान कहा कि बेल्लारी से ताल्लुक रखने वाले मंत्री रेड्डी बंधुओं ने कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है। यही वजह है कि उन्हें प्रलोभन देकर कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस आंध्र प्रदेश सरकार को बचाने की भी कोशिश कर रही है, जो गंभीर स्थिति का सामना कर रही है।’ गौरतलब है कि जगन ने कांग्रेस आलाकमान की मनाही के बावजूद अपनी यात्रा निकाली थी।
सुषमा ने कहा कि वह सच सामने लाना चाहती हैं, क्योंकि मीडिया के एक वर्ग ने रेड्डी बंधुओं, जी जनार्दन रेड्डी और जी करुणाकर रेड्डी के खिलाफ हाल में गलत जानकारी छापी थी।
सुषमा ने दावा किया कि बेल्लारी से ताल्लुक रखने वाले मंत्रियों ने एक नहीं दो बार प्रलोभनों को ठुकरा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा के हाथों मिली हार को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है