'महिलाएं दफ्तर में काम कर सकती हैं, पर बुर्का पहनकर'
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देवबंद : दारुल उलूम की ओर से जारी फतवे में मुस्लिम महिलाओं के नौकरी करने को गैर-इस्लामिक करार दिए जाने के बाद एक दूसरी संस्था गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही दारुल उलूम देवबंद ने कहा था कि गैर-मर्दों के नजदीक में मुस्लिम महिलाओं का काम करना गलत है। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि उनकी आय को उनके परिवार द्वारा मंजूर किया जाना शरीयत के खिलाफ है। दारुल उलूम के फतवे में पुरुषों के बैंकों में नौकरी करने को भी गैर इस्लामी करार दिया गया था, जिससे बैकों में काम करने वाले मुसलमानों में बेचैनी उत्पन्न हो गई थी। ऐसे में यह नया फतवा जारी किया गया है। दारुल इफ्ताह बरेलवी शरीफ के मुफ्ती मोहम्मद ए. ए. रिज़वी ने फतवा जारी कर कहा है कि महिलाएं नौकरी कर सकती हैं लेकिन इसके लिए उन्हें बुर्का पहने सहित कुछ शर्तें माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम के अनुसार बैंकों में मुसलमानों का नौकरी करना इसलिए जायज़ है क्योंकि बैंकों द्वारा अर्जित किया जाने वाला ब्याज दरअसल मुनाफा है। मुफ्ती रिज़वी ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं, गैर-पुरुषों के साथ मेल जोल न रखने, बारीक कपड़े नहीं पहनने और पर्दा करने जैसी तय शर्तों को पूरा करने के साथ काम कर सकती हैं। फतवा उत्तर प्रदेश के बरेली में इफ्ताह के सामने पेश एक सवाल के जवाब में जारी हुआ था। यह सवाल रज़ा मुस्लिम मिशन के कार्यकर्ता सैयद सैफ अली ने रखा था |