अफ़सोस! अफ़सोस! देश की प्रेसिडेंट , स्पीकर समेत कई नेता महिला , उस देश में इंसानों की मंडी, बच्चो और महिलाओ का 1.5 खरब रुपये का कारोबार ?
https://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/afsos-jis-desh-ki-presidentspeakarsamet.html
रिजवान मुस्तफा
नई दिल्ली. कहने को यह भले ही इक्कीसवीं सदी हो,राष्ट्रपति ,speakar समेत केंद्र सरकार को अपने इशारे पर चलने वाली Soniya गाँधी हो देश में बच्चो और महिलाओ को
गुलामी का कारोबार आदिम जमाने को भी पीछे छोड़ रहा है। इंसानों को अगवा कर, बहला-फुसला कर बेच देने का अवैध कारोबार आज 32 अरब डॉलर (करीब 1.5 खरब रुपये)सालाना से भी ज्यादा का है। यह धंधा ड्रग्स के काले कारोबार से भी ज्यादा ‘चमकीला’ है।
नई दिल्ली. कहने को यह भले ही इक्कीसवीं सदी हो,राष्ट्रपति ,speakar समेत केंद्र सरकार को अपने इशारे पर चलने वाली Soniya गाँधी हो देश में बच्चो और महिलाओ को
गुलामी का कारोबार आदिम जमाने को भी पीछे छोड़ रहा है। इंसानों को अगवा कर, बहला-फुसला कर बेच देने का अवैध कारोबार आज 32 अरब डॉलर (करीब 1.5 खरब रुपये)सालाना से भी ज्यादा का है। यह धंधा ड्रग्स के काले कारोबार से भी ज्यादा ‘चमकीला’ है।
पश्चिम पर भी दागइंसानी खरीद-फरोख्त का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और लड़कियां और कम उम्र की महिलाएं होती हैं। इस काले धंधे में विकसित कहलाने वाले पश्चिमी देश भी काफी सक्रिय हैं। पिछले साल ही पश्चिमी देशों में कम से कम 50,000 इंसानों की खरीद-फरोख्त हुई।
भारत का खराब रिकार्डभारत का रिकार्ड भी इस मामले में बेहद खराब है। यहां से हर साल 20 हजार से ज्यादा लड़कियां गायब हो जाती हैं। इनमें से कम ही अपने घरों को लौट पाती हैं। इंसानी मंडी में बिकने वाली लड़कियां या महिलाएं मुख्य रूप से देह व्यापार के धंधे में लगाई जाती हैं। इसके अलावा इन्हें नौकर बना कर भी रखा जाता है।
सेक्स वर्कर्सभारत में सरकारी रिकॉर्ड में सेक्स वर्कर्स की संख्या करीब सात लाख है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में 6,88,751 सेक्स वर्कर्स हैं। अकेले राजधानी दिल्ली में करीब 38 हजार रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर्स हैं। हालांकि एड्स की रोकथाम के लिए काम करने वाली संस्था नाको के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर इनकी संख्या 12.63 लाख है। कोटइंसानों की खरीद-फरोख्त रुके, इसके लिए दुनिया भर में कदम उठाए जा रहे हैं। पर यह कारगर साबित होता नहीं लग रहा। इसकी मुख्य वजह समाज का नजरिया भी है।
‘मिशन टू अनरीच्ड’ नाम से एनजीओ चलाने वाले जे. थॉमस कहते हैं, `हमारे देश में आज भी गुम हुए बच्चों के प्रति संवेदनशीलता नहीं है। कई बार तो पुलिसकर्मी ही इन बच्चों का शोषण करते हैं और गलत धंधा करने पर मजबूर करते हैं।
जयपुर से 19 साल की संगीता को गायब हुए करीब चार महीने हो गए थे, तब उसके घर उसका फोन आया। यह बात इस साल मार्च की है। उसने अपने माता-पिता को फोन कर कहा कि वह दिल्ली में सुरक्षित है। लेकिन कुछ ही दिन बाद दिल्ली पुलिस ने एक कथित स्वामी भीमानंद के आश्रम पर छापा मारा तो वह वहां देह व्यापार में लिप्त मिली। भीमानंद के आश्रम में पुलिस को 9 लड़कियां मिलीं, जिन्हें सेक्स के कारोबार में लगाया गया था।
पड़ोसी ने दिया दगा
मध्य प्रदेश के मंडला की कांता पिछले कई सालों से अपनी बेटी अंजू का इंतजार कर रही है। एक पड़ोसी ने कांता को आश्वासन दिया था कि वह अंजू को उसके साथ दिल्ली भेज दे, जहां वह काम पर लग जाएगी और हर महीने कुछ पैसे भेजेगी। कुछ महीने पैसे आए भी। लेकिन अब न पैसे आ रहे हैं और न कांता का पता है। पड़ोसी से पूछने पर वह धमका रहा है और पुलिस कोई मदद नहीं कर रही है। पुलिस का कहना है कि मामला दिल्ली पुलिस का है, लेकिन कांता के पास दिल्ली आने के लायक रकम भी नहीं है। अब वह केवल इंतजार कर सकती है।मंडला के ही बिछिया में रहने वाली मनीषा दिल्ली में नौकरी की आस लेकर एक स्थानीय व्यक्ति के साथ निकली थी। लेकिन वह दलाल निकला और मनीषा पहुंच गई कोलकाता के एक वेश्यालय में। पुलिस ने उसे वेश्यालय में छापा मारकर बरामद किया। अब वह मानसिक संतुलन खो चुकी है।
भारत का खराब रिकार्डभारत का रिकार्ड भी इस मामले में बेहद खराब है। यहां से हर साल 20 हजार से ज्यादा लड़कियां गायब हो जाती हैं। इनमें से कम ही अपने घरों को लौट पाती हैं। इंसानी मंडी में बिकने वाली लड़कियां या महिलाएं मुख्य रूप से देह व्यापार के धंधे में लगाई जाती हैं। इसके अलावा इन्हें नौकर बना कर भी रखा जाता है।
सेक्स वर्कर्सभारत में सरकारी रिकॉर्ड में सेक्स वर्कर्स की संख्या करीब सात लाख है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में 6,88,751 सेक्स वर्कर्स हैं। अकेले राजधानी दिल्ली में करीब 38 हजार रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर्स हैं। हालांकि एड्स की रोकथाम के लिए काम करने वाली संस्था नाको के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर इनकी संख्या 12.63 लाख है। कोटइंसानों की खरीद-फरोख्त रुके, इसके लिए दुनिया भर में कदम उठाए जा रहे हैं। पर यह कारगर साबित होता नहीं लग रहा। इसकी मुख्य वजह समाज का नजरिया भी है।
‘मिशन टू अनरीच्ड’ नाम से एनजीओ चलाने वाले जे. थॉमस कहते हैं, `हमारे देश में आज भी गुम हुए बच्चों के प्रति संवेदनशीलता नहीं है। कई बार तो पुलिसकर्मी ही इन बच्चों का शोषण करते हैं और गलत धंधा करने पर मजबूर करते हैं।
सही यह भी है कि समाज भी इन बच्चों को लेकर गंभीर नहीं है।
ऐसे देह की मंडी में आती हैं लड़कियां
नई दिल्ली. लड़कियों को देह की मंडी में धकेलने के लिए गिरोह तो सक्रिय हैं ही, कई बार स्वार्थ और गरीबी के चलते माता-पिता और करीबी रिश्तेदार खुद उन्हें सेक्स के बाजार में धकेल देते हैं।जयपुर से 19 साल की संगीता को गायब हुए करीब चार महीने हो गए थे, तब उसके घर उसका फोन आया। यह बात इस साल मार्च की है। उसने अपने माता-पिता को फोन कर कहा कि वह दिल्ली में सुरक्षित है। लेकिन कुछ ही दिन बाद दिल्ली पुलिस ने एक कथित स्वामी भीमानंद के आश्रम पर छापा मारा तो वह वहां देह व्यापार में लिप्त मिली। भीमानंद के आश्रम में पुलिस को 9 लड़कियां मिलीं, जिन्हें सेक्स के कारोबार में लगाया गया था।
पड़ोसी ने दिया दगा
मध्य प्रदेश के मंडला की कांता पिछले कई सालों से अपनी बेटी अंजू का इंतजार कर रही है। एक पड़ोसी ने कांता को आश्वासन दिया था कि वह अंजू को उसके साथ दिल्ली भेज दे, जहां वह काम पर लग जाएगी और हर महीने कुछ पैसे भेजेगी। कुछ महीने पैसे आए भी। लेकिन अब न पैसे आ रहे हैं और न कांता का पता है। पड़ोसी से पूछने पर वह धमका रहा है और पुलिस कोई मदद नहीं कर रही है। पुलिस का कहना है कि मामला दिल्ली पुलिस का है, लेकिन कांता के पास दिल्ली आने के लायक रकम भी नहीं है। अब वह केवल इंतजार कर सकती है।मंडला के ही बिछिया में रहने वाली मनीषा दिल्ली में नौकरी की आस लेकर एक स्थानीय व्यक्ति के साथ निकली थी। लेकिन वह दलाल निकला और मनीषा पहुंच गई कोलकाता के एक वेश्यालय में। पुलिस ने उसे वेश्यालय में छापा मारकर बरामद किया। अब वह मानसिक संतुलन खो चुकी है।