मिसाइल के हमले से भी बेअसर बंकर की 66 हजार तिजोरियों में कैद है सहारा के राज़!


 
नई दिल्ली. निवेशकों से पैसे इकट्ठा करने वाले सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया के नाम जारी दो पेजों के बयान में गुरुवार को लखनऊ के सहारा शहर स्थित अपने घर पर लखनऊ पुलिस को न मिलने की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि वह अपनी मां छबि रॉय की सेहत के बारे में डॉक्टरों से सलाह लेने घर से बाहर गए थे। उन्होंने बयान में कहा कि उन्हें 3 मार्च तक अपने घर में नजरबंद रहकर मां के साथ वक्त गुजारने की अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च को रॉय को हाजिर होने का आदेश पहले ही दे चुका है। गुरुवार को लखनऊ पुलिस ने कहा था कि सुब्रत रॉय न तो अपनी मां के साथ घर पर हैं और न ही अस्पताल में। पुलिस ने यह भी कहा था कि उनके परिवार को भी यह नहीं मालूम है कि वह कहां हैं। लेकिन गुरुवार को ही सुब्रत रॉय ने कई अखबारों में विज्ञापन देकर दावा किया था कि वह अपनी मां के साथ हैं और उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जा सकते हैं। ऐसे में सुब्रत रॉय के उलट बयानों से संदेह पैदा हो रहा है। अगर उन्हें डॉक्टरों की सलाह से बाहर ही जाना था, तो वे इसकी जानकारी खुद परिवार को या पुलिस को फोन पर दे सकते थे। सुब्रत रॉय के बयानों की तरह ही उनके कारोबार की दुनिया भी बहुत पोशीदा है। उनके कारोबार के तरीके और उनकी रहस्यमयी दुनिया के बारे में जानिए: 
 
 
सहारा की पोशीदा दुनिया?
 
-मुंबई के उपनगरीय इलाके में मौजूद छोटी सी पहाड़ी पर एक अमेरिकी राष्ट्रपति के घर यानी वाइट हाउस के साइज से दोगुना बड़े बंकर में सहारा समूह के राज़ बंद हैं। यह बंकर मार्केट रेगुलेटर सेबी का है। यह ऐसा बंकर है, जिस पर मिसाइल से भी हमले का असर नहीं पड़ेगा। बंकर के चारों ओर 12 फुट ऊंची दीवारें हैं, जिन पर कंटीले तार लगे हुए हैं। इस कॉम्प्लेक्स पर नजर रखने के लिए 84 सेक्योरिटी कैमरे लगाए गए हैं। सेबी इस बंकर के अंदर मौजूद तिजोरियों को किराए पर देती है। 
 
-बंकर के भीतर 66,600 मेटल बॉक्स हैं, जिनके भीतर 20 करोड़ दस्तावेजों में अन्य जानकारियों के साथ ही सहारा के 3 करोड़ निवेशकों के ब्योरे दर्ज हैं। इन दस्तावेजों को सहारा ने 128 ट्रकों में 31,675 कार्टन में भरकर भेजा था। 
 
-खुद को 'सहारा श्री' कहलाना पसंद करने वाले सुब्रत रॉय जहां रहते हैं, वह भी कम रहस्यमयी और दिलचस्प नहीं है। सुब्रत रॉय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वीआईपी इलाके गोमती नगर के विपुलखंड में मौजूद सहारा शहर में आम तौर पर रहते हैं। सहारा शहर में सुब्रत रॉय ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सरकारी आवास वाइट हाउस की तर्ज पर अपना घर बनवाया हुआ है। बताया जाता है कि जब सुब्रत रॉय इस घर को बनवा रहे थे, तब उन्होंने दो आर्किटेक्ट को अमेरिका जाकर वाइट हाउस देखकर आने को कहा था ताकि घर में किसी तरह की कमी न रह जाए। 
 
-लखनऊ स्थित सहारा शहर 148 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है जिसके चारों ओर दीवारें हैं। सहारा शहर में कृत्रिम झील, गोल्फ कोर्स और हेलीपैड बना हुआ है। सहारा शहर को इस तरह से बनाया गया है कि बाहर से कोई गाड़ी अंदर नहीं जा सकती है। शायद यही वजह है कि गुरुवार को सुब्रत रॉय की तलाश में उनके घर पहुंची पुलिस की गाड़ियां सहारा शहर के गेट पर ही रोकनी पड़ीं और पुलिस वालों को पैदल ही अंदर जाना पड़ा।
 
8 करोड़ निवेशकों के जुड़े होने का दावा 
 
सहारा समूह में करीब 120 कंपनियां हैं। यह समूह पैराबैंकिंग, रियल एस्टेट, टीवी चैनल, अस्पताल, डेयरी फार्म, रिटेल शॉप जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है। सहारा डिटर्जेंट पाउडर से लेकर हीरा तक बेचता है। भारत के फॉर्म्यूला वन रेसिंग टीम में सहारा की 42.5 फीसदी की हिस्सेदारी भी है। सहारा के पास करीब 36 हजार एकड़ जमीन भी है जो लिचटेंसटाइन जैसे देश जितना बड़ा है। यूरोप महाद्वीप के इस देश में ऐसे कई बैंक हैं, जहां काला धन जमा किया जाता है। सहारा समूह की ओर से शुक्रवार को दी गई जानकारी के मुताबिक सहारा समूह से करीब 8 करोड़ निवेशक जुड़े हैं। 
 
 
मोची को फल विक्रेता बनाने के सपना दिखाकर 20 रुपए रोज लेते हैं 
 
1978 में शुरू किया गया सहारा पैराबैंकिंग सहारा समूह का बुनियादी काम रहा है। सहारा रिक्शा चलाने वाले, कपड़े धोने वाले, पंचर बनाने वाले, सब्जी बेचने वाले और ठेले पर रोजमर्रा की चीजें बेचने वाले फुटकर कारोबारियों से रोजाना औसतन 20 रुपए इकट्ठा करती है। पैसे इकट्ठा करने का यह काम सहारा के एजेंट करते हैं। एजेंट कमिशन पर काम करते हैं और वे निवेशक को तय समय में निवेश के बदले एक तय रकम वापस करने का वादा करते हैं। कई बार यह रकम इतनी भी बताई जाती है कि उससे निवेश करने वाले की बेटी की शादी की जा सकती है या जमीन खरीदी जा सकती है। रॉय का मानना है कि वह देश की 65 फीसदी आबादी की सेवा करते हैं, जिनके खाते रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद बैंकों में नहीं खुल पाए हैं। अपने काम की खुद तारीफ करते हुए सुब्रत रॉय कहते हैं, 'हम उन लोगों का ध्यान रखते हैं जो कभी बैंक नहीं जाते। मैं आपको ऐसी लाखों मिसालें दे सकता हूं जहां मोची फल विक्रेता बन गया और रिक्शा चलाने वाला आज तीन रिक्शों का मालिक है।'

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