हक से मांगें बैंक से सुविधाएं


बात चाहे एटीएम सुविधा की हो या फिर लॉकर की, कस्टमर्स को बैंकों से पूरी सुविधा नहीं मिलती। बड़े-बड़े दावे करनेवाले बैंकों में छोटे-छोटे कामों के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी होती हैं।
कस्टमर्स के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। कस्टमर के मांगने पर भी कंप्लेंट बुक मुहैया नहीं कराई जाती। बैंक के खिलाफ शिकायत होने पर कस्टमर क्या कर सकता है, जानते हैं दिल्ली एरिया (दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद, नोएडा) के बैंकिंग ओम्बड्समैन (लोकपाल) हरेश कुलश्रेष्ठ से :
बैंक कस्टमर्स को चेक ड्रॉप-बॉक्स में डालने को मजबूर करते हैं।
- बैंक कस्टमर्स को चेक ड्रॉप-बॉक्स में डालने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। ड्रॉप-बॉक्स पर यह लिखा होना जरूरी है कि आप काउंटर पर भी चेक रिसीव करा सकते हैं। अगर कस्टमर को कोई दिक्कत हो तो बैंक मैनेजर को लिखित रूप से शिकायत करे।
लॉकर सुविधा देने के नाम पर बैंक एफडी की मांग करते हैं।
- बैंक का लॉकर सुविधा के लिए एफडी कराने की मांग करना गलत है। बैंक सिर्फ यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसे लॉकर का सालाना किराया मिलता रहे। बैंक अपनी मर्जी से एफडी की मांग नहीं कर सकते। अगर बैंक में लॉकर उपलब्ध न हो तो कस्टमर की ऐप्लिकेशन पर वेटिंग नंबर डालकर बैंक को उसे रिसीव करना चाहिए। लॉकर उपलब्ध होने पर कंस्यूमर को सूचित किया जाए।
पासबुक में एंट्री के नाम पर बैंक परेशान करते हैं। प्राइवेट बैंक तो कस्टमर्स को पासबुक भी उपलब्ध नहीं कराते।
- अगर बैंक का कंप्यूटर आदि काम नहीं कर रहा है तो इस स्थिति में बैंक को आपकी पासबुक लेकर पेपर टोकन इश्यू करना चाहिए। लेकिन पासबुक एंट्री कराने में कस्टमर को बार-बार परेशानी न हो, यह भी बैंक को ध्यान रखना चाहिए। बैंक द्वारा पासबुक उपलब्ध न कराए जाने की स्थिति में आप अपने बैंक से लिखित रूप में पासबुक की मांग कर सकते हैं। इसके लिए रिजर्व बैंक के साफ-साफ गाइडलाइंस हैं।

एटीएम ट्रांजेक्शन फेल होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के बावजूद 12 दिन में कस्टमर्स को पैसा वापस नहीं मिल पा रहा है?
- कस्टमर के बैंक को लिखित रूप से सूचित किए जाने के 12 दिन में पैसा वापस मिल जाना चाहिए। अगर ऐसा न हो तो एक महीने बाद बैंकिंग ओम्बड्समैन को जरूर लिखें। 12 दिन के बाद के दिनों के लिए 100 रुपये रोजाना के हिसाब से कस्टमर्स को मिलते हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं, जहां बैंक को सिर्फ दो हजार रुपये के लिए कस्टमर को 15 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा।
एक छोटे-से कमरे में दो एटीएम लगाना जायज है?
- उनके बीच में पार्टिशन जरूर होना चाहिए, वरना प्राइवेसी क्या रहेगी? बैंक एटीएम के दरवाजे भी कार्ड से खुलनेवाले होने चाहिए। इसके अलावा एटीएम रूम में ट्रांजेक्शन करते वक्त किसी और शख्स को अंदर नहीं आने देना चाहिए।
एटीएम रूम में परेशानी होने पर कस्टमर के लिए क्या ऑप्शंस हैं?
- संबंधित बैंक अधिकारी का फोन नंबर व जरूरी गाइडलाइंस एटीएम रूम में जरूर लिखे होने चाहिए। कुछ बैंक फोन की सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं। हमने सभी बैंकों से एटीएम रूम में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा है। कोई दिक्कत होने पर इनसे काफी मदद मिलती है, लेकिन देखने में आता है कि बैंक कुछ समय बाद इनकी रिकॉर्डिंग को डिलीट कर देते हैं। ऐसे में हमारा तर्क होता है, चूंकि कस्टमर आपको पहले ही सूचित कर चुका होता है, इसलिए बैंक के लिए उस केस की रिकॉर्डिंग को सेव करना जरूरी हो जाता है।
बैंकों में स्टाफ कम होता जा रहा है। कस्टमर्स को छोटे-छोटे काम काम के लिए घंटों लग जाते हैं।
- समस्या यह है कि स्टाफ कम होने की बात को बैंक मानते ही नहीं हैं। दूसरे, हम हर बात के लिए बैंकों को मजबूर नहीं कर सकते। अगर कस्टमर को कोई समस्या है तो वह बैंक मैनेजर व सीनियर अधिकारियों को जरूर लिखे।
कस्टमर्स अपनी शिकायत कहां करे, बैंक मैनेजर कंप्लेंट बुक ही उपलब्ध नहीं कराते?
- सभी बैंक मैनेजरों के पास कंप्लेंट बुक होती हैं। कस्टमर को दूसरी कॉपी रसीद के तौर पर देने का प्रोविजन भी होता है। अगर बैंक मैनेजर कंप्लेंट बुक उपलब्ध न कराए तो सादे कागज पर शिकायत लिखकर उसे रिसीव कराएं या बैंक के सीनियर ऑफिसरों को लिखें। एक महीने में अगर आपको बैंक का जवाब न मिले या आप जवाब से संतुष्ट न हों तो मुझे लिखें। दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और गाजियाबाद के सभी बैंकों से संबंधित शिकायत के लिए नीचे लिखे एड्रेस पर लिखें :
बैंकिंग ओम्बड्समैन,
सेकंड फ्लोर, आरबीआई बिल्डिंग, संसद मार्ग, दिल्ली 110001,
फोन : 011- 2373 0632-33, 2373 6270-71, फैक्स : 011-2372 5218
वेबसाइट : www.bankingombudsman.rbi.org.in
ईमेल : bonewdelhi@rbi.org.in
ओम्बड्समैन को शिकायत भेजते समय कस्टमर को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- शिकायतकर्ता अपना नाम, पता व फोन नंबर जरूर लिखे। केस से जुड़ी सभी जानकारी उसमें होनी चाहिए। शिकायत कम शब्दों में व फोकस्ड होनी चाहिए। शिकायत सादे कागज के अलावा तय फॉर्म, ऑनलाइन या ई-मेल द्वारा भी की जा सकती है। शिकायत के साथ बैंक अधिकारियों को पहले भेजे गए मेल या चिट्ठी आदि की कॉपी भी लगी होनी चाहिए।
शिकायत मिलने पर ओम्बडसमैन किस प्रकार कार्रवाई करता है?
- ऑनलाइन मिली शिकायतों पर शिकायतकर्ता को उसी दिन कंप्लेंट नंबर जारी कर दिया जाता है, जबकि डाक से मिली शिकायतों पर बैंक से जवाब मांगा जाता है। उसी वक्त कस्टमर कंप्लेंट नंबर जारी कर दिया जाता है। इस स्थिति में कुछ शिकायतों का बैंक उसी समय निपटारा कर देता है या फिर कारण लिखकर बैंकिंग ओम्बड्समैन को सूचित करता है।
ओम्बड्समैन कितने समय में शिकायत पर कार्रवाई कर लेते हैं?
- हर केस में क्लोज़ जरूरी है। किसी भी केस को क्लोज़ किए बिना बीच में अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता। इस प्रक्रिया में हमें ज्यादा-से-ज्यादा तीन महीने लगते हैं।
कस्टमर को ओम्बडसमैन के ऑर्डर की कॉपी कैसे मिल पाती है?
- ओम्बड्समैन द्वारा ऑर्डर किए जाने के 15 दिन से 20 दिन के अंदर ऑर्डर की कॉपी कस्टमर के एड्रेस पर भेज दी जाती है। ऑर्डर की कॉपी रिसीव किए जाने के 15 दिन के अंदर कस्टमर को बैंक को लिखित मंजूरी देनी होती है।

क्या बैंक ओम्बड्समैन के ऑर्डर को मानने के लिए मजबूर हैं?
- नहीं, ऐसा नहीं है। कुछ मामलों में बैंक हमारे ऑर्डर के खिलाफ अपील भी करते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में बैंक हमारा ऑर्डर मानते हैं। ओम्बड्समैन के ऑर्डर के खिलाफ बैंक को अपील करने के लिए अपने बैंक के चेयरमैन या एमडी आदि की मंजूरी जरूर लेनी होती है। कुछ ही मामले ऐसे होते हैं, जब बैंक हमारे ऑर्डर के खिलाफ अपील करते हैं।
बैंक कस्टमर्स से आप क्या उम्मीदें रखते हैं?
- सुविधाओं के साथ समझौता न करें। अगर बैंक में परेशानी हो तो शिकायत जरूर करें। ऐसी बहुत-सी समस्याएं हैं, जो वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच ही नहीं पातीं। इसके अलावा मेरा एक और सुझाव है कि जब भी क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करें तो साइन करने से पहले उसके नियम व शर्तें अवश्य पढ़ें। क्रेडिट कार्ड की पेमेंट करने के लिए आखिरी तारीख का इंतजार न करें, बल्कि समय रहते उसका पेमेंट कर दें। हमेशा पूरा अमाउंट ही पे करें, मिनिमम अमाउंट नहीं।

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