अरब देशों में जनक्रान्ति



लीबिया, यमन और बहरैन सहित कुछ अरब देशों में जनक्रान्ति जारी है।
लीबिया में कई नगरों में क्रान्तिकारियों और तानाशाह क़ज़्ज़ाफ़ी की समर्थक सेना के बीच झड़पें हो रही हैं जबकि नैटो के आक्रमण भी जारी हैं।
लीबिया में नैटो की भूमिका को लेकर बड़ी संदेहपूर्ण स्थिति है। टीकाकारों का मानना है कि क़ज़्ज़ाफ़ी अपनी जनता का दमन कर रहा था अतः इस दमन को रोकना आवश्यक था। नैटो ने यही उद्देश्य बताकर लीबिया में कार्यवाही आरंभ की किंतु उसके अभियान का रूप पूर्णतः बदल चुका है। लीबिया में क्रान्तिकारियों की ओर से गठित अंतरिम परिषद का कहना है कि नैटो ने कई स्थानों पर क्रान्तिकारियों पर आक्रमण किए हैं जबकि बरीक़ा नगर में क्रान्तिकारियों को यह कहकर प्रवेश करवा दिया कि इस नगर में क़ज़्ज़ाफ़ी की सेना के विरुद्ध आक्रमण करके उसे कमज़ोर कर दिया गया है। क्रान्तिकारी नैटो के इस आश्वासन पर बरीक़ा नगर में प्रविष्ट हुए तो स्थिति कुछ और ही थी। वहां क़ज़्ज़ाफ़ी की सेनाएं पूर्ण रूप से लैस तैनात थीं और उनके आक्रमणों में अनेक क्रान्तिकारी मारे गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि लीबिया में नैटो की दृष्टि केवल तेल भंडारों पर है और वो इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क़ज़्ज़ाफ़ी शासन तथा क्रान्तिकारियों दोनों के साथ चूहे और बिल्ली का खेल खेल रहा है।

यमन
यमन की स्थिति भी तनावपूर्ण बनी हुई है और देश भर में राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के विरुद्ध प्रदर्शनों का क्रम जारी है। सरकार विरोधियों ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है कि वे अली अब्दुल्लाह सालेह से कोई बातचीत नहीं कर सकते तथा प्रदर्शनों को बंद करवाने का एक मात्र मार्ग अली अब्दुल्लाह सालेह का त्यागपत्र है।
यमन के विपक्षी दलों ने फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद की अपील को भी ख़ारिज कर दिया और कहा कि अली अब्दुल्लाह सालेह का त्यागपत्र समस्या का एक मात्र समाधान है।
इस बीच कल राजधानी सनआ में प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों के आक्रमण में एक और प्रदर्शनकारी मारा गया।
बहरैन
बहरैन में भी कल सैनिकों ने अद्दराज़, अस्सनाबिस, अलअकर, अददीर तथा बेलाद नगरों में प्रदर्शनकारियों पर आक्रमण किए। सूचना है कि सैनिकों ने महिलाओं और बच्चों पर भी आकर्मण किए हैं और दो महिलाएं शहीद हो गईं। बहरैन में जनता की लोकतांत्रिक मांगों से बौखलाई शाही सरकार ने प्रदर्शनकारियों के दमन के लिए अनेक शैलियां अपनाई हैं। शाही शासन ने अस्पतालों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, घरों पर छापे मारे जा रहे हैं, लोगों को गिरफ़तार करके अज्ञात स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और रिपोर्टें हैं कि बहुत से बहरैनी प्रदर्शनकारियों को गिरफ़तार करके सऊदी अरब की जेलों में रखा गया है। बहरैनी सरकार ने किराए के सैनिकों को एकत्रित किया है और पाकिस्तान से सैनिक मंगवाएं हैं ताकि जनता की लोकतांत्रिक मांगों को कुचला जा सके।
इस बीच आश्चर्य और खेद की बात यह है कि अमरीका तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठन जो मानवाधिकारों और लोकतंत्र तथा स्वतंत्रता की बातें करते नहीं थकते बहरैन में जनता के निर्मम जनंसहार पर चुप्पी साधे हुए हैं। अमरीका सहित वह देश जो लीबिया में जनता को बचाने के नाम पर सैनिक कार्यवाही कर रहे हैं बहरैन में जनता पर खुला अत्याचार होते न केवल देख रहे हैं बल्कि उसका समर्थन भी कर रहे हैं।
मिस्र में जहां जनक्रान्ति सफल हो चुकी है अब जनता की मांगों को देखते हुए अपदस्थ हुस्नी मुबारक सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध मुक़द्दमें आरंभ हो गए हैं। न्यायालय ने पूर्व गृहमंत्री हबीब अलअदली एवं वित्त मंत्री युसुफ़ पितरुस ग़ाली को न्यायालय में हाज़िर होने का आदेश दिया गया है। हुस्नी मुबारक के प्रतिबंधित दल नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व महासचिव सफ़वत शरीफ़, हुस्नी मुबारक के कार्यालय के चीफ़ आफ़ स्टाफ़ ज़करिया अज़्मी जेल भेजे जा चुके हैं और भंग हो चुकी संसद के सभापति फ़त्वी सरवर की गिरफ़तारी का आदेश जारी हो चुका है। हुस्नी मुबारक की पत्नी सुज़ान मुबारक को भी न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया गया है जबकि हुस्नी मुबारक और उनके दो बेटे हिरासत में हैं अल्बत्ता हुस्नी मुबारक को बीमारी के कारण क़ाहेरा के एक सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हुस्नी मुबारक ने अपने शासन काल में अमरीका और इस्राईल की बड़ी सेवा की और इस संदर्भ में जनता की इच्छाओं की पूर्ण रूप से उपेक्षा की। मुबारक सरकार के अधिकारियों ने आर्थिक भ्रष्टाचार और अत्याचार का बाज़ार गर्म किए रखा जिससे क्षुब्ध जनता ने सरकार का तख्ता पलट दिया और अब यह अधिकारी न्यायालय के कटघरे में खड़े हुए हैं। मिस्र के तानाशाह का यह अंजाम हुआ है। निश्चित रूप से दूसरे देशों के तानाशाहों की दृष्टि इस तथ्य पर केन्द्रित होगी।

Post a Comment

emo-but-icon

Featured Post

करंसी नोट पर कहां से आई गांधी जी की यह तस्वीर, ये हैं इससे जुड़े रोचक Facts

नई दिल्ली. मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, आजादी के जश्न में महात्मा गांधी को जरूर याद किया जा...

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

Side Ads

Connect Us

item