मुख्यमंत्री मायावती के प्रमुख सचिव विजय शंकर पांडे से जुड़े हसन अली के तार? हटाया गया

आज का हीरो 
तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली
, देश में टैक्स चोरी के सबसे बड़े आरोपी हसन अली के रिश्ते उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के प्रमुख सचिव विजय शंकर पांडे से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) विजय शंकर को पूछताछ के लिए जल्द ही बुला सकता है। इन आरोपों के मीडिया में आने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक ईडी जल्द ही विजय शंकर को पेश होने के लिए समन जारी कर सकती है। पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गर्वनर इकबाल सिंह को पूछताछ के लिए शुक्रवार को समन जारी किया जा चुका है।
हसन अली और उसके सहयोगी काशीनाथ तापुरिया दोनों 70 हजार की टैक्स चोरी के मामले में ईडी की कस्टडी में हैं।
ईडी ने बिहार से कांग्रेसी नेता अमलेंदु पांडे से पूछताछ के बाद विजय शंकर और इकबाल से पूछताछ करने का फैसला किया। हसन अली के सहयोगी अमलेंदु ने पूछताछ में बताया था कि वह विजय शंकर और इकबाल सिंह के संपर्क में था।
शुक्रवार को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के दफ्तर से जांच में बाधा डालने की भरसक कोशिश की जा रही है।
इन आरोपों के मीडिया में आने के बाद पांडे को पद से हटा दिया गया है। लखनऊ में कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर ने यह जानकारी दी। उन्होंने इन आरोपों को व्यक्तिगत मामला बताते हुए कहा कि राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि आगे ईडी अगर पांडे से किसी तरह की पूछताछ करती है तो वह भी उनकी व्यक्तिगत हैसियत से होगी। प्रमुख सचिव पद से हटाकर पांडे को राजस्व बोर्ड का सदस्य बना दिया गया है।
नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव ने  प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि हसन अली के तार सीधे मुख्यमंत्री से जुड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर हवाला के जरिये प्रदेश का पैसा विदेश भेजने का आरोप भी शिवपाल यादव ने दोहराया और कहा पूरे मामले की कड़ाई से जांच हो जाय तो असलियत सामने आ जाएगी। विजय शंकर पांडे के अलावा कई और चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हसन अली कांड में मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रमुख सचिव की संलिप्तता के संकेत से जाहिर होता है कि कालेधन का धंधा यहां फल फूल रहा है और यह काला धन हवाला के जरिये बाहर भेजा जा रहा है। लूट, कमीशन, वसूली का धन गलत कामों में लग रहा है। राज्यपाल इसका संज्ञान लेकर तत्काल कार्यवाही करें।' हसन अली के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय के सम्बंधों से जुड़े पूरे मामले पर सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल बीएल जोशी से भेंट कर बसपा शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उन्हें ज्ञापन सौंपेंगा। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने सर्वोच्च न्यायालय में उप्र के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की जांच में अड़ंगा डालने और जांच की दिशा भरमाने की कोशिश को स्पष्ट किया है।
1979 बैच के आइएएस विजय शंकर पाण्डेय हमेशा चर्चा में रहे हैं। कभी उप्र सहकारी कताई मिल संघ में एमडी रहते हुए लिए गए निर्णयों को लेकर तो कभी भ्रष्ट आइएएस चिन्हित करने की अपनी मुहिम के कारण .और अब हसन अली प्रकरण में नाम आने पर। 1996 से 1999 तक उप्र सहकारी कताई मिल संघ में एमडी के पद पर रहने के दौरान विजय शंकर पाण्डेय के फैसलों पर विवाद हुआ था। सतर्कता जांच तक हुई। इसके बाद आइएएस संवर्ग के भ्रष्ट अफसरों को चिन्हित करने के लिए उन्होंने कई साथियों के साथ मिलकर मुहिम चलायी। इससे तमाम वरिष्ठ आइएएस अफसर उनसे नाराज हुए और तत्कालीन प्रमुख सचिव नीरा यादव का उनसे टकराव हुआ। 2007 में बसपा सरकार बनने पर मुख्यमंत्री मायावती ने उन पर विश्वास जताया और उनको अपने सचिवालय में जगह दी। उनके अधिकारी भाईयों एवं बहन को भी अच्छे पदों पर तैनात किया पर बाद में ब्यूरोक्रेसी में उन्हें लेकर अंदरूनी स्तर पर जो खींचतान शुरू हुई, वह अब तक जारी है।
इस खींचतान के ही परिणाम स्वरूप मार्च 2010 में मुख्यमंत्री मायावती द्वारा नोटों की माला पहनने पर उठे विवाद की गाज विजय शंकर पांडेय पर गिरी। उन्हें सदस्य राजस्व परिषद इलाहाबाद के पद पर भेज दिया। बाद में मुख्यमंत्री ने अपने इस फैसले में फेरबदल कर उन्हें प्रमुख सचिव सूचना सहित कई अन्य विभागों की कमान सौंपी।

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