दामादो को होली में गधो की सवारी
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तहलका टुडे टीम
बीड़ [महाराष्ट्र]। भारत में दामादों को वैसे काफी सम्मान दिया जाता है लेकिन होली के मौके पर महाराष्ट्र के बीड़ जिले के वीडा गांव में होली का त्यौहार दामादों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है।
लड़की के परिवार वालों के लिए दामाद से बदला लेने का यह एक शानदार मौका होता है।
होली के दिन यहां दामाद को रिवाज के अनुसार अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता और चूंकि परंपरा ऐसी है इसलिए दामाद भी इसे बुरा नहीं मानते। दामाद को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह पंरपरा कोई 75 साल पहले शुरू हुई।
प्रत्येक साल इस सम्मान [गधे की सवारी] के लिए गांव के नए दामाद का चयन किया जाता है। दत्ता देशमुख ने बताया कि इस परंपरा की जड़े निजाम काल से जुड़ी हुई है। यह तब शुरू हुआ जब चिंचोली गांव के जहांगिरदार आनंदराव अपने ससुराल देशमुख वीड़ा आए।
आनंदराव की उनकी सास के साथ कहा सुनी हो गई और इस वजह से उन्हें गधे पर बिठाकर पूरे गांव का चक्कर लगवाया गया और इसके बाद से इस घटना ने पंरपरा का रूप ले लिया।
इस परंपरा में अब सभी समुदाय के लोग भाग लेते है। परेड के दौरान बैंड बाजे और रंगों का जमकर इस्तेमाल होता है।
दूसरे गा्रमीण दादोजी बारकासे ने बताया कि इस परंपरा के लिए चुने गए दामाद का परेड निकालने के बाद हनुमान मंदिर से उन्हें नए कपड़े दिलाए जाते है।
लड़की के परिवार वालों के लिए दामाद से बदला लेने का यह एक शानदार मौका होता है।
होली के दिन यहां दामाद को रिवाज के अनुसार अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता और चूंकि परंपरा ऐसी है इसलिए दामाद भी इसे बुरा नहीं मानते। दामाद को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह पंरपरा कोई 75 साल पहले शुरू हुई।
प्रत्येक साल इस सम्मान [गधे की सवारी] के लिए गांव के नए दामाद का चयन किया जाता है। दत्ता देशमुख ने बताया कि इस परंपरा की जड़े निजाम काल से जुड़ी हुई है। यह तब शुरू हुआ जब चिंचोली गांव के जहांगिरदार आनंदराव अपने ससुराल देशमुख वीड़ा आए।
आनंदराव की उनकी सास के साथ कहा सुनी हो गई और इस वजह से उन्हें गधे पर बिठाकर पूरे गांव का चक्कर लगवाया गया और इसके बाद से इस घटना ने पंरपरा का रूप ले लिया।
इस परंपरा में अब सभी समुदाय के लोग भाग लेते है। परेड के दौरान बैंड बाजे और रंगों का जमकर इस्तेमाल होता है।
दूसरे गा्रमीण दादोजी बारकासे ने बताया कि इस परंपरा के लिए चुने गए दामाद का परेड निकालने के बाद हनुमान मंदिर से उन्हें नए कपड़े दिलाए जाते है।