भारतीय रिजर्व बैंक , जांच एजेंसियों की पैनी निगाहों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार दिन-दूनी रात-चौगुनी गति से फल-फूल रहा, तीन साल में तिगुना हुआ
http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/blog-post_8977.html
तहलका टुडे टीम
दिल्ली जाली नोटों के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने की नापाक कोशिशें जारी हैं। भारत ने भले ही रूपए का सिंबल बनाकर भारतीय रूपए को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का सपना संजोना शुरू कर दिया हो, लेकिन जब तक जाली नोटों पर रोक नहीं लगाई जाएगी हमारा सपना महज सपना बनकर ही रह जाएगा। देश के भीतर और बाहर दोनों ही ओर से रूपए पर हमला जारी है। हाल ही में दिल्ली में दस रूपए के 41600 नकली सिक्कों और लाहौर से अमृतसर आ रही मालगाड़ी के पहियों में छिपाकर रखे गए नौ लाख रूपए के नकली नोटों की बरामदगी के मामले चौंकाने वाले हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के तमाम सुरक्षा प्रयासों और जांच एजेंसियों की पैनी निगाहों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार दिन-दूनी रात-चौगुनी गति से फल-फूल रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार महज तीन सालों में ही नकली नोटों का काला धंधा ल्रगभग तीन गुना हो गया है। 2006 में जहां आधिकारिक तौर पर देश भर में साढ़े आठ करोड़ रूपए के नकली नोट जब्त किए गए, वहीं 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर तकरीबन 22 करोड़ रूपए पर पहुंच गया। हालांकि, सूत्रों की मानें तो जाली नोटों का कारोबार हर साल दुगुना हो रहा है।
नकली नोटों का बढ़ता कारोबार :
देश में हर साल करोड़ों रूपए के नकली नोट जब्त किए जाते हैं। जाली नोट मुख्य रूप से 100 रूपए, 500 रूपए और हजार रूपए के मूल्यवर्ग के होते हैं। ज्यादा मूल्यवर्ग के नोट होने से बाजारों में इन्हें खपाने पर मुनाफा भी अधिक मिलता है। नकली नोटों की कीमत 2:1 के अनुपात में तय की जाती है, यानि यदि 100 रूपए के जाली नोट हैं, तो उसके लिए ग्राहकों से 50 रूपए की कीमत वसूली जाती है।
आंकड़ों पर एक नजर -
वर्ष - जब्त किए गए नकली नोट
2001- 5.3 करोड़ रूपए
2002- 6.6 करोड़ रूपए
2003 - 5.7 करोड़ रूपए
2004 - 7 करोड़ रूपए
2005 - 6.9 करोड़ रूपए
2006 - 8.4 करोड़ रूपए
2007 - 10.54 करोड़ रूपए
2008 -21.45 करोड़ रूपए
2009 - 22 करोड़ रूपए
(नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और दूसरे माध्यमों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार )
क्या कहता है कानून
- जाली नोट तैयार करना, उसे खरीदना या जाली नोट बांटना अपराध की श्रेणी में आता है। ऎसे मामलों में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी,420 और 489-ए, बी,सी डी के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति को गलती से कोई जाली नोट प्राप्त होता है और वो इस बारे में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराता, तो उस व्यक्ति के खिलाफ भी कानूनन कार्रवाई का प्रावधान है।
आईपीसी में प्रावधान
- 120बी : आईपीसी की धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश रचने के मामले में सजा का प्रावधान है। इसके अंतगर्त दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड, उम्रकैद और दो साल व अधिक के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। आंशिक रूप से दोषी पाए जाने पर छह माह के कारावास या जुर्माना या कारावास व जुर्माना दोनों सजा दी जा सकती है।
- 420 : आईपीसी की धारा 420 के तहत संपत्ति की डिलीवरी के संदर्भ में धोखाधड़ी और बेईमानी का मुकदमा चलाया जाता है। इसके तहत कानूनन सात साल की सजा का प्रावधान है। दोषी पर नष्ट हुई संपत्ति के मूल्य के आधार पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- 489 : यदि कोई जानबूझकर या किसी उद्देश्य के तहत राष्ट्रीय संपत्ति के किसी निशान को नष्ट करता है या नष्ट करने की कोशिश करता है तो उसे एक साल के कारावास या जुर्माना अथवा कारावास व जुर्माना दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।
कैसे बनते हैं नोट -
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट बनाने के लिए कॉटन से बने कागज और विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। नोट बनाने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल किया जाता है उनमें से कुछ का उत्पादन महाराष्ट्र स्थित करेंसी नोट प्रेस (सीएनपी) और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में होता है। जबकि अधिकांश मात्रा में नोट बनाने के कागज दुनिया के चार प्रमुख फर्म्स फ्रांस के अर्जो विगिज, अमरीका के पोर्टल, स्वीडल के गेन और पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल से आयात किए जाते हैं। वहीं, नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण देवास के बैंकनोट प्रेस में होता है, जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है, उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्वीस फर्म की यूनिट सिक्पा (एसआईसीपीए) में बनाई जाती है।
भारतीय मुद्रा का प्रबंधन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है। मुद्रा प्रबंधन के मामले में केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का आपसी सहयोग जरूरी है। केन्द्र सरकार की सलाह पर रिजर्व बैंक भारत की अर्थव्यवस्था के आधार पर आवश्यकतानुसार नोटों की छपाई और वितरण का काम करता है। आमतौर पर सरकारी प्रेस में नोटों की छपाई होती है। भारतीय मुद्रा को प्रमाणिक बनाने के लिए रिजर्व बैंक की ओर से कुछ सुरक्षा चिन्ह भी शामिल किए जाते हैं।
असली-नकली की पहचान
अस ली नोट :
भारतीय रिजर्व बैंक के तमाम सुरक्षा प्रयासों और जांच एजेंसियों की पैनी निगाहों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार दिन-दूनी रात-चौगुनी गति से फल-फूल रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार महज तीन सालों में ही नकली नोटों का काला धंधा ल्रगभग तीन गुना हो गया है। 2006 में जहां आधिकारिक तौर पर देश भर में साढ़े आठ करोड़ रूपए के नकली नोट जब्त किए गए, वहीं 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर तकरीबन 22 करोड़ रूपए पर पहुंच गया। हालांकि, सूत्रों की मानें तो जाली नोटों का कारोबार हर साल दुगुना हो रहा है।
नकली नोटों का बढ़ता कारोबार :
देश में हर साल करोड़ों रूपए के नकली नोट जब्त किए जाते हैं। जाली नोट मुख्य रूप से 100 रूपए, 500 रूपए और हजार रूपए के मूल्यवर्ग के होते हैं। ज्यादा मूल्यवर्ग के नोट होने से बाजारों में इन्हें खपाने पर मुनाफा भी अधिक मिलता है। नकली नोटों की कीमत 2:1 के अनुपात में तय की जाती है, यानि यदि 100 रूपए के जाली नोट हैं, तो उसके लिए ग्राहकों से 50 रूपए की कीमत वसूली जाती है।
आंकड़ों पर एक नजर -
वर्ष - जब्त किए गए नकली नोट
2001- 5.3 करोड़ रूपए
2002- 6.6 करोड़ रूपए
2003 - 5.7 करोड़ रूपए
2004 - 7 करोड़ रूपए
2005 - 6.9 करोड़ रूपए
2006 - 8.4 करोड़ रूपए
2007 - 10.54 करोड़ रूपए
2008 -21.45 करोड़ रूपए
2009 - 22 करोड़ रूपए
(नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और दूसरे माध्यमों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार )
क्या कहता है कानून
- जाली नोट तैयार करना, उसे खरीदना या जाली नोट बांटना अपराध की श्रेणी में आता है। ऎसे मामलों में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी,420 और 489-ए, बी,सी डी के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति को गलती से कोई जाली नोट प्राप्त होता है और वो इस बारे में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराता, तो उस व्यक्ति के खिलाफ भी कानूनन कार्रवाई का प्रावधान है।
आईपीसी में प्रावधान
- 120बी : आईपीसी की धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश रचने के मामले में सजा का प्रावधान है। इसके अंतगर्त दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड, उम्रकैद और दो साल व अधिक के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। आंशिक रूप से दोषी पाए जाने पर छह माह के कारावास या जुर्माना या कारावास व जुर्माना दोनों सजा दी जा सकती है।
- 420 : आईपीसी की धारा 420 के तहत संपत्ति की डिलीवरी के संदर्भ में धोखाधड़ी और बेईमानी का मुकदमा चलाया जाता है। इसके तहत कानूनन सात साल की सजा का प्रावधान है। दोषी पर नष्ट हुई संपत्ति के मूल्य के आधार पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- 489 : यदि कोई जानबूझकर या किसी उद्देश्य के तहत राष्ट्रीय संपत्ति के किसी निशान को नष्ट करता है या नष्ट करने की कोशिश करता है तो उसे एक साल के कारावास या जुर्माना अथवा कारावास व जुर्माना दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।
कैसे बनते हैं नोट -
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट बनाने के लिए कॉटन से बने कागज और विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। नोट बनाने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल किया जाता है उनमें से कुछ का उत्पादन महाराष्ट्र स्थित करेंसी नोट प्रेस (सीएनपी) और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में होता है। जबकि अधिकांश मात्रा में नोट बनाने के कागज दुनिया के चार प्रमुख फर्म्स फ्रांस के अर्जो विगिज, अमरीका के पोर्टल, स्वीडल के गेन और पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल से आयात किए जाते हैं। वहीं, नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण देवास के बैंकनोट प्रेस में होता है, जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है, उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्वीस फर्म की यूनिट सिक्पा (एसआईसीपीए) में बनाई जाती है।
भारतीय मुद्रा का प्रबंधन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है। मुद्रा प्रबंधन के मामले में केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का आपसी सहयोग जरूरी है। केन्द्र सरकार की सलाह पर रिजर्व बैंक भारत की अर्थव्यवस्था के आधार पर आवश्यकतानुसार नोटों की छपाई और वितरण का काम करता है। आमतौर पर सरकारी प्रेस में नोटों की छपाई होती है। भारतीय मुद्रा को प्रमाणिक बनाने के लिए रिजर्व बैंक की ओर से कुछ सुरक्षा चिन्ह भी शामिल किए जाते हैं।
असली-नकली की पहचान
अस ली नोट :
- असली नोट में सिल्वर ब्रोमाइड थ्रेड (चांदी का पतला धागा) पर हिंदी और अंग्रेजी में आरबीआई साफ-साफ लिखा नजर आता है। जबकि नकली नोट में सिल्वर थ्रेड और आरबीआई का नाम स्पष्ट दिखाई नहीं देता।
- अल्ट्रावायलेट किरणों में देखने पर असली नोट के लगभग हर हिस्से में नीले रंग के डॉट्स बने नजर आते हैं। जबकि नकली नोट को यदि सूर्य की रौशनी में देखा जाए तो उसमें ब्लू डॉट्स नदारद होते हैं।
- 500 या 1000 रूपए के असली नोटों को क्षैतिज तल में देखने पर नोट पर मुद्रित अंक स्पष्ट दिखाई देते हैं।
असली सिक्के :
- असली सिक्कों के मुकाबले नकली सिक्कों का वजन ज्यादा होता है।
- नकली सिक्कों की ढलाई की `ालिटी खराब होती है। यदि इसे जमीन पर जोर से पटका जाए तो यह टूटकर अलग हो जाएगा।
- नकली सिक्कों का किनारा असली सिक्कों से ज्यादा नुकीला होता है।
- नकली सिक्कों की गोल्ड पॉलिश अधिक चमकदार नजर आती है।
सरहद पार से चलता है धंधा
खुफिया एजेंसियों की ओर से पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में नकली नोटों का कारोबार मुख्य रूप से पाकिस्तान से संचालित होता है। नकली भारतीय नोटों की छपाई और उसे भारत बाजारों तक पहुंचाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। नकली नोटों के माध्यम से भारत में आर्थिक आतंकवाद फैलाने की नापाक साजिश सालों से रची जा रही है। भारतीय खुफिया एजेंजियों का पाकिस्तान को नकली नोटों का केन्द्र मानना गलत भी नहीं है, क्योंकि जाली नोटों के कारोबार से जुड़े जितने भी एजेंट अब तक गिरफ्त में आए हैं, उन सभी ने पूछताछ में पाकिस्तान की तरफ ही इशारा किया है।
रिपोर्ट के अनुसार अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान ने पहले लंदन स्थित कंपनियों ने मुद्रा मानक मुद्रण कागज का आयात करना शुरू किया। बताया जाता है पाकिस्तान अपनी जरूरत से कहीं अधिक मात्रा में मुद्रण कागज का आयात करता है। पाक द्वारा आवश्यकता से अधिक मात्रा में कागज का इस्तेमाल किया जाना इस बात का साफ संकेत है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ी जरूरी है। माना जाता है कि पाक में नकली भारतीय नोटों की प्रिटिंग क्वेटा (बलूचिस्तान), लाहौर और पेशावर के सरकारी प्रेस में की जाती है। नकली नोट छपने के बाद आईएसआई पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के जरिए नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में अपने एजेंटों तक यह रकम पहुंचाता है।
गौरतलब है कि आईएसआई के जाली नोटों के कारोबार की पोल विश्व समुदाय के सामने उस समय खुली जब 2008 में थाइलैंड पुलिस ने दो नेपाली एजेंटों को भारी मात्रा में जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया। अप्रेल 2008 को ढ़ाका में नकली नोटों की बड़ी खेप के साथ गिरफ्तार नौशाद आलम खान ने बांग्लादेश में हूजी प्रमुख मुफ्ती अब्दुल हनाम से सांठ-गांठ की बात कबूली थी और बताया था कि किस तरह पाकिस्तान से बांग्लादेश के रास्ते भारत में नकली नोटों का कारोबार फैलाया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों की मानें तो श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के असमाजिक तत्व भारतीय बाजारों में नकली नोटों के कारोबार में पाकिस्तान के सक्रिय पार्टनर हैं। वहीं, मलेशिया और थाइलैंड के रास्ते से भी नकली नोटों का आंशिक कारोबार होता है। इन देशों की सरकारें इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
सरहद पार से नकली नोटों की खेप पहले भारत में सीमावर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पंजाब में पहुंचती है और उसके बाद एजेंटों के जरिए नकलीनोटों का काला कारोबार देश भर में फैलाया जाता है। नकली नोटों का कारोबार यदि नहीं रोका गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। अब जंग के मैदान के साथ-साथ छk युद्ध के इस मैदान पर भी हमें सजगता के साथ लड़ना होगा। वहीं, आवश्यकतानुसार कानूनों में भी परिवर्तन किए जाने चाहिए। कानूनों की अनुपालना होनी चाहिए, तभी हम हमारी अर्थव्यवस्था पर मंडराते इस खतरे से पार पा सकेंगे।