"माया ने किसानो के आगे घुटने टेके,लेकिन राजनीत का बाज़ार अभी भी गरम"
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तहलका टुडे टीम
अलीगढ़. उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख देने वाले आन्दोलन के बाद किसान नेता राम बाबू कठेरिया की रिहाई की मांग को मान लिया गया है। सरकार किसानों की अन्य मांगों के सामने भी झुक गई है लेकिन इस पर राजनीति अभी भी गर्म है।
विपक्षी दलों ने अब सविधान संशोधन की मांग शुर कर दी है। इस संशोधन में कि सानों को अधिग्रहीत जमीन का भुगतान बाजार दर से किये जाने की मांग प्रस्तावित है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों की जमीन अधिग्रहण के लिए संविधान संशोधन संबंधी एक विधेयक लंबित है। इस विधेयक को तत्काल पारित कराया जाना चाहिए। इसमें किसानों का हित सुरक्षित है।
श्री सिंह ने कहा कि विधेयक के पारित हो जाने पर किसी भी एक्सप्रेस-वे में हेड से टेल तक एक ही दर पर मुआवजा मिलेगा। मुआवजे की दर बाजार के अनुरप होगी तथा किसानों के परिवार को नौकरी आदि में भी प्राथमिकता मिलेगी।
श्री सिंह ने कहा कि किसानों पर गोली चलाने की जितनी निंदा की जाय वह कम है। किसानों पर गोली न चले इसका स्थायी हल ढूंढा जाना चाहिए। उनका कहना था कि भाजपा लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराने की पुरजोर कोशिश करेगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस विधेयक को पारित करवाने से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षों से भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक संसद में लम्बित पड़ा है। भविष्य में ऐसी किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए इसे तत्काल पारित किया जाना चाहिए।
इससे पहले कल देर शाम मुख्यमंत्नी मायावती के निर्देश पर कैबिनेट सचिव शंशाक शेखर सिंह और अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था बृजलाल ने मौके पर जाकर किसानों की मांगो को मानने की घोषणा की।
किसानों को अब 449 रपये के बजाय 570 रपये प्रति वर्गमीटर की दर से उनकी अधिग्रहीत जमीनों का मुआवजा दिया जायेगा। इसके साथ ही किसानों को अपनी अधिग्रहीत जमीन वापस लेने की भी छूट दी गयी है।
कैबिनेट सचिव से वार्ता के बाद श्री कठेरिया ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगे मान ली हैं। सरकार की यह घोषणा कि जो किसान जमीन नहीं देना चाहेगा उसकी जमीन नहीं ली जायेगी और यदि अधिग्रहीत
हो गयी होगी तो वापस कर दी जायेगी। इसके बाद अब कुछ भी बचता नहीं है। श्री कठेरिया ने कहा कि मारे गए किसानों का बलिदान बेकार नहीं जायेगा। यदि एकता बनी रही और संघर्ष की क्षमता बरकरार रही तो किसानों का हक कोई नहीं मार सकेगा। उन्होंने चेतावनी दी की यदि समझौते की घोषणाओं पर अमल में हीलाहवाली की गयी तो इससे भी बड़ा आन्दोलन खड़ा किया जायेगा।
श्री कठेरिया ने कहा कि शांतिपूर्ण आन्दोलन पर गोली चलवाना अंग्रेजों की याद ताजा कर देता है। सरकार ने किसानों की ताकत समझी और रास्ते पर आयी हालांकि इसमें काफी देर लग गया।
किसानों पर पुलिस फायरिंग के विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) ने कल राज्य विरोधी प्रदर्शन किया तो भाजपा ने यमुना एक्सप्रेस-वे को रद्द करने की मांग की। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर डाली।
रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह का कहना था कि राज्य सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण जनहित में नहीं बल्कि उद्योगपतियों और भवन निर्माताओं को लाभ पहुंचाने के लिए कर रही है। नोएडा के बराबर मुआवजा नहीं मिलने तक आन्दोलन जारी रखने की घोषणा की गयी थी।
घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ् हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिये।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पूरा खेल मुख्यमत्नीं मायावती को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये खेला जा रहा है। भाजपा ने प्रस्तावित यमुना एक्सप्रेस-वे को रद्द करने की मांग करते हुये कहा कि सुश्री मायावती जेपी उद्योग समूह को फायदा पहुंचाने के लिये काम कर रही हैं।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे के लिये जमीन खरीद के मामले में बहुत बड़ा घपला हुआ है और एक्सप्रेस वे के दोनों किनारे की जमीन सुश्री मायावती के रिश्तेदारों और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बड़े नेताओं ने खरीदी है।
दीक्षित ने यमुना एक्सप्रेस-वे बनाने के लिये जेपी उद्योग समूह के साथ हुये समझौते मुख्यमंत्नी के संबंधियों के साथ उनके रिश्ते की केन्द्रीय एजेंसी से जांच की मांग की।
दूसरी ओर सत्तारूढ बसपा ने किसानों के आन्दोलन को राष्ट्रीय लोकदल, सपा और भाजपा का षडयंत्न बताया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने इस घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं जिससे पूरा सच सामने आयेगा।
अलीगढ़ की घटना इन तीन दलों के षडयंत्न का परिणाम है। श्री मौर्य ने कहा कि सपा का इतिहास किसानों को अच्छी तरह से पता है। दादरी की जमीन कौड़ियों के भाव लेने वाली सपा को किसानों के बारे में बोलने का हक नहीं है।
उन्होंनें कहा कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्न (सेज) के नाम पर किसानों की जमीन औने पौने दाम में लेकर उद्योगपतियों को दे दी।
श्री मौर्य ने कहा कि अलीगढ़ में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये मुआवजा राशि को लेकर सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के बावजूद राजनीतिक दलों द्वारा किसानों को भड़काना निंदनीय है।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने गोली कांड के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और मायावती सरकार की बर्खास्तगी की मांग की।
श्री यादव ने यहां कहा कि एक पूंजीपति को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने निहत्थे और निर्दोष किसानों पर गोली चलवायी। इस लिए यह सरकार तत्काल बर्खास्त होनी चाहिए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्नी कल्याण सिंह का कहना है कि टप्पल सहित यमुना-गंगा एक्सप्रेस के दोनों परियोजनाओं की सीबीआई से जांच करानी चाहिए। दिल्ली-मुम्बई और दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग के समान अन्तर पर सड़क और हाईटेक सिटी बनाने की कोई जरूरत ही नहीं है।इनसे आम जनता को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि इस क्षेत्न की बहुत ही उपजाऊ जमीन इन बेकार की योजनाओं में समाप्त हो जायेगी जिससे खाद्यान्न उत्पादन पर लाखों टन अनाज का घाटा हमेशा के लिए होगा।
श्री सिंह ने कहा कि मौजूदा सड़कों को और विकसित करने के साथ ही राज्य को बिजलीघरों की सख्त जरूरत है लेकिन सुश्री मायावती की कमीशन के चक्कर में जनहित के मौजूदा संसाधनों के विकास में दिलचस्पी नहीं है।
अलीगढ़. उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख देने वाले आन्दोलन के बाद किसान नेता राम बाबू कठेरिया की रिहाई की मांग को मान लिया गया है। सरकार किसानों की अन्य मांगों के सामने भी झुक गई है लेकिन इस पर राजनीति अभी भी गर्म है।
विपक्षी दलों ने अब सविधान संशोधन की मांग शुर कर दी है। इस संशोधन में कि सानों को अधिग्रहीत जमीन का भुगतान बाजार दर से किये जाने की मांग प्रस्तावित है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों की जमीन अधिग्रहण के लिए संविधान संशोधन संबंधी एक विधेयक लंबित है। इस विधेयक को तत्काल पारित कराया जाना चाहिए। इसमें किसानों का हित सुरक्षित है।
श्री सिंह ने कहा कि विधेयक के पारित हो जाने पर किसी भी एक्सप्रेस-वे में हेड से टेल तक एक ही दर पर मुआवजा मिलेगा। मुआवजे की दर बाजार के अनुरप होगी तथा किसानों के परिवार को नौकरी आदि में भी प्राथमिकता मिलेगी।
श्री सिंह ने कहा कि किसानों पर गोली चलाने की जितनी निंदा की जाय वह कम है। किसानों पर गोली न चले इसका स्थायी हल ढूंढा जाना चाहिए। उनका कहना था कि भाजपा लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराने की पुरजोर कोशिश करेगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस विधेयक को पारित करवाने से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षों से भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक संसद में लम्बित पड़ा है। भविष्य में ऐसी किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए इसे तत्काल पारित किया जाना चाहिए।
इससे पहले कल देर शाम मुख्यमंत्नी मायावती के निर्देश पर कैबिनेट सचिव शंशाक शेखर सिंह और अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था बृजलाल ने मौके पर जाकर किसानों की मांगो को मानने की घोषणा की।
किसानों को अब 449 रपये के बजाय 570 रपये प्रति वर्गमीटर की दर से उनकी अधिग्रहीत जमीनों का मुआवजा दिया जायेगा। इसके साथ ही किसानों को अपनी अधिग्रहीत जमीन वापस लेने की भी छूट दी गयी है।
कैबिनेट सचिव से वार्ता के बाद श्री कठेरिया ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगे मान ली हैं। सरकार की यह घोषणा कि जो किसान जमीन नहीं देना चाहेगा उसकी जमीन नहीं ली जायेगी और यदि अधिग्रहीत
हो गयी होगी तो वापस कर दी जायेगी। इसके बाद अब कुछ भी बचता नहीं है। श्री कठेरिया ने कहा कि मारे गए किसानों का बलिदान बेकार नहीं जायेगा। यदि एकता बनी रही और संघर्ष की क्षमता बरकरार रही तो किसानों का हक कोई नहीं मार सकेगा। उन्होंने चेतावनी दी की यदि समझौते की घोषणाओं पर अमल में हीलाहवाली की गयी तो इससे भी बड़ा आन्दोलन खड़ा किया जायेगा।
श्री कठेरिया ने कहा कि शांतिपूर्ण आन्दोलन पर गोली चलवाना अंग्रेजों की याद ताजा कर देता है। सरकार ने किसानों की ताकत समझी और रास्ते पर आयी हालांकि इसमें काफी देर लग गया।
किसानों पर पुलिस फायरिंग के विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) ने कल राज्य विरोधी प्रदर्शन किया तो भाजपा ने यमुना एक्सप्रेस-वे को रद्द करने की मांग की। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर डाली।
रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह का कहना था कि राज्य सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण जनहित में नहीं बल्कि उद्योगपतियों और भवन निर्माताओं को लाभ पहुंचाने के लिए कर रही है। नोएडा के बराबर मुआवजा नहीं मिलने तक आन्दोलन जारी रखने की घोषणा की गयी थी।
घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ् हत्या का मुकदमा दर्ज करके उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिये।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पूरा खेल मुख्यमत्नीं मायावती को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिये खेला जा रहा है। भाजपा ने प्रस्तावित यमुना एक्सप्रेस-वे को रद्द करने की मांग करते हुये कहा कि सुश्री मायावती जेपी उद्योग समूह को फायदा पहुंचाने के लिये काम कर रही हैं।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे के लिये जमीन खरीद के मामले में बहुत बड़ा घपला हुआ है और एक्सप्रेस वे के दोनों किनारे की जमीन सुश्री मायावती के रिश्तेदारों और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बड़े नेताओं ने खरीदी है।
दीक्षित ने यमुना एक्सप्रेस-वे बनाने के लिये जेपी उद्योग समूह के साथ हुये समझौते मुख्यमंत्नी के संबंधियों के साथ उनके रिश्ते की केन्द्रीय एजेंसी से जांच की मांग की।
दूसरी ओर सत्तारूढ बसपा ने किसानों के आन्दोलन को राष्ट्रीय लोकदल, सपा और भाजपा का षडयंत्न बताया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने इस घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं जिससे पूरा सच सामने आयेगा।
अलीगढ़ की घटना इन तीन दलों के षडयंत्न का परिणाम है। श्री मौर्य ने कहा कि सपा का इतिहास किसानों को अच्छी तरह से पता है। दादरी की जमीन कौड़ियों के भाव लेने वाली सपा को किसानों के बारे में बोलने का हक नहीं है।
उन्होंनें कहा कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्न (सेज) के नाम पर किसानों की जमीन औने पौने दाम में लेकर उद्योगपतियों को दे दी।
श्री मौर्य ने कहा कि अलीगढ़ में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये मुआवजा राशि को लेकर सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के बावजूद राजनीतिक दलों द्वारा किसानों को भड़काना निंदनीय है।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने गोली कांड के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और मायावती सरकार की बर्खास्तगी की मांग की।
श्री यादव ने यहां कहा कि एक पूंजीपति को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने निहत्थे और निर्दोष किसानों पर गोली चलवायी। इस लिए यह सरकार तत्काल बर्खास्त होनी चाहिए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्नी कल्याण सिंह का कहना है कि टप्पल सहित यमुना-गंगा एक्सप्रेस के दोनों परियोजनाओं की सीबीआई से जांच करानी चाहिए। दिल्ली-मुम्बई और दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग के समान अन्तर पर सड़क और हाईटेक सिटी बनाने की कोई जरूरत ही नहीं है।इनसे आम जनता को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि इस क्षेत्न की बहुत ही उपजाऊ जमीन इन बेकार की योजनाओं में समाप्त हो जायेगी जिससे खाद्यान्न उत्पादन पर लाखों टन अनाज का घाटा हमेशा के लिए होगा।
श्री सिंह ने कहा कि मौजूदा सड़कों को और विकसित करने के साथ ही राज्य को बिजलीघरों की सख्त जरूरत है लेकिन सुश्री मायावती की कमीशन के चक्कर में जनहित के मौजूदा संसाधनों के विकास में दिलचस्पी नहीं है।
