आतंकवाद का पुराना सौदागर है अमेरिका?
http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/blog-post_5830.html
वाशिंगटन. आतंकवाद खत्म करने के नाम पर दुनिया के कई देशों में सैन्य अभियान चलाने वाले अमेरिका की छवि आतंक के सौदागर की बन सकती है। ऐसा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का मानना है। सीआईए ने इस पर विचार करना शुरू कर दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा। यह बात विकीलीक्स की ओर से सार्वजनिक किए गए सीआईए के गोपनीय दस्तावेज में कही गई है। विकीलीक्स सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार और ऐसी घटनाओं की पोल खोलने वाली वेबसाइट है।
इसमें सीआईए का कहना है कि मुंबई हमलों के दोषी डेविड हेडली मामले और देश में बढ़ रहे आतंकवादियों की घटना के बाद दुनिया के देश अमेरिका से किनारा कर सकते हैं। सीआईए के मुताबिक दुनिया के अन्य देशों के मन में यह बात घर करने लगी है कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ नहीं बल्कि इसे बढ़ावा दे रहा है। खुफिया एजेंसी का कहना है कि विदेश सरकारें अपराधियों को हिरासत में लिए जाने, खुफिया जानकारियों की साझेदारी समेत कई अन्य मामलों पर अमेरिका का साथ नहीं दे सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 'शुरू में हमें इस बात की चिंता थी कि अलकायदा आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए अमेरिका में घुसपैठ कर सकता है लेकिन अब ऐसा लगता है कि अल कायदा बाहर के देशों में ऐसे हमलों को अंजाम देने के लिए अमेरिकी लोगों का इस्तेमाल कर सकता है।'
दस्तावेज में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली का भी जिक्र है जिसने लश्कर-ए-तैयबा की मदद से मुंबई हमले की साजिश रची। लश्कर ने हेडली को दाउद गिलानी से नाम बदलकर डेविड हेडली करने का सुझाव दिया जिससे वह अमेरिका, पाकिस्तान और भारत में आराम से घूम सके। अमेरिका में गिरफ्तार हेडली ने मुंबई हमलों की साजिश रचने और इस घटना को अंजाम देने में लश्कर की मदद करने की बात कबूली है। 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले में 167 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।
सीआईए के दस्तावेज में कहा गया है कि आम आदमी की धारणा के विपरीत अमेरिका द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाना कोई नई बात नहीं है और न ही यह सिर्फ इस्लामिक अतिवाद या मध्य पूर्व, अफ्रीका या दक्षिण एशियाई मूल के लोगों से जुड़ा हुआ है। खुफिया एजेंसी के मुताबिक पिछले साल पांच युवा अमेरिकी मुसलमान उत्तरी वर्जीनिया छोड़कर पाकिस्तान चले गए जहां उन्होंने पाकिस्तानी तालिबान ज्वाइन कर लिया या फिर जिहाद में शामिल हो गए।
इसमें सीआईए का कहना है कि मुंबई हमलों के दोषी डेविड हेडली मामले और देश में बढ़ रहे आतंकवादियों की घटना के बाद दुनिया के देश अमेरिका से किनारा कर सकते हैं। सीआईए के मुताबिक दुनिया के अन्य देशों के मन में यह बात घर करने लगी है कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ नहीं बल्कि इसे बढ़ावा दे रहा है। खुफिया एजेंसी का कहना है कि विदेश सरकारें अपराधियों को हिरासत में लिए जाने, खुफिया जानकारियों की साझेदारी समेत कई अन्य मामलों पर अमेरिका का साथ नहीं दे सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 'शुरू में हमें इस बात की चिंता थी कि अलकायदा आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए अमेरिका में घुसपैठ कर सकता है लेकिन अब ऐसा लगता है कि अल कायदा बाहर के देशों में ऐसे हमलों को अंजाम देने के लिए अमेरिकी लोगों का इस्तेमाल कर सकता है।'
दस्तावेज में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली का भी जिक्र है जिसने लश्कर-ए-तैयबा की मदद से मुंबई हमले की साजिश रची। लश्कर ने हेडली को दाउद गिलानी से नाम बदलकर डेविड हेडली करने का सुझाव दिया जिससे वह अमेरिका, पाकिस्तान और भारत में आराम से घूम सके। अमेरिका में गिरफ्तार हेडली ने मुंबई हमलों की साजिश रचने और इस घटना को अंजाम देने में लश्कर की मदद करने की बात कबूली है। 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले में 167 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।
सीआईए के दस्तावेज में कहा गया है कि आम आदमी की धारणा के विपरीत अमेरिका द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाना कोई नई बात नहीं है और न ही यह सिर्फ इस्लामिक अतिवाद या मध्य पूर्व, अफ्रीका या दक्षिण एशियाई मूल के लोगों से जुड़ा हुआ है। खुफिया एजेंसी के मुताबिक पिछले साल पांच युवा अमेरिकी मुसलमान उत्तरी वर्जीनिया छोड़कर पाकिस्तान चले गए जहां उन्होंने पाकिस्तानी तालिबान ज्वाइन कर लिया या फिर जिहाद में शामिल हो गए।
कुछ अमेरिकी मूल के यहूदियों ने इजराइल के दुश्मन देशों में हिंसक वारदातों का समर्थन किया और कई ऐसी वारदातों में शामिल भी रहे। 1994 में अमेरिकी मूल का यहूदी डॉक्टर बरुच गोल्डस्टीन न्यूयॉर्क छोड़कर इजराइल चला गया और वहां के आतंकवादी संगठन KACH में शामिल हो गया। इस संगठन ने हेब्रान में एक मस्जिद में नमाज के दौरान बम विस्फोट किया जिसमें 29 फलस्तीनी मारे गए।
