किसानों के गुस्से से हिली माया सरकार
http://tehalkatodayindia.blogspot.com/2010/08/blog-post_19.html
रिजवान मुस्तफा
लखनऊ: यमुना एक्सप्रेस-वे के मसले पर उत्तरप्रदेश में किसानों के भड़के गुस्से और विपक्ष की सक्रियता को देखते हुए मायावती सरकार ने नए अधिग्रहण आदेशों पर कदम पीछे खींचना शुरू कर दिया। सरकार ने सिद्धांतत: मान लिया है कि जमीन अधिग्रहण के नए आदेशों को रद्द करना ही उचित होगा।
मायावती सरकार की पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की कई योजनाओं को अमल में लाने के लिए जमीनों के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई थी। इन इलाकों में किसानों को मनाने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही थी। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईपट्टी के निर्माण और बुलंदशहर के चोला में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द की जा रही है। चोला में 2600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना था।
समितियों का गठन : राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवादों का हल बातचीत से करने के लिए दो स्थायी समितियों के गठन का फैसला किया है। एक मंडल स्तर पर होगी दूसरी राज्य स्तर पर।
संशोधन करे केंद्र : मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि यूपीए सरकार अंग्रेजों के जमाने के भूमि अवाप्ति अधिनियम, 1894 के आधार पर ही जमीन का अधिग्रहण कर रही है। बदलते परिवेश में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस अधिनियम में ऐसे संशोधन करे, जिससे किसानों का हित सुरक्षित रहे और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकताओं की पूर्ति भी हो।
टिकैत भी कूदे : किसान आंदोलन में अब भारतीय किसान यूनियन भी कूद पड़ा है। यूनियन प्रमुख महेंद्र सिंह टिकैत शुRवार को अलीगढ़ जा रहे हैं। सरकार से हुए समझौते को नकारते हुए किसानों का धरना टप्पल गांव में बुधवार को भी जारी रहा। किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्म्ेद्र कुमार ने बताया है कि अलीगढ़ के किसान नोएडा से कम मुआवजे को तैयार नही हैं। सरकार किसानों पर एक तरफा समझौता जबर्दस्ती थोपना चाहती है। किसानों की राय को सबसे ऊपर मान कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आगरा में बैठक विफल : आगरा में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों और प्रशासन के बीच बैठक बुधवार को विफल हो गई। आगरा में मुआवजे को लेकर किसानों व पुलिस के बीच मंगलवार को झड़प हो गई थी
लखनऊ: यमुना एक्सप्रेस-वे के मसले पर उत्तरप्रदेश में किसानों के भड़के गुस्से और विपक्ष की सक्रियता को देखते हुए मायावती सरकार ने नए अधिग्रहण आदेशों पर कदम पीछे खींचना शुरू कर दिया। सरकार ने सिद्धांतत: मान लिया है कि जमीन अधिग्रहण के नए आदेशों को रद्द करना ही उचित होगा।
मायावती सरकार की पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की कई योजनाओं को अमल में लाने के लिए जमीनों के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई थी। इन इलाकों में किसानों को मनाने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही थी। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईपट्टी के निर्माण और बुलंदशहर के चोला में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द की जा रही है। चोला में 2600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना था।
समितियों का गठन : राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवादों का हल बातचीत से करने के लिए दो स्थायी समितियों के गठन का फैसला किया है। एक मंडल स्तर पर होगी दूसरी राज्य स्तर पर।
संशोधन करे केंद्र : मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि यूपीए सरकार अंग्रेजों के जमाने के भूमि अवाप्ति अधिनियम, 1894 के आधार पर ही जमीन का अधिग्रहण कर रही है। बदलते परिवेश में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस अधिनियम में ऐसे संशोधन करे, जिससे किसानों का हित सुरक्षित रहे और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकताओं की पूर्ति भी हो।
टिकैत भी कूदे : किसान आंदोलन में अब भारतीय किसान यूनियन भी कूद पड़ा है। यूनियन प्रमुख महेंद्र सिंह टिकैत शुRवार को अलीगढ़ जा रहे हैं। सरकार से हुए समझौते को नकारते हुए किसानों का धरना टप्पल गांव में बुधवार को भी जारी रहा। किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्म्ेद्र कुमार ने बताया है कि अलीगढ़ के किसान नोएडा से कम मुआवजे को तैयार नही हैं। सरकार किसानों पर एक तरफा समझौता जबर्दस्ती थोपना चाहती है। किसानों की राय को सबसे ऊपर मान कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आगरा में बैठक विफल : आगरा में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों और प्रशासन के बीच बैठक बुधवार को विफल हो गई। आगरा में मुआवजे को लेकर किसानों व पुलिस के बीच मंगलवार को झड़प हो गई थी