स्विस बैंकों की नई पेशबंदी से काली कमाई करने वाले कई नेताओ की हकीक़त खुलने की जगी उम्मीदे कई दागी परेशान 


तहलका टुडे टीम 
नई दिल्ली। अपने खातों में जमा काली कमाई की जानकारी न देनी पड़े, इसके लिए स्विस बैंकों ने नई पेशबंदी की है। इसके तहत काले धन की पनाहगाह बने इन बैंकों ने इतनी कड़ी शर्ते लगाई हैं कि शायद ही इनसे कोई देश जानकारी निकलवा पाए। दुनिया भर में भारी आलोचना झेल रहे इन बैंकों ने कहा है कि अगर चार प्रकार के स्पष्ट ब्यौरे के साथ उनके यहां जमा काले धन के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो वे सहयोग करने के लिए तैयार हैं। इन बैंकों में भारतीयों की कई लाख करोड़ रुपये की काली कमाई जमा है। इस एलान से कई काली कमाई करने वाले नेता परेशान हो गए है सूत्रों के आनुसार बाबरी मस्जिद-राम जन्भूमि मामले में आर अस अस   व बी जे पी  के नेताओ की तेज़ी पर लगाम लगाने व अवाम का ज़ेहन इस तरफ से मोड़ने के लिए एक दो नेताओ के नाम जमा काली कमाई  का खुलासा हो सकता है.
स्विट्जरलैंड के बैंकों की शीर्ष संस्था स्विस बैंकर्स एसोसिएशन [एसबीए] ने बैंक खातों के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए 'सार-संग्रह' में इन शर्तों को सूचीबद्ध किया है। इसे विभिन्न पक्षों के बीच वितरित किया जा रहा है। स्विस बैंकों ने यह भी कहा है कि खातों के बारे में विस्तृत जानकारी को अपने आप ही साझा नहीं किया जाएगा। इस बारे में दूसरे देशों के साथ कर समझौतों के तहत ही कोई जानकारी दी जाएगी।
माना जा रहा है कि भारत ने द्विपक्षीय कर संधि में संशोधन के लिए स्विट्जरलैंड के साथ वार्ता पूरी कर ली है। इस संशोधन के बाद भारतीय अधिकारी स्विस बैंक में रखे गए काले धन के बारे में विस्तृत जानकारी मांग सकेंगे। दोहरे कराधान पर अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत स्विट्जरलैंड भारत समेत विभिन्न देशों के साथ हुई कर संधियों की समीक्षा कर रहा है, जिसके तहत बैंक खातों के बारे में जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
काली कमाई का पता लगाने को सीबीडीटी ने किया समझौता
विदेशी बैंकों में भारतीय नागरिकों द्वारा रखे गए काले धन का पता अब ज्यादा बेहतर तरीके से लगाया जा सकेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड [सीबीडीटी] और वित्तीय खुफिया इकाई [एफआईयू] ने विदेश में जमा काली कमाई पर सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत प्रत्येक संगठन से एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही जानकारियों की एक निश्चित समय पर समीक्षा से काले धन के प्रवाह पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी। हाल ही में भारत के वित्तीय कार्रवाई कार्यबल [एफएटीएफ] का पूर्णकालिक सदस्य बनने से यह समझौता काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इसके तहत एफआईयू सदस्य देशों से सूचनाएं प्राप्त कर सकेगी और जरूरत पड़ने पर वह इसे सीबीडीटी को दे सकेगी। यह समझौता भारतीय राजस्व सेवा द्वारा की गई किसी भी जांच पर भारतीय एवं अनिवासी भारतीयों द्वारा जमा किए गए धन के बारे में सूचनाएं प्राप्त करने का रास्ता उपलब्ध कराएगा

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